नोटबंदी से अर्थव्यवस्था की रफ्तार धीमी पड़ने की आशंका
ब्रोकरेज फर्म डीबीएस का मानना है कि नोटबंदी के चलते जीवीए पर करीब चालीस से अस्सी बेसिस प्वाइंट का असर आएगा।
नई दिल्ली, (जागरण ब्यूरो)। नोटबंदी के फैसले का असर अर्थव्यवस्था की रफ्तार पर पड़ने की आशंका अब गहराने लगी है। औद्योगिक और सेवा क्षेत्र पर इसका सबसे अधिक असर दिखने के आसार बन रहे हैं। इसके चलते ब्रोकरेज एजेंसियां चालू वित्त वर्ष के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में आधा फीसद की कमी की आशंका जता रही हैं। लगभग सभी एजेंसियों का मानना है कि चालू वित्त वर्ष में 7.6 फीसद के जीडीपी के अनुमान को पाना अब मुश्किल होगा।
ब्रोकरेज फर्म डीबीएस का मानना है कि नोटबंदी के चलते जीवीए पर करीब चालीस से अस्सी बेसिस प्वाइंट का असर आएगा। इसकी वजह से 7.6 फीसद का लक्ष्य पाना संभव नहीं रहेगा। डीबीएस के मुताबिक इस फैसले का सबसे अधिक असर कंज्यूमर गुड्स और बाकी खर्चो पर होगा। इन एजेंसियों का मानना है कि इसका असर अभी कम से कम दो तिमाही तक दिखने की उम्मीद है। एम्बिट कैपिटल का मानना है कि जीडीपी में आधा फीसद तक की कमी आ सकती है।
जापानी एजेंसी नोमूरा का मानना है कि अर्थव्यवस्था की रफ्तार अब अगले वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही के बाद ही बढ़ने की उम्मीद है। एजेंसी के मुताबिक नोटबंदी से जीडीपी की वृद्धि की रफ्तार चौथी तिमाही में 6.5 फीसद तक सीमित हो सकती है। सरकार को अर्थव्यवस्था की रफ्तार बढ़ाने के लिए ब्याज दरों में कमी जैसे उपायों का इस्तेमाल करना होगा।
उधर इक्रा का मानना है कि नोट बंदी का फैसला बेहतर मानसून के चलते कृषि क्षेत्र की रफ्तार को बेअसर कर देगी। इक्रा की अर्थशास्त्री अदिति नायर का मानना है कि नोटबंदी औद्योगिक और सेवा क्षेत्र की रफ्तार को धीमा कर देगी जिसकी वजह से अर्थव्यवस्था में कृषि क्षेत्र की बढ़ी दर बेअसर हो जाएगी।
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