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उत्‍तराखंड: गजराज पर यमराज सवार, संजीदा नहीं सरकार

राजाजी टाइगर रिजर्व व हरिद्वार वन प्रभाग के जंगलों में बीते सात माह में आधा दर्जन से अधिक हाथियों की भिन्न-भिन्न परिस्थितियों में यहां मौत हो चुकी है, पर अधिकारी संजीदा नहीं हैं।

By Sunil NegiEdited By: Published: Tue, 28 Mar 2017 01:27 PM (IST)Updated: Wed, 29 Mar 2017 05:01 AM (IST)
उत्‍तराखंड: गजराज पर यमराज सवार, संजीदा नहीं सरकार
उत्‍तराखंड: गजराज पर यमराज सवार, संजीदा नहीं सरकार
हरिद्वार, [राहुल गिरि]: राजाजी टाइगर रिजर्व व हरिद्वार वन प्रभाग के जंगलों में हाथियों की मौत का सिलसिला थमने का नाम नहीं ले रहा। बीते सात माह में आधा दर्जन से अधिक हाथियों की भिन्न-भिन्न परिस्थितियों में यहां मौत हो चुकी है, लेकिन विभागीय अधिकारी इसे लेकर संजीदा नजर नहीं आ रहे। 
स्थिति यह है कि जंगल में हाथी की मौत का पता भी विभागीय अधिकारियों को पांच से सात दिन बाद चलता है। इससे जंगल में वनकर्मियों की ओर से की जाने वाली गश्त पर भी सवाल उठने लगे हैं।
राजाजी टाइगर रिजर्व पार्क एशियाई हाथियों की प्रमुख सैरगाह के रूप में मशहूर है। पार्क की लगभग सभी रेंजों में हाथियों के झुंड विचरण और नदियों के किनारे अठखेलियां करते देखे जा सकते हैं। हालांकि, मानवीय हस्तक्षेप के चलते झुंडों में हाथियों की संख्या घटी है। खास बात यह कि आए दिन हाथियों की मौत होने से पार्क प्रशासन चिंतित तो दिखता है, मगर हाथियों को बचाने के लिए कोई ठोस उपाय पार्क प्रशासन के पास नहीं है। 
यही वजह है कि बीते सात माह में भिन्न-भिन्न कारणों से नौ हाथी पार्क में जान गंवा चुके हैं। सितंबर 2016 से लेकर 22 मार्च 2017 तक के आंकड़े देखें तो सितंबर में एक हाथी व उसके बच्चे की मौत हुई। जबकि, अक्टूबर व नवंबर में दो-दो, दिसंबर में एक और इस वर्ष फरवरी व मार्च में एक-एक हाथी ने दम तोड़ा।   
गश्त पर उठ रहे सवाल
जंगलों में चौबीसों घंटे मुश्तैदी के साथ गश्त करने का दम विभागीय अधिकारियों की ओर से भरा जाता है। लेकिन, हाथियों की मौत की सूचना अधिकारियों पांच से सात दिन बाद मिल पाती है। ऐसे में सवाल उठना लाजिमी है कि जब वनकर्मी जंगल में नियमित गश्त करते हैं तो हाथियों की मौत का पता उन्हें क्यों नहीं लग पाता। 
हाथियों की इस तरह मौत होना है दुखद 
राजाजी टाइगर रिजर्व के निदेशक सनातन सोनकर का कहना है कि हाथियों की इस तरह मौत होना दुखद है। पार्क में हाथियों को संरक्षित करने के लिए और अधिक प्रयास किए जाएंगे। वनकर्मियों को सख्त निर्देश दिए गए हैं कि गश्त में किसी भी तरह की लापरवाही बर्दाश्त नहीं की जाएगी।   
इस तरह हुई हाथियों की मौत
  • 15 सितंबर: हरिद्वार रेंज में हाइटेंशन लाइन की चपेट में आकर मादा हाथी व उसके बच्चे की मौत।
  • छह अक्टूबर: श्यामपुर रेंज में पहाड़ी से गिरकर हाथी के बच्चे की मौत।
  • 15 अक्टूबर: मोतीचूर रेंज में ट्रेन की चपेट में आकर मादा हाथी की मौत।
  • सात नवंबर: खानपुर रेंज की कांसरो नदी में मादा हाथी की मौत।
  • 30 नवंबर: चीला रेंज की सोनी स्रोत पुलिस चौकी के पास जंगल में हाईटेंशन लाइन की चपेट में आकर मादा हाथी की मौत।
  • 24 दिसंबर: राजाजी टाइगर रिजर्व की रवासन यूनिट में पहाड़ी से गिरकर हथिनी की मौत। 
  • चार फरवरी: राजाजी टाइगर रिजर्व की चीला रेंज के पालतू हाथी योगी की रहस्यमयी बीमारी से मौत। 
  • 23 मार्च: राजाजी टाइगर रिजर्व की हरिद्वार रेंज के खडख़ड़ी कंपार्टमेंट के जंगल में हाथी का सड़ा-गला शव मिला।

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