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फिजा : जिंदगी ने की बेवफाई

जागरण संवाददाता, चंडीगढ़। मेरी बर्बादियों का हमनशीनों, तुम्हें क्या खुद मुझे भी गम नहीं है! बेबाक और संजीदा किस्म की अनुराधा बाली को फिजा बनना भी रास नहीं आया। पंजाब यूनिवर्सिटी की लॉ ग्रेजुएट अनुराधा बाली बोल्ड थीं, उसमें साहस कूट-कूटकर भरा था। वह हार मानने वाली नहीं थी। पंजाब यूनिवर्सिटी में उनके साथ लॉ की पढ़ाई करने

By Edited By: Published: Tue, 07 Aug 2012 03:14 PM (IST)Updated: Tue, 07 Aug 2012 03:16 PM (IST)
फिजा : जिंदगी ने की बेवफाई

जागरण संवाददाता, चंडीगढ़। मेरी बर्बादियों का हमनशीनों, तुम्हें क्या खुद मुझे भी गम नहीं है! बेबाक और संजीदा किस्म की अनुराधा बाली को फिजा बनना भी रास नहीं आया। पंजाब यूनिवर्सिटी की लॉ ग्रेजुएट अनुराधा बाली बोल्ड थीं, उसमें साहस कूट-कूटकर भरा था। वह हार मानने वाली नहीं थी। पंजाब यूनिवर्सिटी में उनके साथ लॉ की पढ़ाई करने वाले एक सीनियर वकील ने बताया कि साल 1994 में वे फाइनल ईयर में थे, जब व्यावहारिक परीक्षा में कम नंबर देने का अनुराधा ने कड़ा विरोध किया और जब उसे अनसुना किया गया, तो उसने ब्लेड निगलकर जान देने की कोशिश की थी।

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अनुराधा ने जिला अदालत में असिस्टेंट डिस्ट्रिक्ट अटार्नी के रूप में अपने कैरियर की शुरुआत की। अनुराधा ने कैरियर में उतार-चढ़ाव देखे उसके स्वभाव और बेबाकी के चलते महिला जज से उसकी तू-तड़ाक भी हुई, जिसके चलते यूटी प्रशासन ने उसे 18 अप्रैल, 2002 को पद से हटा दिया। अनुराधा ने इस चुनौती को स्वीकार करते हुए सुप्रीम कोर्ट तक अपनी आवाज बुलंद की थी, लेकिन कुछ हाथ नहीं लगा था। अनुराधा ने इस हार को भी हार नहीं माना था। इसके बाद उसने पंजाब व हरियाण हाईकोर्ट में बतौर वकील प्रेक्टिस शुरू की। इस दौरान अनुराधा ने पंजाब व हरियाणा के वकीलों और राजनीतिक हस्तियों से दोस्ताना संबंध बनाए। इसके बाद हरियाणा की हुड्डा सरकार में वह हरियाणा की असिस्टेंट एडवोकेट जनरल के पद पर नियुक्त हुई। इसके पश्चात हरियाणा व पंजाब के एजी विभाग में भी उसकी नियुक्ति की बात चली। दोनों जगह उसकी नियुक्ति को लेकर विवाद सुर्खियों में रहा। अनुराधा का पारिवारिक जीवन सुखद नहीं रहा। पहली बार उसने 2009 में कैब सर्विस बिजनेस चलाने वाले और इसके बाद उसने हरियाणा के पूर्व उपमुख्यमंत्री चंद्रमोहन के साथ धर्म परिवर्तन कर मुस्लिम बनकर विवाद रचाया। दोनों विवाह ही उसे रास नहीं आए। सूत्रों का कहना है कि अनुराधा बाली ने चंद्रमोहन से बतौर वकील मेलजोल शुरू किया और बाद यह करीबी रिश्ते में बदल गया। अनुराधा बाली ने पंजाब व हरियाणा के संयुक्त सचिव पद के लिए भी चुनाव लड़ा। बहरहाल अनुराधा बाली से फिजा बनने के बाद उसकी जिंदगी उथल-पुथल भरी रही, मगर कहना होगा कि उसने हर चुनौती का अकेले मुकाबला किया और कभी हार नहीं मानी।

-दफनाया जाएगा या होगी अंत्येष्टि!

फिजा बनने के बाद भी जिंदगी को दाव पर लगाने वाली अनुराधा बाली के शव को मुस्लिम धर्मानुसार दफन किया जाएगा, या हिंदू धर्मानुसार उसकी अंत्येष्टि की जाएगी। यह सवाल अब सभी के जेहन में उबाल मार रहा है।

