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शहादत के 157 साल बाद मिली मुक्ति

आजादी दिवस [15 अगस्त] के ठीक चौदह दिन पहले 1 अगस्त 1857 को एक साथ अजनाला में शहीद होने वाले वाले 282 भारतीय सैनिकों को 157 वर्ष बाद 'मुक्ति' मिल गई। ये वो 282 भारतीय सैनिक थे, जो ईस्ट इंडिया कंपनी के खिलाफ जंग लड़ रहे थे। इन शहीदों की अस्थियां शहीदी कुआं से निकालने के बाद शुक्रवार को सामूहिक श्रद्धांजलि दी गई।

By Edited By: Published: Sat, 02 Aug 2014 05:36 AM (IST)Updated: Sat, 02 Aug 2014 05:36 AM (IST)

अजनाला, जासं। आजादी दिवस [15 अगस्त] के ठीक चौदह दिन पहले 1 अगस्त 1857 को एक साथ अजनाला में शहीद होने वाले वाले 282 भारतीय सैनिकों को 157 वर्ष बाद 'मुक्ति' मिल गई। ये वो 282 भारतीय सैनिक थे, जो ईस्ट इंडिया कंपनी के खिलाफ जंग लड़ रहे थे। इन शहीदों की अस्थियां शहीदी कुआं से निकालने के बाद शुक्रवार को सामूहिक श्रद्धांजलि दी गई। 157 साल बाद इन शहीदों को मुक्ति दिलाने वाले इतिहासकार एवं शोधकर्ता सुरेंद्र कोछड़ कहते हैं कि इन शहीद सैनिकों में कौन किस धर्म का है, उसे किस धर्म के तहत अंतिम संस्कार किया जाए। इसकी जानकारी नहीं है, इसलिए इन सभी शहीदों को सामूहिक श्रद्धांजलि दी गई है और 24 अगस्त को गंगा में अस्थियां प्रवाहित कर दी जाएंगी।

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गुरुद्वारा शहीदगंज कमेटी के अध्यक्ष अमरजीत सिंह सरकारिया ने कहा कि 22 अगस्त को सायं 6 बजे शहीद सैनिकों की अस्थियों का मुख्य संसदीय सचिव अमरपाल सिंह बोनी की अध्यक्षता में पूरे अजनाला शहर में विशाल जुलूस निकाला जाएगा।

क्या है शहीदी कुएं का इतिहास

10 मई 1857 को मेरठ छावनी से ईस्ट इंडिया कंपनी के विरुद्ध शुरू हुए ¨हदुस्तानी सैनिकों के विद्रोह में कूदे 282 भारतीय सैनिकों को मुखबिरी के बाद ईस्ट इंडिया कंपनी ने एक साथ शहीद करके इन्हें कुएं में फेंककर उस पर मिंट्टी डाल दी थी। इस शहीदी कुएं के बारे में इतिहासकारों ने लिखा भी, लेकिन ढूंढ नहीं पाए। 2012 में अमृतसर के इतिहासकार एवं शोधकर्ता सु¨रदर कोछड़ ने इसे खोज निकाला। खुदाई खुद ही लोगों के साथ मिलकर करवाई।

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