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ससुर की जीत के लिए लारा ट्रंप ने मंदिर में मनाई दीपावली

अमेरिका में होने वाले राष्ट्रपति चुनाव के लिए डोनाल्ड ट्रंप की बेटी के साथ-साथ बहू भी प्रचार मैदान में उतर गयी है।

By kishor joshiEdited By: Published: Wed, 26 Oct 2016 12:34 PM (IST)Updated: Wed, 26 Oct 2016 06:44 PM (IST)
ससुर की जीत के लिए लारा ट्रंप ने मंदिर में मनाई दीपावली

एशबर्न, प्रेट्र। अमेरिकी राष्ट्रपति पद के रिपब्लिकन दावेदार डोनाल्ड ट्रंप की जीत सुनिश्चित करने के लिए उनकी बहू लारा ने वर्जीनिया के एक मंदिर में दीपावली मनाई। अमेरिका में राष्ट्रपति पद के दो शीर्ष दावेदारों में से एक के परिवार के किसी सदस्य के मंदिर पहुंचने की यह इकलौती घटना है। इसी महीने ट्रंप ने भारतीय समुदाय के एक कार्यक्रम को संबोधित किया था।

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ऐसा करने वाले वे पहले उम्मीदवार थे।वर्जीनिया प्रांत में उनकी हिलेरी के साथ कांटे की टक्कर बताई जा रही है। लारा जिस मंदिर में मंगलवार को पहुंचीं थी उसका उद्घाटन 2000 में किया गया था। यह लाउडन काउंटी का सबसे पुराना मंदिर है। लाउडन काउंटी में भारतीय-अमेरिकी समुदाय ने पिछले एक दशक में सबसे तेजी से विकास किया है।

ट्रंप के पुत्र एरिक की पत्नी लारा ने भारतीय संस्कृति के अनुसार राजधानी मंदिर में प्रवेश से पहले बाहर अपने जूते उतारे। इस दौरान उन्होंने कहा कि यदि उनके ससुर राष्ट्रपति बने तो भारत के साथ संबंधों को एक नई ऊंचाई पर पहुंचाएंगे। उनके मन में भारत और वहां के लोगों के प्रति बहुत गहरा लगाव है। पहले मंदिर में ट्रंप की बेटी इवांका के आने का कार्यक्रम था। लारा को मंदिर में आमंत्रित करने में अहम भूमिका निभाने वाले राजेश गूटी ने बताया कि इससे स्थानीय भारतीय-अमेरिकी समुदाय को काफी ऊर्जा मिली है। उल्लेखनीय है कि पारंपरिक तौर पर भारतवंशी डेमोक्रेटिक पार्टी के समर्थक माने जाते हैं। लेकिन, इस चुनाव में समुदाय के लोगों को लुभाने की ट्रंप पूरी कोशिश कर रहे हैं।

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तीन साल के बच्चे जैसे रिपब्लिकन उम्मीदवार

जाने-माने भारतवंशी लेखक और आध्यात्मिक गुरु दीपक चोपड़ा ने रिपब्लिकन उम्मीदवार डोनाल्ड ट्रंप के भावनात्मक विकास की तुलना तीन साल के बच्चे से की है। एक टीवी शो में चोपड़ा ने ट्रंप को वोट नहीं देने की भी बात कही। उन्होंने कहा कि ट्रंप केंद्रित होने में सक्षम नहीं हैं। उनके पास सहज ज्ञान और अंतर्दृष्टि नहीं है। रचनात्मकता नहीं है। उनकी कोई सोच नहीं है। वे उम्मीद जगाने, भरोसा कायम करने, स्थिरता लाने या संवेदना जताने में सक्षम नहीं हैं। चोपड़ा ने कहा कि उन्हें ट्रंप में रोष, डर, वैर, दुष्टता, शर्मिदगी, अवसाद और बेहद कम आत्सम्मान दिखता है।

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