-हमेशा चर्चा में रहीं

महिन्द्रपाल कौशिक, मोहाली : अनुराधा बाली उर्फ फिजा हरियाणा के पूर्व उप मुख्यमंत्री चंद्रमोहन से शादी के बाद हमेशा चर्चा में रहीं। शादी के बाद जहा चंद्रमोहन मुस्लिम धर्म अपनाकर चाद मोहम्मद बन गए, वहीं अनुराधा बाली का नाम फिजा मोहम्मद हो गया। शादी के बाद लंबे समय तक चाद मोहम्मद लापता हो गए। फिर वह फिजा के सेक्टर-48 स्थित घर पर नजर आए और मीडिया के सामने घोषणा की कि उन्होंने धर्म बदल कर फिजा मोहम्मद उर्फ अनुराधा बाली से शादी कर ली है और अब वे पति-पत्‍‌नी हैं। दोनों का प्रेम विवाह ज्यादा समय तक नहीं चला। एक दिन अचानक रात को चंद्रमोहन गायब हो गए। बाद में फिजा के मोबाइल पर उनका तलाक-तलाक-तलाक का एसएमएस आया। इस पर फिजा ने चंद्रमोहन के भाई व पिता पर उन्हें बंधक बनाने का आरोप लगाया। काफी समय बाद वे अचानक फिर फिजा के घर पहुंच गए और उन्होंने मीडिया के सामने कहा कि वे पति-पत्‍‌नी हैं। कुछ समय बाद वह फिर फिजा को छोड़कर चले गए। इस पर फिजा ने मोहाली अदालत में केस कर दिया। चंद्रमोहन से अलगाव के बाद फिजा बुरी तरह टूट गई थीं, परंतु अपना धैर्य नहीं खोया था। उन्होंने फिजा-ए-हिंद नामक पार्टी बनाई, जिसकी वह अध्यक्ष बनीं। पिछले दिनों उन्होंने यूपी की राजनीति में उतरने की घोषणा की थी। वे अपने पूरे मोहल्लावासियों की आखों की किरकिरी बनी हुई थीं। उन्हें कई बार थानों तथा अदालतों के चक्कर भी लगाने पड़े। हाल ही में 25 जुलाई को फिजा ने अपना जन्मदिवस मनाया था। डेढ़ सप्ताह बाद फिजा की लाश संदिग्ध हालत में उनके घर से बरामद हुई।

-राखी वाले दिन फोन करते रहे राज निर्भीक

-जागरण संवाददाता, पंचकूला : राखी वाले दिन में मैं अनुराधा बाली उर्फ फिजा को काफी देर तक फोन करता रहा, लेकिन उसने फोन नहीं उठाया। मुझे संदेह है कि उसी दिन उसकी मौत हो गई थी। काफी देर तक फोन की घटी बजती रही, लेकिन कोई जवाब नहीं आया। यह कहना है फिजा के मुंह बोले भाई राज निर्भीक का। सेक्टर-2 में रहने वाले राज निर्भीक ने कहा कि चंद्रमोहन से हुए विवाद के कारण फिजा काफी दुखी थी। इस दौरान उसकी मुलाकात मुझसे हुई थी। फिजा ने मुझे अपना मुंहबोला भाई बनाया था। मैंने फिजा को काफी समझाया कि वह पुरानी बातों को भूल जाए और नई जिंदगी शुरू करे। परंतु वह उनसे उभर नहीं पाई। राज निर्भीक ने कहा कि वह चाहते थे कि फिजा अपना नाम केवल अनुराधा बाली ही रखे, जिसके बारे में उससे कई बार कहा भी था। राज निर्भीक ने कहा कि अनुराधा बाली को किसी साजिश का शिकार बनाया गया है। राज निर्भीक कई बार फिजा से मिले, लेकिन कभी भी उन्हें ऐसा अहसास नहीं हुआ कि वह खुदकुशी कर सकती है। राज निर्भीक ने पुलिस से माग की कि फिजा की मौत के सभी पहलुओं की जाच की जाए और जो भी मामले में दोषी हैं, उन पर कड़ी कार्रवाई की जाए।

-चंद्रमोहन के खिलाफ लड़ना चाहती थीं चुनाव

राजेश मलकानिया, पंचकूला: फिजा पंचकूला या कालका विधानसभा क्षेत्र से चुनाव लड़ना चाहती थीं। उन्होंने अपने पति एवं हरियाणा के पूर्व उपमुख्यमंत्री चंद्रमोहन को सबक सिखाने की ठान ली थी। उन्होंने कहा था कि चंद्रमोहन जहा से भी चुनाव लड़ेंगे, उनके खिलाफ वे लड़ेंगी। वह चंद्रमोहन के करीबी लोगों से संपर्क साध रही थीं, ताकि चंद्रमोहन की रणनीति के बारे में जानकारी मिलती रही। फिजा दरअसल इस बात से परेशान थीं कि शादी करके चंद्रमोहन ने उन्हें छोड़ दिया। चंद्रमोहन को फिजा ने कई बार अपने पास वापस लाने की कोशिश की, परंतु वह सफल नहीं हो पाई। फिर उन्होंने निर्णय कर लिया कि वह चंद्रमोहन को सबक सिखाने के लिए उनके खिलाफ चुनाव लड़ेंगी। उन्होंने अपना जनसंपर्क अभियान तेजकर चंद्रमोहन की खिलाफत करनी शुरू कर दी थी। पंचकूला से चुनाव लड़ने के लिए फिजा ने पंचकूला में एक मकान भी ले लिया था और उनका पंचकूला में आना-जाना लगा रहता था। मोहाली स्थित निवास स्थान में लगातार विवाद होने के चलते वह जल्द ही पंचकूला में आकर रहने की योजना बना रही थीं, लेकिन पंचकूला शिफ्ट करतीं, इससे पहले ही उनकी मौत हो गई है।

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