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मौत की सजा ने उड़ा दी दरिंदों की नींद

दिल्ली के वसंत विहार सामूहिक दुष्कर्म मामले के चारों दोषियों को शुक्रवार को फांसी की सजा सुनाए जाने के बाद रातभर नींद नहीं आई। तिहाड़ जेल में बंद सभी दोषियों ने खाना खाने से भी इन्कार कर दिया। इस दौरान सुरक्षा कारणों से तिहाड़ प्रशासन ने दो दोषियों को दूसरी जेल में भेज दिया है।

By Edited By: Published: Sun, 15 Sep 2013 06:22 AM (IST)Updated: Sun, 15 Sep 2013 06:23 AM (IST)

जागरण संवाददाता, नई दिल्ली। दिल्ली के वसंत विहार सामूहिक दुष्कर्म मामले के चारों दोषियों को शुक्रवार को फांसी की सजा सुनाए जाने के बाद रातभर नींद नहीं आई। तिहाड़ जेल में बंद सभी दोषियों ने खाना खाने से भी इन्कार कर दिया। इस दौरान सुरक्षा कारणों से तिहाड़ प्रशासन ने दो दोषियों को दूसरी जेल में भेज दिया है।

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जेल सूत्रों के मुताबिक फांसी की सजा मिलने के बाद दोषियों ने शुक्रवार रात जागकर काटी और खाना भी नहीं खाया। हालांकि शनिवार सुबह सभी ने चाय पी और दोपहर में हल्का खाना लिया। दोषियों को पहले ही कड़ी सजा सुनाए जाने की आशंका थी। इसलिए फैसले से पहले उन्हें कई बार सोते हुए देखा गया था। लेकिन शुक्रवार को फैसला आने के बाद सभी बेहद परेशान दिखे। मेडिकल जांच और काउंसलिंग के बाद सभी दोषियों को उनकी जेल में भेज दिया गया था। अपनी-अपनी सेल में जाते ही सभी दोषी बिस्तर पर लेट गए। लेकिन काफी देर तक उन्होंने किसी से कोई बातचीत नहीं की। रात में दोषियों ने खाना भी वापस लौटा दिया।

तिहाड़ जेल के प्रवक्ता व कानून अधिकारी सुनील गुप्ता ने बताया कि सुरक्षा के चलते दोषी अक्षय ठाकुर व मुकेश को जेल संख्या-पांच में भेज दिया गया है। पहले दोनों को जेल संख्या-चार में रखा गया था।

गौरतलब है कि मामले के एक अन्य दोषी रामसिंह ने जेल संख्या-तीन में फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली थी।

सजायाफ्ता नाबालिग भी रहा बेचैन

वसंत विहार सामूहिक दुष्कर्म का पांचवा दोषी सजायाफ्ता नाबालिग भी अपने चार साथियों को फांसी की सजा मिलने के बाद देर रात तक बेचैन दिखा।

मजनूं का टीला स्थित जुवेनाइल होम के सूत्रों ने बताया कि शुक्रवार को टीवी पर अदालत का फैसला सुनने के बाद देर रात तक वह अपने कमरे में चहलकदमी करता रहा और खाना भी कम खाया। इस दौरान महिला एवं बाल विकास विभाग ने उसकी मानसिक स्थिति को भांपते हुए मनोचिकित्सक नियुक्त किया है।

गौरतलब है कि नाबालिग को अदालत ने तीन साल की सजा सुनाई है।

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