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पहले खटिया, फिर नाव.. तब एंबुलेंस तक पहुंची प्रसूता

मध्य प्रदेश के श्योपुर में एक प्रसूता को पहले खटिया और फिर नाव में बैठाकर नदी पार कराई गई तब जाके एंबुलेंस मिली।

By Kishor JoshiEdited By: Published: Mon, 19 Jun 2017 10:57 AM (IST)Updated: Mon, 19 Jun 2017 10:57 AM (IST)
पहले खटिया, फिर नाव.. तब एंबुलेंस तक पहुंची प्रसूता

श्योपुर, नईदुनिया प्रतिनिधि। श्योपुर किले के पीछे सीप नदी के उस पास बसे मालीपुरा निवासी द्वारिका पति गिर्राज माली का 25 दिन पूर्व सीजर से प्रसव हुआ था। उसके बाद लगाए टांके 5 दिन पहले काट भी दिए गए थे। टांके काटने के बाद महिला को कोई परेशानी नहीं होना चाहिए थी, लेकिन जल्दबाजी में टांके काटने से घाव नहीं भर पाए। पांच दिन पलंग पर आराम करने के बाद भी टांकों वाला स्थान रविवार सुबह अचानक से फट गया।

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इससे खून बहने के कारण महिला की हालत गंभीर हो गई और परिजन भी घबरा गए। इसके बाद एंबुलेंस जननी वाहन को फोन लगाकर मौके पर बुलाया गया, लेकिन नदी होने के कारण एंबुलेंस नदी के दूसरे तट पर खडी रह गई। जब तक ग्रामीण महिला को खटिया में डालकर एक किमी दूर सीप नदी के किनारे ले आए। नदी पार कराने के लिए नाव में महिला को बैठाया तो किनारे पर कीच़़ड में नाव फंस गई। मुश्किल से नाव निकाली और नदी पार कर महिला को एंबुलेंस में लाया गया।

अस्पताल से गायब डॉक्टर पहले खटिया से फिर नाव और फिर एंबुलेंस से अस्पताल आने में एक घंटे से ज्यादा लग गया। इसके बाद जब द्वारिका बाई को जिला अस्पताल में लाया गया तो अस्पताल में इलाज करने वाले डॉक्टर गायब थे। आधा घंटे तक परिजन डॉक्टरों की तलाश में अस्पताल में इधर से उधर दौ़़डते रहे। आधा घंटे बाद डॉ. बीएल यादव पहुंचे और महिला की गंभीर हालत को देखते हुए तत्काल उसे भर्ती करवाया और इलाज शुरू किया।

बारिश में प्रसूताओं को 7 दिन पहले भेजेंगे अस्पताल श्योपुर

जिले में 90 से अधिक ऐसे गांव हैं जहां पहली बारिश के बाद दुर्गम रास्ते कीचड से दलदली रूप ले लेते हैं। वहां से जननी वाहनों का पहुंचना मुश्किल हो जाएगा। इस समस्या को देखते हुए कलेक्टर अभिजीत अग्रवाल ने महिला बाल विकास विभाग को लगभग 20 दिन पहले ही दुर्गम रास्तों वाले गांवों की सूची तैयार करने और उन गांवों में प्रसूताओं की लिस्ट तैयार कर डिलीवरी समय से 7 दिन पहले नजदीकी स्वास्थ्य केंद्र या प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र पर भर्ती कराने के निर्देश दिए थे, लेकिन विभागीय लेटलतीफी के चलते अभी तक सिर्फ 11 गांव की ही पहचान की जा सकी। इधर मौसम विभाग अब कभी भी बारिश होने की चेतावनी दे रहा है। 

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