47 साल से 35 रुपये वेतन पा रहा एक कर्मचारी
कालना के सुल्तानपुर निवासी भद्रेश्वर पाल एक ऐसे अनोखे कर्मचारी हैं जो पिछले 47 साल से सुल्तान जूनियर बेसिक हाई स्कूल में माली सह नाइट गार्ड की सरकारी नौकरी कर रहे हैं। लेकिन, आज तक उनके वेतन में एक नये पैसे की बढ़ोतरी नहीं हुई है। उनका वेतन आज भी 35 रुपये मासिक है। 73 साल की उम्र में भी वह कार्यरत ह
वर्द्धमान [रंजन गोस्वामी]। कालना के सुल्तानपुर निवासी भद्रेश्वर पाल एक ऐसे अनोखे कर्मचारी हैं जो पिछले 47 साल से सुल्तान जूनियर बेसिक हाई स्कूल में माली सह नाइट गार्ड की सरकारी नौकरी कर रहे हैं। लेकिन, आज तक उनके वेतन में एक नये पैसे की बढ़ोतरी नहीं हुई है। उनका वेतन आज भी 35 रुपये मासिक है। 73 साल की उम्र में भी वह कार्यरत हैं और आज भी नौकरी से विदाई की बाट जोह रहे हैं। लेकिन प्रशासन उनकी सेवा से इतना 'प्रभावित' है कि उन्हें सेवामुक्त करना ही नहीं चाहता।
बकौल भद्रेश्वर पाल उन्हें 24 अगस्त 1966 को जिला स्कूल बोर्ड ने बतौर माली सह नाइट गार्ड सुल्तान जूनियर बेसिक हाई स्कूल में नियुक्त किया गया था। उस समय ही उन्हें 35 रुपये वेतन मिलता था, उनकी उम्र तब 26 वर्ष थी। उसके बाद से उन्हें भुला दिया गया। उन्होंने जिला प्राइमरी स्कूल काउंसिल को 6 दिसंबर, 2007 में अपनी सेवानिवृत्ति और वेतन वृद्धि के लिए पत्र दिया था। परंतु, उसका कोई जवाब नहीं आया। 1997 से स्कूल में बतौर अध्यापक नियुक्त शेख अब्दुल हमीद ने बताया कि भद्रेश्वर के वेतन और अन्य सुविधाओं के मुद्दे पर जिला शिक्षा विभाग के उच्च अधिकारियों से संपर्क किया गया, लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ। तत्कालीन प्रधानाचार्य अरविंद सामंत ने साफ कह दिया था कि उसका कोई नियुक्ति पत्र ही नहीं है। उनके रिटायर होने के बाद उनकी अलमारी से भद्रेश्वर पाल का नियुक्ति पत्र मिला। इस संबंध में जब जिला निरीक्षक प्राइमरी स्कूल सुकुमार राय से पूछा गया तो उन्होंने बताया कि पहले माली और गार्ड का पैसा प्राचार्य के पास जाता था। वे ही इसका भुगतान करते थे। सारे भुगतान सरकारी नियमानुसार होते हैं।
उन्होंने आश्वासन दिया कि वह भद्रेश्वर के विषय में काउंसिल से जानकारी मांगेंगे। इसके बाद आवश्यकतानुसार कदम उठाए जाएंगे। स्कूल के मौजूदा प्रधानाध्यापक विद्युत चक्रवर्ती ने बताया कि फिलहाल स्कूल कर्मचारी और स्थानीय पंचायत पाल की आर्थिक मदद करते हैं। स्कूल प्रांगण में ही उनके रहने की व्यवस्था है। उनके भाई खुदीराम ने बताया कि भद्रेश्वर अविवाहित रहे। उन्हें स्कूल के बच्चों के बीच रहना अच्छा लगता है। लेकिन अब भद्रेश्वर का शिथिल शरीर सेवानिवृत्ति का लाभ मांग रहा है। पर, व्यवस्था को फिलहाल यह मंजूर नहीं। पैर में गंभीर घाव से त्रस्त भद्रेश्वर अस्पताल से डिस्चार्ज हुए हैं और फिलहाल भाई के साथ रह रहे हैं। ठीक होने के बाद फिर स्कूल जाना है। क्योंकि आखिर सरकारी कर्मचारी हैं।
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