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Gujarat Assembly Election: गुजरात में किसानों को मिलेगी सब्सिडी, शिक्षक होंगे स्थायी

गुजरात विधानसभा चुनाव से पहले प्रदेश सरकार ने किसानों से लेकर आशा वर्कर्स तक को कई सौगातें देने की घोषणा की है।

By Tilak RajEdited By: Published: Wed, 25 Oct 2017 09:11 AM (IST)Updated: Wed, 25 Oct 2017 11:28 AM (IST)
Gujarat Assembly Election: गुजरात में किसानों को मिलेगी सब्सिडी, शिक्षक होंगे स्थायी

अहमदाबाद, ब्यूरो। गुजरात विधानसभा चुनाव से पहले प्रदेश सरकार ने किसानों के लिए सौगातों की बरसात कर दी है। किसानों को बूंद-बूंद सिंचाई (ड्रिप इरिगेशन) के लिए 80 फीसदी सबसिडी और जीएसटी से मुक्ति मिलेगी। आशा वर्करों के वेतन में बढ़ोतरी होगी और अनुदानित विद्यालयों के शिक्षकों को स्थायी कर दिया जाएगा।

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उपमुख्यमंत्री नितिन पटेल ने बताया कि किसानों को ड्रिप इरिगेशन के लिए प्रोत्साहित करने के लिए उसके साधनों पर 70 से 80 फीसदी तक सबसिडी दी जाएगी तथा 18 फीसदी जीएसटी की रकम भी सरकार चुकाएगी। इस फैसले से सरकार पर 78 करोड़ रुपये का अतिरिक्त बोझ पड़ेगा। पटेल ने बताया कि ऑइल एंड नेचुरल गैस कॉर्पोरेशन (ओएनजीसी) की ओर से मेहसाणा, खेड़ा, आणंद, अंकलेश्वर आदि जिलों में किसानों के खेत में ड्रिलिंग, रिंग, पंपिंग स्टेशन आदि के किराए के लिए 17 हजार रुपये प्रतिमाह दिया जाता था जिसे केंद्र सरकार के निर्देश पर बढ़ाकर अब 24 हजार रुपये प्रतिमाह कर दिया गया है।

भारतीय किसान संघ के प्रमुख बाबूभाई पटेल बताते हैं कि राज्य में 49 लाख किसान हैं और हर साल एक लाख किसानों को बूंद-बूंद सिंचाई से जोड़ने का लक्ष्य रखा गया है। किसान संघ ने सरकार के समक्ष उपकरणों पर 18 फीसदी जीएसटी का मुद्दा उठाया था, जिसे सरकार ने खुद वहन करने का एलान कर दिया है।

सरकार ने राज्य में कार्यरत 40 हजार आशा वर्करों के मानद वेतन में 50 प्रतिशत बढ़ोतरी का एलान किया है, इससे सरकार की तिजोरी पर 58 करोड़ का बोझ पड़ेगा। अनुदानित विद्यालयों में दस वर्षों से पढ़ा रहे शिक्षकों को भी सरकार ने स्थायी करने की घोषणा की है, लेकिन उनका टीईटी पास होना आवश्यक होगा।

उपमुख्यमंत्री ने कहा कि अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति तथा ओबीसी वर्ग के छात्र-छात्राओं और नागरिकों को मिलने वाली सरकारी सहायता के नियमों में भी ढील दी गई है। इन वर्ग के लोगों के लिए सरकारी सहायता पाने की आय सीमा गांवों में 47 हजार से बढ़ाकर 1.20 लाख तथा शहरों में 67 हजार से बढ़ाकर 1.5 लाख कर दी गई है। इससे अधिक परिवारों को सरकारी मदद योजनाओं का लाभ मिल सकेगा।

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