कांग्रेस ने जीती गुरदासपुर सीट, लेकिन जाखड़-बाजवा की लड़ाई 2019 में भी दिखेगी?
साल 2016 के फरवरी में सुनील जाखड़ के पिता और लोकसभा में दो बार स्पीकर रहे के साथ ही मध्यप्रदेश के राज्यपाल बलराम जाखड़ का निधन हो गया।
नई दिल्ली, [स्पेशल डेस्क]। कभी-कभी ऐसा हो जाता है जिसका होना उसके भाग्य के चलते कहा जाता है। कुछ ऐसा ही हुआ है पंजाब के प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष सुनील जाखड़ के लिए जो पिछले साल विधानसभा में प्रतिपक्ष के नेता पद से हटाए जाने के बाद राज्यसभा में नॉमिनेशन के लिए जद्दोजहद कर रहे थे।
जाखड़-बाजवा हार चुके हैं 2014 का चुनाव
उस वक्त सुनील जाखड़ और तत्कालीन कांग्रेस अध्यक्ष प्रताप सिंह बाजवा दोनों ही 2014 का लोकसभा चुनाव अपने गृह संसदीय क्षेत्र फिरोजपुर और गुरदासपुर हार चुके थे। जबकि, कैप्टन अमरिंदर सिंह ने भाजपा के अमृतसर से उम्मीदवार अरुण जेटली को हराया था। दोनों को विधानसभा चुनाव से पहले नवंबर 2015 में उनके पद से हटा दिया गया। अमरिंदर के धुआंधार प्रचार के आगे बाजवा नहीं टिक पाए और उन्हें हटना पड़ा जबकि बाजवा के खिलाफ अमरिंदर के साथ झंडा उठाने के चलते उन्हें भी अपने पद से हटना पड़ा।
बाजवा को राज्यसभा भेजने पर भड़के जाखड़
साल 2016 के फरवरी में सुनील जाखड़ के पिता और लोकसभा में दो बार स्पीकर रहे के साथ ही मध्यप्रदेश के राज्यपाल बलराम जाखड़ का निधन हो गया। जिसके बाद अगले महीने राज्यसभा को दो सीट खाली हो गई जिनमें से एक सीट के लिए बाजवा का नोमिनेशन किया गया। जाखड़ उस वक्त किसी और को राज्यसभा भेजने की उम्मीद कर रहे थे जिन्हें बड़ा झटका लगा। उसके बाद बौखलाए जाखड़ ने पंजाब में पार्टी की केन्द्रीय नियुक्तियों की खुलेआम आलोचना की। जिसके बाद ऐसे कयास लगाए जाने लगे थे कि वे पार्टी को अलविदा कर सकते हैं। कांग्रेस के इस नेता ने किसी और तरफ मुड़कर नहीं देखा।
मई में जाखड़ को प्रदेश पार्टी की कमान
10 साल के बाद पंजाब में एक बार फिर से 2017 के फरवरी में कांग्रेस पार्टी सत्ता में आयी लेकिन सुनील जाखड़ लगातार पिछली तीन जीत के बावजूद वह अपने गृह क्षेत्र अबोहर में चुनाव हार गए। लेकिन, जिस तरह पार्टी के इस हिन्दू चेहरे की अगुवाई में चुनाव लड़ा गया और कांग्रेस के उपाध्यक्ष राहुल गांधी ने प्रदेश सरकार पर कुशासन का आरोप लगाया। उसके बाद मिली पार्टी की जीत के बाद सुनील जाखड़ को पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष की कमान दी गई। जाखड़ पंजाब के मुख्यमंत्री अमरिन्दर सिंह के विश्वस्त सहयोगी माने जाते हैं।
केन्द्र की राजनीति में मिला जाखड़ को स्थापित होने का मौका
लेकिन, पंजाब में सिख जाट के मुख्यमंत्री बन जाने के बाद सुनील जाखड़ की राज्य के ऊपर की महत्वाकांक्षा जाग गई। गुरदारपुर के संसदीय उप-चुनाव में रिकॉर्ड मतों से जीत ने उन्हें केन्द्र की राजनीति में स्थापित होने का एक मौका दिया है जिसकी उन्हें बहुत ज्यादा जरुरत थी।