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गंदी बस्ती से आसमान छूने वाली फिर कोलकता लौटीं

दो दशक पहले कोलकाता की गंदी बस्ती में पली-बढ़ी ब्रिटेन की एक कॉर्पोरेट ट्रेनर ने गरीब बस्ती के लोगों का जीवन बदलने के मकसद से फिर भारत लौटने का फैसला किया है। ब्रिटिश दंपति की संतान 43 वर्षीय जिलियन हसलम कोलकाता की किद्दरपुर बस्ती में घोर गरीबी के बीच बढ़ी हुई। यहां से निकलने के बाद वह एक सफल बैंक अधिकारी

By Edited By: Published: Wed, 30 Jul 2014 11:18 PM (IST)Updated: Wed, 30 Jul 2014 11:19 PM (IST)

कोलकाता। दो दशक पहले कोलकाता की गंदी बस्ती में पली-बढ़ी ब्रिटेन की एक कॉर्पोरेट ट्रेनर ने गरीब बस्ती के लोगों का जीवन बदलने के मकसद से फिर भारत लौटने का फैसला किया है।

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ब्रिटिश दंपति की संतान 43 वर्षीय जिलियन हसलम कोलकाता की किद्दरपुर बस्ती में घोर गरीबी के बीच बढ़ी हुई। यहां से निकलने के बाद वह एक सफल बैंक अधिकारी बन गई। जिलियन के माता-पिता 1947 में भारत के आजाद होने के बाद भारत में ही रुक गए थे। जिलियन कोलकाता मोटिवेशनल स्पीकर और कॉर्पोरेट ट्रेनर के रूप में लंदन चली गई थीं।

शहर को लौटाना चाहती हूं

जिलियन ने कहा- वास्तव में अब मैं अपने शहर कोलकाता को कुछ लौटाना चाहती हूं। मैं दूर चली गई थी, लेकिन मेरा दिल और आत्मा यहीं थे। इसलिए गरीबों, कैदियों, पूर्व कैदियों और उनके परिवारों के लिए ब्रिटेन में हुए अच्छे कामों को मैं यहां भी लागू करूंगी।

पुरानी यादें ताजा हो गई

शहर की यात्रा के दौरान जिलियन ने पुरानी यादें ताजा की। वे गंदी बस्ती में अपने उन पड़ोसियों से मिलीं जिन्होंने बुरे वक्त में उनके परिवार का साथ दिया था।

संस्था बनाई

अपनी संस्था रमेडिया ट्रस्ट फाउंडेशन के बैनर तले जिलियन ने स्वयंसेवियों की पांच टीमें बनाई हैं जो विभिन्न क्षेत्रों में काम करते हुए वंचितों के जीवन में बदलवा के मिशन पर काम करेंगे। उन्होंने सरकार से कोलकाता के निकट जमीन मांगी है और वादा किया कि वे नवंबर में फिर लौटेंगी।

ब्रिटेन में मिली सफलता

यूनेस्को की एक रिपोर्ट के आधार पर जिलियन ने एक कार्यक्रम तैयार किया है जिसे ई-3 [एजुकेट-इम्पॉवर-इम्लॉय] नाम दिया गया। ब्रिटेन में गरीब तबकों के लिए लागू इस कार्यक्रम को भारी सफलता मिली है। इस कार्यक्रम के तहत वेटर, बार टेंडर, टेलर, ब्यूटिशियन, आदि के रोजगारमूलक प्रशिक्षण दिए गए। जिलियन ने बताया कि इसके लिए रोजगार एजेंसियों की भी मदद लेंगे।

विकलांगों की भी मदद

जिलियन ने बताया कि वे गंदी बस्ती के नागरिकों के अलावा हम विकलांगों और थेलीसीमिया पीड़ित बच्चों के लिए काम करेंगे।

ब्रिटिश फर्म की मालकिन

जिलियन ब्रिटेन में 'हेल्प योरसेल्फ एसोसिएशन' नामक कॉर्पोरेट ट्रेनिंग फर्म चलाती हैं। दुनिया की कुछ जानीमानी कंपनियां उनके ग्राहकों में शुमार हैं।

गरीबी को पीछे छोड़ा

कोलकाता में बेघर और भूखे रहने जैसी बदहाली से ब्रिटेन की एक सफल व्यवसायी बनने के अपनी जिंदगी के सफर को याद करते हुए जिलियन ने कहा कि उन बुरे दिनों ने उन्हें तमाम मुश्किलों पर पार पाने की उम्मीद दी है।

घोर गरीब में गुजरा बचपन

अपने आप को 'कोलकाता गर्ल' कहने वाली जिलियन ने बताया कि हम 8 गुणा 10 फीट के कमरे में रहते थे, जिसमें बिजली भी नहीं थी। रोज कमाओ, रोज खाओ के हालात थे और मैं इन हालात से निकलने की उम्मीदें छोड़ चुकी थी। कुपोषण और गरीबी के कारण में अपने चार भाई-बहन खो चुकी थी। कुछ लोग हमें गाली देते थे तो कुछ लोग मदद भी करते थे।

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