कांग्रेस की चुनावी थाली पर गिरते रुपये की गाज
खाद्य सुरक्षा विधेयक पर संप्रग को अपनी पीठ थपथपाने का मौका नहीं मिला। रुपये की रिकार्डतोड़ गिरावट और सोने की कीमत में लगी आग में इतनी बड़ी उपलब्धि झुलसने से चिंतित कांग्रेस इसे अस्थायी बताने में जुट गई है। कांग्रेस ने इस मसले पर सरकार के वरिष्ठ मंत्रियों से बचाव के सूत्र लिए हैं। लेकिन, स्पष्ट कर दिया है कि अगर
नई दिल्ली, जागरण ब्यूरो। खाद्य सुरक्षा विधेयक पर संप्रग को अपनी पीठ थपथपाने का मौका नहीं मिला। रुपये की रिकार्डतोड़ गिरावट और सोने की कीमत में लगी आग में इतनी बड़ी उपलब्धि झुलसने से चिंतित कांग्रेस इसे अस्थायी बताने में जुट गई है। कांग्रेस ने इस मसले पर सरकार के वरिष्ठ मंत्रियों से बचाव के सूत्र लिए हैं। लेकिन, स्पष्ट कर दिया है कि अगर लंबे समय तक यह स्थिति बनी रही तो सरकार का बचाव करना कांग्रेस प्रवक्ताओं के लिए बेहद मुश्किल होगा।
रोजाना होने वाली कांग्रेस मीडिया विभाग की समीक्षा बैठक में रुपये गिरने की चिंता ही छाई रही। पार्टी मान रही है कि खाद्य सुरक्षा विधेयक का जो राजनीतिक फायदा मिलना चाहिए था, बाजार ने उसे बिल्कुल उल्टा कर दिया। सभी न्यूज चैनलों पर खाद्य सुरक्षा के बजाय बहस का मुद्दा गिरते रुपये और सोने की चढ़ती कीमत हो गया। कुल मिलाकर खाद्य सुरक्षा पर संप्रग सरकार की उपलब्धि का गान करने की प्रवक्ताओं की तैयारी धरी की धरी रह गई।
वैसे भी खाद्य सुरक्षा विधेयक लागू होने में करीब एक साल लगेगा। इससे पहले कई राज्यों के चुनाव हो जाएंगे और लोकसभा चुनाव तक जमीन पर इसका फायदा पहुंचना भी मुश्किल होगा। महंगाई और मुंह बाने वाली है। ऐसे में लगातार गिरता बाजार कांग्रेस की सबसे बड़ी समस्या है। इस विषय पर केंद्र के नेताओं से बचाव के लिए पार्टी ने तर्क तो जुटाए हैं। इनमें विश्व बाजार और मौजूदा हालात पर तथ्य दिए जा रहे हैं। लेकिन, पार्टी मान रही है कि लगातार अगर बाजार की हालात ऐसी रही तो सरकार का बचाव करना खासा मुश्किल होगा।
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