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इस फिल्म निर्देशक ने किया दावा, मदरसे में उनके साथ हुई 'गंदी बात'

एक मलयालम फिल्‍ममेकर ने कहा है कि मदरसे में तालीम हासिल करने के दौरान वहां के एक उस्‍ताद ने उनका यौन उत्‍पीड़न किया था। मलयालम फिल्म डायरेक्टर अली अकबर ने आरोप लगाया है कि जब वे चौथी जमात में थे तब उस्ताद ने उनके साथ अप्राकृतिक सेक्स किया था।

By Abhishek Pratap SinghEdited By: Published: Mon, 30 Nov 2015 03:51 PM (IST)Updated: Mon, 30 Nov 2015 04:07 PM (IST)
इस फिल्म निर्देशक ने किया दावा, मदरसे में उनके साथ हुई 'गंदी बात'

तिरुअनंतपुरम। एक मलयालम फिल्ममेकर ने कहा है कि मदरसे में तालीम हासिल करने के दौरान वहां के एक उस्ताद ने उनका यौन उत्पीड़न किया था। मलयालम फिल्म डायरेक्टर अली अकबर ने आरोप लगाया है कि जब वे चौथी जमात में थे तब उस्ताद ने उनके साथ अप्राकृतिक सेक्स किया था।

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इससे पहले मुस्लिम महिला पत्रकार वीपी राजीना ने फेसबुक पोस्ट मे खुलासा किया था कि उनके बचपन में किस तरह से मदरसे के उस्ताद लड़के व लड़कियों का यौन शोषण किया करते थे। इसके बाद महिला पत्रकार के दावे को लेकर काफी बवाल हुआ था और फेसबुक ने महिला पत्रकार के फेसबुक अकाउंट को ब्लॉक कर दिया था। हालांकि, केरल के प्रभावशाली सुन्नी नेता कांथापुरम अबू बकर मुसलियार ने महिला पत्रकार के इस दावे को खारिज करते हुए कहा था कि राज्य के मदरसों में किसी तरह का यौन उत्पीड़न नहीं होता।

आपको बता दें कि मुसलियार वहीं शख्स हैं, जिन्होंने कहा था कि औरत व मर्द को बराबरी का हक देना इस्लाम के खिलाफ है और महिलाएं केवल बच्चा पैदा करने के लिए ही होती हैं।

अली अकबर ने बताया, 'वो मदरसा कांथापुरम मुसलियार की ओर से ही चलाया जाता था। यदि वे इस मामले में दखल देने के लिए राजी हैं तो मैं उन्हें उस उस्ताद से जुड़ी जानकारियां देने के लिए तैयार हूं।'

अकबर ने बताया कि घटना के बाद कभी मदरसा नहीं गए। उन्होंने कहा, '70 के दशक के शुरुआती दिनों में उस घटना ने मुझे सालों तक डर के साये में रहना पड़ा। इतना ही नहीं, मैंने अपने बच्चों को कभी भी मदरसे में तालीम के लिए नहीं भेजने का फैसला किया है।'

अकबर ने बताया कि मदरसों में मुस्लिम छात्रों को छोटी उम्र में समलैंगिकता अपनाने के लिए उस्तादों की ओर से जोर-जबरदस्ती की जाती थी। उन्होंने कहा, 'उस्ताद से इस तरह के अनुभव पाने के बाद बहुत सारे स्टूडेंट्स क्लास के दूसरे बच्चों का उत्पीड़न शुरू कर देते थे। मैंने भी इस तरह के हालात सहे हैं, जो नर्क से कम नहीं रहे।'

बता दें कि महिला पत्राकर के दावों के बाद से ही मदरसों में बच्चों की जिंदगी पर बहस शुरू हो गई है। सोशल मीडिया पर भी लोग अपने अनुभव शेयर कर रहे हैं। बहुत सारे लोग सामने आए हैं, जिन्होंने बताया कि मदरसों में उनका कैसे शोषण हुआ।


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