सनसनीखेज दावा: सर्जिकल स्ट्राइक के बाद सेना के हर मूवमेंट पर थी नजर
मौलाना रमजान, सुभाष, शोएब सैन्य गतिविधियों एवं सामरिक दृष्टि से बेहद संवेदनशील व गोपनीय जानकारियां दुश्मन मुल्क को भेज चुका है।
नई दिल्ली, [विनीत त्रिपाठी]। उड़ी हमले के बाद भारतीय सेना द्वारा गुलाम कश्मीर में किए गए सर्जिकल स्ट्राइक के बाद से ही पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी की नजर सेना के मूवमेंट पर टिकी है। गिरफ्त में आए आइएसआइ के दोनों जासूस मौलाना रमजान एवं सुभाष जांगिड़ लगातार राजस्थान एवं गुजरात सीमा पर तैनात सेना, बीएसएफ एवं पैरा मिलिट्री के मूवमेंट पर नजर रखते थे। दोनों ही जासूस आइएसआइ तक ये सूचनाएं लगातार पहुंचा रहे थे कि भारतीय सेना की कौन सी टुकड़ी कब सीमा से मूव हुई और कौन सी नई टुकड़ी वहां पर तैनात की गई। कौन सा अफसर कब वहां आया और उसका रैंक क्या है। मौलाना रमजान, सुभाष, शोएब सैन्य गतिविधियों एवं सामरिक दृष्टि से बेहद संवेदनशील व गोपनीय जानकारियां दुश्मन मुल्क को भेज चुका है।
तस्वीरें: पाक की और से कई चौकियों पर भारी गोलाबारी, सीमा पर दहशत
सेना के ऑपरेशनल यूनिट की जानकारी दुश्मन मुल्क के लिए इस लिहाज से भी जरूरी होती है कि वह अपनी रणनीति बना सकें। उड़ी में आतंकी हमले के बाद भारत एवं पाक में तल्खी बढ़ने लगी थी। सीमा पर लगातार बढ़ते तनाव के बीच भारतीय सेना ने सर्जिकल स्ट्राइक कर गुलाम कश्मीर में कई आतंकी कैंपों को ध्वस्त कर दिया था। ऐसे में पाक सेना व आइएसआइ के लिए यह जरूरी हो गया था कि वह भारतीय सेना की गतिविधियों पर नजर रखे।
सैन्य काफिले पर हमले में शामिल जैश-ए-मोहम्मद के दो आतंकी पकड़े गए
राजस्थान के बाड़मेर इलाके में सेना के साथ आबादी भी रहती है। मौलाना रमजान भी वहीं रहता था। इस इलाके में रहने वाले कई बीएसएफ एवं सेना के सेवानिवृत्त अधिकारियों-जवानों से उसकी अच्छी जान-पहचान थी। जोधपुर निवासी शोएब वीजा एजेंट था और वह लोगों के पासपोर्ट बनवाने का काम करता था। शोएब के साथ मिलकर जासूसी करने वाला मौलाना रमजान पूरे इलाके से भली-भांति परिचित था। वह नई सैन्य टुकड़ी एवं अधिकारियों पर नजर रखकर सैन्य, बीएसएफ अधिकारियों के जरिये महत्वपूर्ण दस्तावेज व गोपनीय जानकारियां जुटाता था। वहीं सुभाष की आर्थिक तंगी को जानते हुए ही मौलाना उससे एक साल से जासूसी का काम करा रहा था। वह परचून की दुकान पर आने वाले सैन्य जवानों से संपर्क बढ़ाता था और उनसे बात-बात में जानकारी जुटाता था।
हर दस्तावेज के बदले एक लाख रुपये तक लेते थे जासूस
पुलिस सूत्रों की माने तो सेना की गोपनीय जानकारियों एवं दस्तावेजों के बदले जासूस मौलाना रमजान, शोएब और सुभाष मोटी रकम वसूलते थे। वे गोपनीय दस्तावेज के लिए 50 हजार से एक लाख रुपये तक वसूल करते थे। कई बार रकम सूचना पर निर्भर करती थी। सेना की यूनिट एवं अफसरों के मूवमेंट की जानकारी देने पर जासूसों को दो लाख रुपये भी दिए जाते थे।