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नीतिगत मामलों में दखल न दे कोर्ट, अधिसूचना जारी होने मे देरी

केन्द्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट मे कहा है कि नीति गत मामलों में कोर्ट को दखल नहीं देना चाहिए।

By Bhupendra SinghEdited By: Published: Fri, 22 Sep 2017 05:40 AM (IST)Updated: Fri, 22 Sep 2017 12:01 PM (IST)
नीतिगत मामलों में दखल न दे कोर्ट, अधिसूचना जारी होने मे देरी
नीतिगत मामलों में दखल न दे कोर्ट, अधिसूचना जारी होने मे देरी

माला दीक्षित, नई दिल्ली। केन्द्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट मे कहा है कि नीति गत मामलों में कोर्ट को दखल नहीं देना चाहिए। कोर्ट किसी भी नीति को तभी रद करता है जबकि वह मनमानी व असंवैधानिक हो, लेकिन कोर्ट सरकार को नीति तय करने का तौर तरीका नहीं बता सकता।

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 केन्द्र सरकार ने ये बात सुप्रीम कोर्ट में दाखिल अपने ताजा हलफनामे में कही है। अदालत से दोषी ठहराये जाने के बाद अयोग्य हुए सांसदों विधायकों की सीट रिक्त घोषित करने में होने वाली अनुचित देरी का मुद्दा उठाने वाली एक जनहित याचिका का जवाब देते हुए सरकार ने ये बात कही है। गैर सरकारी संगठन लोकप्रहरी ने सुप्रीम कोर्ट मे याचिका दाखिल कर संबंधित सदन के अध्यक्ष की ओर से अधिसूचना जारी होने में लगने वाली देरी पर सवाल उठाते हुए मांग की है कि जिस दिन सदस्य दोषी करार हो उसी दिन से उसकी सीट खाली मान ली जाए और अधिसूचना जारी होने मे देरी को खत्म करने के लिए सदस्य को दोषी ठहराने का अदालत का फैसला सीधे चुनाव आयोग को भेजा जाए और चुनाव आयोग सीट को खाली घोषित कर तत्काल उस पर चुनाव कराए।

सरकार ने याचिका का विरोध करते हुए कहा है कि अब इस मुद्दे में सुनवाई के लिए कुछ नहीं बचा है क्योंकि सुप्रीम कोर्ट के जुलाई 2013 के फैसले मे जनप्रतिनिधि कानून की धारा 8(4) को रद करते हुए कहा था कि जिस दिन अदालत सदस्य को दोषी करार देती है वो उसी दिन से अयोग्य हो जाता है और उसकी सीट खाली हो जाती है। अयोग्य ठहराने की अधिसूचना जारी होने में लगने वाली देरी पर सरकार ने मौन साथ लिया है और सारा दारोमदार चुनाव आयोग व अन्य संबंधित संस्थाओं पर डाल दिया है।

मुद्दे से किनारा करते हुए कानून मंत्रालय ने कहा है कि उसका संबंध सिर्फ चुनाव संबंधी कानूनों से है सीट खाली घोषित करने की प्रक्रिया चुनाव आयोग और अन्य संबंधित संस्थाएं देखती हैं। याचिकाकर्ता की यह दलील कि देरी होने के कारण अयोग्य सदस्य कोर्ट से स्टे ले आता है, तो इस प्रक्रिया में सरकार का कोई लेना देना नहीं है ये न्यायिक प्रक्रिया का हिस्सा है।

चुनाव आयोग ने पूर्व मे दाखिल जवाब मे याचिका का समर्थन किया था और कोर्ट से कहा था कि सीट रिक्त होने के बारे में अधिसूचना जारी करने की प्रक्रिया तेज करने के संबंध में कोर्ट आदेश जारी कर सकता है। बात ये है कि किसी सदस्य के अयोग्य होने पर उसकी अयोग्यता और सीट रिक्त होने की अधिसूचना संबंधित सदन का अध्यक्ष जारी करता है। याचिकाकर्ता का कहना है कि इसमें अनुचित देरी होती है जिससे कि वह सदस्य लंबे समय तक पद पर बना रहता है।

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