राजनीतिक दलों के दो हजार से ज्यादा बेनामी चंदे पर लगे रोक: चुनाव आयोग
चुनाव आयोग ने सरकार को चुनाव सुधार को लेकर जो प्रस्ताव भेजे हैं उनके मुताबिक, ' अज्ञात स्रोतों से 2 हजार रुपये या इससे ज्यादा के चंदों पर रोक लगनी चाहिए।'
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। देश में काले धन के खिलाफ चल रही लड़ाई से राजनीतिक दल अपने आपको ज्यादा दिनों तक अलग नहीं रख सकते। अब चुनाव आयोग ने इस मुद्दे पर सक्रियता दिखाते हुए मांग की है कि दो हजार रुपये से ज्यादा के हर चंदे को सार्वजनिक करना चाहिए। यानी इससे ज्यादा का चंदा बेनामी नहीं हो सकता है।
मौजूदा नियमों के मुताबिक राजनीतिक दलों को 20 हजार रुपये से ज्यादा के चंदे को ही सार्वजनिक करना होता है। इसका फायदा भी उठाया जाता रहा है। कोई भी राजनीतिक दल अपने फंड का अधिकतर हिस्सा इसी बेनामी दान के रूप में दिखाता रहा है। आयोग ने इस बारे में सरकार को एक प्रस्ताव भेजते हुए कहा है कि आवश्यक संशोधन कर सरकार को यह प्रावधान करना चाहिए जिससे दो हजार रुपये या इससे ज्यादा के किसी भी गुप्त दान पूरी तरह से रोक लगे। चुनाव आयोग की तरफ से यह मांग तब की गई है जब पूरे देश में नोटबंदी की वजह से काले धन पर बहस छिड़ी हुई है।
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आयोग ने सिर्फ उन्हीं दलों का मानना है कि आय कर छूट सभी पंजीकृत राजनीतिक दलों को नहीं मिलनी चाहिए बल्कि सिर्फ उन्हीं दलों को मिलनी चाहिए जो लोक सभा या राज्य सभा का चुनाव लड़ते हैं। आयोग ने यह भी कहा है कि कई ऐसे मामले सामने आये हैं जब सिर्फ कर बचाने के लिए भी राजनीतिक दल का गठन किया गया है। गौरतलब है कि एक दिन पहले ही केंद्रीय वित्तमंत्री अरुण जेटली ने यह भी स्पष्ट किया था कि राजनीतिक दलों को पुराने नोट स्वीकार करने की छूट नहीं है।
हां, वह अपने पास जमा रुपयों को बैंक में जरूर जमा करा सकते हैं लेकिन उन्हें इसके स्त्रोत की जानकारी देनी होगी। यह स्पष्टीकरण तब आया था जब यह अफवाह चली थी कि चूंकि राजनीतिक दलों की आय को आयकर से छूट प्राप्त है लिहाजा उनके स्त्रोतों की जानकारी नहीं मांगी जाएगी। जाहिर है कि काले धन के खिलाफ पूरी लड़ाई का असर प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से चुनाव सुधार भी पड़ सकता है।
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