एस्सार समूह ने बैंक को लौटाया ढाई अरब डॉलर का कर्ज
एस्सार समूह ने बीते हफ्ते शनिवार को बिक्री सौदे की घोषणा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के बीच बैठक के दौरान की थी।
मुंबई, प्रेट्र। एस्सार समूह ने रोसनेफ्ट की अगुआई वाले कंसोर्टियम से देश का सबसे बड़ा एफडीआइ सौदा करने के बाद कर्ज लौटाना शुरू कर दिया है। कर्ज बोझ तले दबे समूह ने सबसे पहले स्टैंडर्ड एंड चार्टर्ड (स्टैनचार्ट), आइसीआइसीआइ और एक्सिस बैंक को 2.5 अरब डॉलर का लोन चुकाया है। पिछले 15 अक्टूबर को एस्सार ने तेल रिफाइनिंग, पोर्ट और पेट्रोल पंप कारोबार कंसोर्टियम को लगभग 13 अरब डॉलर (करीब 88,000 करोड़ रुपये) में बेचने का एलान किया था। समूह पहले ही कह चुका है कि वह इसमें से अधिकांश राशि का इस्तेमाल कर्ज चुकाने में करेगा। ऐसे समय जब कई कॉरपोरेट बैंकों से कर्ज लेकर डिफॉल्टर बन गए हैं, समूह ने लोन वापसी का बड़ा फैसला लिया है।
समूह की ओर से लौटाई गई राशि में सबसे ज्यादा स्टैनचार्ट को 2.1 अरब डॉलर वापस मिले हैं। इस ब्रिटिश बैंक ने एस्सार को 3.3 अरब डॉलर का कर्ज दे रखा है। इसके अलावा बैंक ने अपने 85 करोड़ रुपये बट्टेखाते में डालने की घोषणा की है। बाकी के 40 करोड़ डॉलर का कर्ज समूह के पोर्ट और अन्य कारोबारों के पास ट्रांसफर कर दिया जाएगा।
दो प्रमुख निजी बैंकों- आइसीआइसीआइ और एक्सिस का एस्सार पर 1.5 अरब डॉलर का कर्ज बकाया था। इसमें से 77 करोड़ डॉलर दोनों बैंकों को नकदी में मिलेंगे। जबकि 75 करोड़ डॉलर की कर्ज राशि रूस की कंपनी रोसनेफ्ट के नेतृत्व वाले कंसोर्टियम और पोर्ट व अन्य कारोबार के पास ट्रांसफर हो जाएगी। फिलहाल आइसीआआइ और एक्सिस को कुल 45 करोड़ डॉलर वापस मिले हैं।
एस्सार ऑयल को रुइया परिवार ने 10 साल से भी अधिक समय में बड़ी मेहनत से खड़ा किया था। एस्सार ऑयल के डायरेक्टर प्रशांत रुइया ने दावा किया कि सौदे से मिली रकम से 45,000 करोड़ रुपये का कर्ज उतारेंगे। इसके बाद समूह पर कर्ज 90,000 करोड़ से घटकर 45,000 करोड़ रह जाएगा। यह किसी भारतीय कंपनी की तरफ से सबसे अधिक कर्ज घटाने का मामला है। ईरान से खरीदे गए कच्चे तेल के भुगतान के लिए भी सौदे में मिली राशि का इस्तेमाल किया जाएगा।
अलबत्ता, इस सौदे का कोई फायदा सरकारी क्षेत्र के बैंकों को नहीं मिलेगा, क्योंकि उन्होंने एस्सार स्टील को लोन दे रखा है। वर्ष 2015 में क्रेडिट सुइस की एक रिपोर्ट में एस्सार समूह पर करीब एक लाख करोड़ रुपये का कर्ज बताया गया था। यह भी संकेत दिया गया था कि समूह को हो रही कमाई ब्याज चुकाने के लिए भी काफी नहीं है। एस्सार समूह अब स्टील, पोर्ट्स व ब्रिटेन में तेल रिफाइनिंग कारोबार को बढ़ाने पर ध्यान देगा। पहले भी रुइया बंधु कारोबार खड़ा करने के बाद उसे बेच चुके हैं। वर्ष 2008 में उसने टेलीकॉम कंपनी हच-एस्सार में 33 फीसद हिस्सेदारी पांच अरब डॉलर में बेची थी। इसका इस्तेमाल समूह ने स्टील और विदेश में तेल संपत्तियां खरीदने के लिए किया था।
एस्सार समूह ने बीते हफ्ते शनिवार को बिक्री सौदे की घोषणा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के बीच बैठक के दौरान की थी। एस्सार ऑयल को रूसी सरकारी कंपनी रोसनेफ्ट ने दो साझेदारों के साथ मिलकर खरीदा है। कंपनी की 98 फीसद हिस्सेदारी का यह सौदा 12.9 अरब डॉलर में हुआ। इसके जरिये देश में सबसे बड़ा प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआइ) आएगा। रोसनेफ्ट ने 49 प्रतिशत हिस्सेदारी ली है। नीदरलैंड की कमोडिटी ट्रेडिंग फर्म ट्राफिगुरा व रूसी निवेश फंड यूनाइटेड कैपिटल पाटर्नर्स ने 49 फीसद हिस्सेदारी खरीदी है।
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