पहली बार आधी रात को सुप्रीम कोर्ट में हुई सुनवाई
न्याय होना ही नहीं बल्कि न्याय होते दिखना भी चाहिए। भारत के सुप्रीम कोर्ट ने दुनिया के सामने इस बात की नजीर पेश की है। उसने साबित कर दिया है कि एक आतंकी के लिए भी उसके यहां न्याय के सवाल पर कोई समझौता नहीं किया जाता।
नई दिल्ली [माला दीक्षित]। न्याय होना ही नहीं बल्कि न्याय होते दिखना भी चाहिए। भारत के सुप्रीम कोर्ट ने दुनिया के सामने इस बात की नजीर पेश की है। उसने साबित कर दिया है कि एक आतंकी के लिए भी उसके यहां न्याय के सवाल पर कोई समझौता नहीं किया जाता। बात जब जीवन और मौत की हो तो अदालत रात-दिन नहीं देखती। वैसे तो कई बार सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीशों ने आधी रात में घर में अदालत लगा कर न्याय दिया है लेकिन यह पहला मौका था जबकि सुप्रीम कोर्ट में आधी रात में सुनवाई हुई।
अभूतपूर्व स्थितियों में सुप्रीम कोर्ट ने फैसला भी अभूतपूर्व ही दिया। इस दफा अदालत न्यायाधीश के घर में नहीं बल्कि सुप्रीम कोर्ट परिसर में बैठी थी और सुनवाई सभी पक्षों और मीडिया के सामने खुली अदालत में हुई थी। इससे पहले निठारी कांड के दोषी सुरेंद्र कोली के मामले में मुख्य न्यायाधीश एचएल दत्तू ने घर पर रात में 1.40 पर सुनवाई की थी और फांसी पर रोक लगाई थी। अगर कोर्ट उस रात सुनवाई नहीं करता तो कोली को तड़के फांसी पर चढ़ा दिया जाता।
ऐसे ही औद्योगिक घराने थापर का भी एक मामला है जिसे मिड नाइट बेल के नाम से जाना जाता है। इस मामले में जस्टिस वेंकट रमैय्या के घर पर रात डेढ़ बजे सुनवाई हुई और जस्टिस रमैय्या व एक अन्य न्यायाधीश ने उद्योगपति को आर्थिक अपराध के एक मामले में जमानत दी थी। किसान नेता महेंद्र सिंह टिकैत के मामले में भी रात को सुनवाई हुई थी। टिकैत को सरकार के विरोध में दिल्ली के वोट क्लब पर सबसे ज्यादा दिन तक धरना देने के लिए जाना जाता है। टिकैत के धरने से ऊब कर सरकार ने धरना स्थल की बिजली काट दी थी और पानी व खाने आदि की आपूर्ति रोक दी थी।
टिकैत के वकील डीके गर्ग रात में नौ बजे जीवन के अधिकार की दुहाई देते हुए याचिका लेकर जस्टिस सब्यसाची मुखर्जी के घर पहुंचे और न्याय की गुहार लगाई। उस मामले में कोर्ट ने तत्काल सुनवाई करते हुए बिजली-पानी की आपूर्ति जारी रखने के आदेश दिए थे और यह भी कहा था कि मूलभूत जरूरतें प्रभावित नहीं होनी चाहिए। ये कुछ ऐसे मामले हैं जिनमें रात में सुनवाई हुई लेकिन कुछ मामलों में छुïट्टी के दिन रविवार को भी सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई की है।
झलकियां
- अदालत कक्ष की लाइटें तो सही थीं लेकिन गलियारे में अंधेरा था और रात में ही इलेक्ट्रीशियन बुला कर गलियारे की लाइटें जलाई गईं।
- रात में प्रवेश के लिए पास नहीं बन सकता था इसलिए पास के बगैर ही निजी तौर पर जांच के बाद घुसने दिया गया।
- अदालत कक्ष का एसी नहीं चल रहा था। हालांकि रात होने के कारण और अदालत कक्ष में कम भीड़ होने के कारण पंखे से ही काम चल रहा था।
- रात में सुनवाई के लिए आने वाले वकीलों और मीडिया के लोगों को ई गेट से प्रवेश दिया जा रहा था बाकी गेट बंद थे।
- महिला पुलिस के कुछ देर से पहुंचने से कोर्ट में सुनवाई के लिए पहुंची महिला वकीलों को गेट पर ही जांच के लिए इंतजार करना पड़ा।