सामने आया दुनिया की सबसे महंगी मुद्रा का जनक
ऑस्ट्रेलियाई उद्यमी क्रेग राइट ने विवादित डिजिटल मुद्रा बिटकॉइन का जनक होने का दावा किया है। इसकी पुष्टि के लिए राइट ने बीबीसी को कुछ तकनीकी प्रमाण भी दिए हैं।
सिडनी, रायटर । ऑस्ट्रेलियाई उद्यमी क्रेग राइट ने विवादित डिजिटल मुद्रा बिटकॉइन का जनक होने का दावा किया है। इसकी पुष्टि के लिए राइट ने बीबीसी को कुछ तकनीकी प्रमाण भी दिए हैं। बीबीसी के अनुसार बिटकॉइन समुदाय के प्रतिष्ठित सदस्यों ने भी इसकी पुष्टि की है। राइट ने सोमवार को एक ब्लॉग में इसे डेवलप करने की प्रक्रिया और कोडिंग को लेकर जानकारी भी साझा की है।
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उन्होंने बीबीसी को बताया कि कुछ अन्य लोगों की मदद से उन्होंने डिजिटल मुद्रा को डेवलप किया था। हालांकि उनके दावे पर कई लोग संदेह भी जता रहे हैं। इसका कारण यह है कि सातोशी नकामोतो को बिटकॉइन का जनक माना जाता है। लेकिन, नकामोतो कौन हैं इसके बारे में किसी को जानकारी नहीं। राइट ने भी खुद के नकामोतो होने को लेकर कोई प्रमाण नहीं दिए हैं।
द इकोनॉमिस्ट ने उनसे इस संबंध में प्रमाण मांगे थे। द इकोनॉमिस्ट ने कहा है कि यह संभव है कि राइट ही नकामोतो हों, पर कई महत्वपूर्ण सवालों का जवाब जब तक नहीं मिलता तब तक इसे प्रामाणिक नहीं माना जा सकता। विशेषज्ञों के अनुसार नकामोतो की पहचान से पर्दा उठना बिटकॉइन उद्योग के लिए काफी महत्वपूर्ण है। माना जाता है कि नकामोतो के पास करीब 10 लाख बिटकॉइन हो सकते हैं। यदि इसे आज बेच दिया जाय तो यह 44 करोड़ डॉलर मूल्य (करीब 2922 करोड़ रुपये) के बराबर होगा। राइट के दावे के बाद बिटकॉइन की कीमत में तीन फीसद की गिरावट आई। एक बिटकॉइन की कीमत करीब 455 डॉलर से गिरकर 440 डॉलर हो गई।
गौरतलब है कि दिसंबर में ऑस्ट्रेलियाई पुलिस ने राइट के सिडनी स्थित घर और दफ्तर पर छापा मारा था। वायर्ड पत्रिका की ओर से उनके बिटकॉइन का निर्माता होने और उनके पास लाखों डॉलर मूल्य की डिजिटल मुद्रा होने का अनुमान लगाने के बाद यह कार्रवाई की गई थी।
क्या है बिटकॉइन?
दुनिया का पहला ओपन पेमेंट नेटवर्क है। 2009 में इसकी शुरुआत हुई। कंप्यूटर नेटवर्को के जरिये बिना किसी मध्यस्थ के इसका लेन-देन किया जाता है। इसे डिजिटल वॉलेट में रखा जाता है। इसकी खरीद-बिक्री उसी तरह होती है जैसे रुपये, डॉलर या अन्य मुद्राओं की। बिटकॉइन को क्रिप्टोकरेंसी भी कहा जाता है। जटिल कंप्यूटर कोडिंग से इसका निर्माण किया जाता है और इस प्रक्रिया को माइनिंग कहते हैं। काला धन, हवाला और आतंकी गतिविधियों के लिए बढ़ते प्रयोग से यह मुद्रा विवादों में है।