चुनाव आयोग का बड़ा फैसला, अखिलेश करेंगे 'साइकिल' की सवारी
चुनाव आयोग के पास मुलायम और अखिलेश दोनों ही खेमे की तरफ से साइकिल चुनाव चिन्ह को लेकर दावेदारी पेश की गई थी।
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में मतदान से पहले ही मुख्यमंत्री अखिलेश यादव को सोमवार को एक बड़ी जीत हासिल हो गई। समाजवादी पार्टी का नाम और इसका चुनाव चिह्न साइकिल दोनों पर ही अखिलेश का हक होगा। केंद्रीय चुनाव आयोग ने पार्टी संस्थापक और उनके पिता मुलायम सिंह यादव के तमाम दावों को दरकिनार करते हुए अखिलेश को ही कानूनी उत्तराधिकारी घोषित कर दिया।
केंद्रीय चुनाव आयोग ने इस विवाद पर सोमवार को दिए अपने फैसले में कहा कि अखिलेश यादव की ओर से दिए गए शपथपत्रों के आधार पर यह साफ है कि इस गुट को पार्टी के विधायी और सांगठनिक दोनों ही इकाइयों के अंदर भारी बहुमत हासिल है। आयोग ने कहा है कि इसने सादिक अली मामले में सुप्रीम कोर्ट की ओर से दिए गए फैसले को ध्यान में रखते हुए बहुमत को ही पार्टी पर नियंत्रण का अधिकार माना है।
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कोर्ट के इस आदेश के बाद से आयोग ने ऐसे हर विवाद में सिर्फ इसी पैमाने को अपनाया है। ऐसे में अखिलेश यादव गुट ही समाजवादी पार्टी के नाम और इसके लिए सुरक्षित चुनाव चिह्न साइकिल का उपयोग करने का हकदार होगा। सोमवार शाम को जारी किए गए इस आदेश पर मुख्य चुनाव आयुक्त नसीम जैदी के अलावा दोनों और आयुक्तों ओपी रावत और एके जोती के भी दस्तखत हैं। मंगलवार से ही उत्तर प्रदेश में नामांकन प्रक्रिया शुरू हो रही है। ऐसे में आयोग पर सोमवार को ही अपना फैसला देने का दबाव था।
मुलायम ने नहीं दिए शपथपत्र
आयोग ने अपने फैसले में कहा है कि मुलायम गुट की ओर से लगातार दिए गए मौकों के बावजूद अपने पक्ष में कोई शपथपत्र ही नहीं पेश किया गया। ये दावा करते रहे कि पार्टी में कोई फूट नहीं है और वे ही पार्टी के अध्यक्ष हैं। मगर बार-बार दिए गए मौकों के बावजूद इस दावे के पक्ष में पार्टी के निवार्चित सदस्यों या पदाधिकारियों के कोई शपथपत्र दाखिल नहीं किए गए।
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इसी तरह इन्होंने यह तो कहा कि अखिलेश गुट के शपथपत्र फर्जी हैं, मगर उन्हें एक भी ऐसा नाम बताने को कहा गया जिसका शपथपत्र फर्जी हो, तो वे इसमें नाकाम रहे। राज्य में मुख्यमंत्री अखिलेश और उनके पिता मुलायम के बीच पिछले कुछ महीनों से खुले आम वर्चस्व का संघर्ष जारी था। इस दौरान चुनाव की घोषणा होने के बाद दोनों ही गुट ने पार्टी और इसके चुनाव चिह्न पर आयोग में दावा किया था। अखिलेश यादव और रामगोपाल यादव की ओर से किए गए दावे के समर्थन में वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल और राजीव धवन सहित छह वकीलों की टीम आयोग में पेश हुई थी, वहीं मुलायम गुट की ओर से मोहन पराशरन और एन हरिहरण के नेतृत्व में 11 वकीलों की टीम पैरवी कर रही थी।