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कम हो रहे हैं चुनावी अखाड़े के सूरमा

उम्मीदवारों की लंबी सूची में से अपने पसंद के उम्मीदवार को चुनकर उसके नाम के आगे बटन दबाना मतदाताओं के लिए बड़ी चुनौती होती है, लेकिन, दिल्ली विधानसभा चुनाव में यह समस्या दूर हो रही है। यदि अब तक हुए विधानसभा चुनावों के आंकड़ें पर नजर डालें तो यहां चुनावी अखाड़े में उतरने वाले सूरमाओं की संख्या में काफ

By Edited By: Published: Tue, 29 Oct 2013 08:42 PM (IST)Updated: Tue, 29 Oct 2013 08:43 PM (IST)
कम हो रहे हैं चुनावी अखाड़े के सूरमा

नई दिल्ली [संतोष कुमार सिंह]। उम्मीदवारों की लंबी सूची में से अपने पसंद के उम्मीदवार को चुनकर उसके नाम के आगे बटन दबाना मतदाताओं के लिए बड़ी चुनौती होती है, लेकिन, दिल्ली विधानसभा चुनाव में यह समस्या दूर हो रही है। यदि अब तक हुए विधानसभा चुनावों के आंकड़ें पर नजर डालें तो यहां चुनावी अखाड़े में उतरने वाले सूरमाओं की संख्या में काफी कमी आई है।

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वर्ष 1993 में हुए विधानसभा चुनाव में न सिर्फ मतदाताओं में भारी उत्साह था बल्कि चुनाव लड़ने वाले भी खासे उत्साहित थे। उस चुनाव में 1316 उम्मीदवार चुनावी अखाड़े में उतरे थे। सबसे ज्यादा नसीरपुर विधानसभा क्षेत्र में 45 उम्मीदवार मैदान में थे। जबकि प्रति विधानसभा क्षेत्र से उम्मीदवारों की औसत संख्या 19 थी। औसत उम्मीदवारों के हिसाब से देखा जाए तो प्रत्येक मतदान केंद्र पर दो ईवीएम (इलेक्ट्रानिक वोटिंग मशीन) लगाने की जरूरत पड़ी थी, क्योकि एक ईवीएम में मात्र 16 बटन होते हैं।

उम्मीदवारों की इतनी संख्या बाद के किसी भी विधानसभा चुनाव में देखने को नहीं मिली। कुल व औसत उम्मीदवारों की संख्या में कमी आने के साथ ही बाद के चुनावों में 15 से ज्यादा उम्मीदवारों की संख्या वाले विधानसभा क्षेत्रों की संख्या भी कम हो गई है। पहले विधानसभा में जहां इस तरह के विधानसभा क्षेत्रों की संख्या 46 थी वहीं पिछले चुनाव में इस तरह के 15 विधानसभा क्षेत्र थे। पिछले विधानसभा चुनाव में तो घोंडा विधानसभा क्षेत्र से मात्र तीन उम्मीदवार चुनाव मैदान में थे।

उम्मीदवारों की संख्या कम होना सभी के लिए सुविधाजनक है। माना जाता है कि उम्मीदवारों की भीड़ में अधिकांश ऐसे लोग होते हैं जो कि चुनाव लड़ने को लेकर गंभीर नहीं होते हैं। सिर्फ शौकिया तौर पर चुनाव मैदान में उतर जाते हैं। जबकि कई ऐसे लोग होते हैं जो कि दूसरे उम्मीदवारों को अप्रत्यक्ष सहयोग देने के लिए चुनाव मैदान में नजर आते हैं। उनके चुनाव खर्च सीमा व वाहनों का उपयोग कोई और उम्मीदवार करता है। इस तरह के उम्मीदवारों पर चुनाव आयोग अब कड़ी नजर रखेगा। जिससे कि डमी उम्मीदवार चुनाव मैदान में नहीं उतर सकें।

1993 का विधानसभा चुनाव :-

कुल उम्मीदवार-1316

प्रति विधानसभा क्षेत्र से औसत उम्मीदवार-19

सबसे कम उम्मीदवार- 8 (बवाना विधानसभा क्षेत्र)

सबसे अधिक उम्मीदवार-45 (नसीरपुर विधानसभा क्षेत्र)

1998 का विधानसभा चुनाव :-

कुल उम्मीदवार-815

प्रत्येक विधानसभा क्षेत्र से औसत उम्मीदवार-12

सबसे कम उम्मीदवार- 5 (शकूरबस्ती विधानसभा क्षेत्र)

सबसे अधिक उम्मीदवार-47 (नसीरपुर विधानसभा क्षेत्र)

2003 का विधानसभा चुनाव :-

कुल उम्मीदवार-817

प्रत्येक विधानसभा क्षेत्र से औसत उम्मीदवार-12

सबसे कम उम्मीदवार- 4 (मंगोलपुरी विधानसभा क्षेत्र)

सबसे अधिक उम्मीदवार-29 (नसीरपुर विधानसभा क्षेत्र)

2008 का विधानसभा चुनाव :-

कुल उम्मीदवार-875

प्रत्येक विधानसभा क्षेत्र से औसत उम्मीदवार-13

सबसे कम उम्मीदवार- 3 (घोंडा विधानसभा क्षेत्र)

सबसे अधिक उम्मीदवार-25 (नई दिल्ली विधानसभा क्षेत्र)

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