मानेसर जमीन घोटाले में अब ईडी हुआ सक्रिय, 10 झगहों पर छापेमारी
सीबीआइ की एफआइआर के बाद ईडी ने पिछले साल इस मामले की मनी लांड्रिंग रोकथाम कानून के तहत जांच शुरू की थी।
नई दिल्ली, जागरण ब्यूरो। जमीन घोटाले के आरोपों में हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री भूपिंदर सिंह हुडा की मुश्किलें बढ़ती जा रही है। पिछले हफ्ते सीबीआइ की नौ घंटे की पूछताछ के बाद प्रवर्तन निदेशालय ने इस मामले में 10 स्थानों पर छापा मारा है। ईडी इस मामले में मनी लांड्रिंग की जांच कर रही है। आरोप है कि भूपेंद्र सिंह हूडा के मुख्यमंत्री रहने के दौरान मानेसर समेत तीन गांवों में जमीन अधिग्रहण का नोटिस जारी कर और फिर उसे वापस लेकर किसानों को 1500 करोड़ रुपये का चूना लगाया गया था।
सीबीआइ की एफआइआर के बाद ईडी ने पिछले साल इस मामले की मनी लांड्रिंग रोकथाम कानून के तहत जांच शुरू की थी। ईडी ने गुरूवार को गुरूग्राम और दिल्ली में कुल 10 स्थानों पर छापा मारा। ईडी के निशाने पर मानेसर समेत तीन गांवों में किसानों को डराकर सस्ती जमीन खरीदने वाले बिल्डरों के अलावा जमीन अधिग्रहण का नोटिस जारी करने और फिर वापस लेने वाले अधिकारी भी शामिल हैं।
ईडी के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि हरियाणा सरकार ने भूमि अधिग्रहण का डर दिखाकर किसानों को अपनी जमीन बिल्डरों के हाथों बेचने के लिए मजबूर किया था। मानेसर, नखड़ौला एवं नौरंगपुर के किसानों को 912 एकड़ भूमि अधिग्रहण के लिए 27 अगस्त 2004 को सेक्शन चार का नोटिस दिया गया। उस दौरान प्रदेश में इनेलो की सरकार थी। कांग्रेस की सरकार आने के बाद किसानों ने जमीन रिलीज करने की गुहार लगाई लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई। इसके बजाय 25 अगस्त 2005 को सेक्शन छह का नोटिस जारी कर दिया गया।
सेक्शन छह का नोटिस जारी होते ही बिल्डरों के एजेंट ग्रामीणों को अधिग्रहण का डर दिखाकर जमीन बेचने का दबाव बनाने लगे। इन एजेंटों का कहना था कि दो साल में फाइनल नोटिस यानी सेक्शन 9 का नोटिस जारी कर दिया गया। इस नोटिस के बाद सरकार जमीन अधिग्रहण की प्रक्रिया शुरू करती। डर से किसानों ने अपनी जमीन बेचना ही मुनासिब समझा क्योंकि सरकार के अधिग्रहण की स्थिति में बहुत ही कम कीमत मिलती। लेकिन हरियाणा सरकार ने उल्टा फैसला लिया और 2007 में सेक्टर छह का नोटिस ही वापस ले लिया। इस तरह 400 एकड़ जमीन बिल्डरों ने अधिकारियों के साथ मिलीभगत कर खरीद ली।
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