अमेरिकी कानून में फंसा पांच माह का बच्चा
16 मार्च 2016 को हुई सुनवाई के दौरान जयपुर फुट यूएसए के चेयरमैन प्रेम भंडारी, बच्चे के माता-पिता और उसके परिचित कोर्ट पहुंचे थे।
नरेन्द्र शर्मा, जयपुर। अमेरिका के न्यूजर्सी में अपने साढ़े पांच माह के बच्चे को वापस लेने की कानूनी लड़ाई लड़ रहे जयपुर के एक दंपती को अमरीका कोर्ट से राहत नहीं मिली। कोर्ट ने बच्चे को उन्हीं के परिचित की कस्टडी में सौंप रखा है। जनवरी में अमरीका कोर्ट ने सुनवाई पर सहमति दी थी कि बच्चे को उसके दादा-दादी या नाना-नानी की कस्टडी में सौंपा जा सकता है बशर्ते की दादा-दादी का चरित्र प्रमाण पत्र जयपुर पुलिस जारी करे अथवा नाना-नानी का चरित्र प्रमाण पत्र स्थानीय टोंक पुलिस जारी करें, जहां के वे मूल निवासी है।
इसके बाद से ही बच्चे के परिजन दादा-दादी एवं नाना-नानी का चरित्र प्रमाण पत्र बनाने में जुटे हैं। 16 मार्च 2016 को हुई सुनवाई के दौरान जयपुर फुट यूएसए के चेयरमैन प्रेम भंडारी, बच्चे के माता-पिता और उसके परिचित कोर्ट पहुंचे थे। तब कोर्ट में बच्चे के माता-पिता ने बच्चे के दादा-दादी एवं नाना-नानी का चरित्र प्रमाण पत्र जारी करने का आश्वासन दिया था। तीन माह बाद भी जयपुर पुलिस यहीं रहने वाले बच्चे के दादा-दादी का चरित्र प्रमाण पत्र जारी नहीं कर पाई। वहीं टोंक पुलिस ने नाना-नानी का प्रमाण पत्र बिना मुहर-हस्ताक्षर, दिनांक लिखे जारी कर दिया। जिसकी कोई प्रमाणिकता नहीं हैं। अब इस मामले की सुनवाई 11 मई को है।
इससे पहले यदि चरित्र प्रमाण पत्र न्यूजर्सी स्थित पारीक दंपती के वकील के पास पहुंच जाए तो बच्चा परिजनों को मिल सकता है। इस बारे में अमेरिका में रह रहे राजस्थानियों की संस्था राना के मीडिया चेयरमैन प्रेम भंडारी का कहना है कि जयपुर पुलिस कमीश्नर स्वयं चरित्र प्रमाण-पत्र देने के बजाय पुलिस थाने से दिलवाना चाहते है जबकि अमरीकी कोर्ट इसे मानने को तैयार नहीं है। उन्होंने कहा कि अब 11 मई तक चरित्र प्रमाण पत्र नहीं मिला तो वे खुद अमरीकी कोर्ट में पेश होकर हल्फनामा देंगे कि वे अमेरिकी कोर्ट के अफसर को राजस्थान भेज कर चरित्र प्रमाण पत्र की खुद ही जांच करा लें। इसके लिए वे स्वयं समस्त खर्च वहन करने को तैयार है।
ये है प्रकरण
जयपुर में सिरसी रोड निवासी आशीष पारीक टाटा कंसल्टेंसी सर्विस में प्रोजेक्ट मैनेजर के पद पर कार्यरत हैं। वे 10 अगस्त 2015 को अपनी पत्नी विदिशा के साथ अमेरिका के न्यूजर्सी में गए। वहीं पर 21 अक्टूबर को विदिशा ने बच्चे को जन्म दिया। जनवरी 2016 के प्रथम सप्ताह में विदिशा की गोद से बच्चा गिर गया था। बच्चे के इलाज के लिए अस्पताल लेकर गए। अस्पताल प्रशासन ने स्थानीय पुलिस को इसकी जानकारी दे दी। इस पर बच्चे के माता-पिता पर शेकिंग बेबी सिंड्रोम कानून लागू हो गया। बच्चे को कोर्ट ने उन्हीं के परिचित आलोक पारीक की कस्टडी में सौंप दिया। जिसके तहत माता-पिता बच्चे से मिल तो सकते हैं लेकिन वे बच्चे को अपने पास नहीं रख सकते। माता-पिता बच्चे को वापस लेने की कानूनी लड़ाई लड़ रहे हैं।