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यूपी में आधार कार्ड बनाने के काम को मिलेगी रफ्तार

नागरिकों को विशिष्ट पहचान देने वाले आधार कार्ड बनाने का काम अब रफ्तार पकड़ेगा। सूबे में इसका ब्लूप्रिंट तैयार कर लिया गया है और जिलेवार एजेंसियों को कार्ड बनाने का काम दिया जाएगा। इसकी जिम्मेदारी मंडलायुक्त और जिलाधिकारियों पर होगी। हाल ही में केंद्र सरकार ने उत्तर प्रदेश समेत चार राज्यों में आधार कार्ड बनाने क

By Edited By: Published: Thu, 18 Sep 2014 08:54 AM (IST)Updated: Thu, 18 Sep 2014 08:54 AM (IST)

लखनऊ। नागरिकों को विशिष्ट पहचान देने वाले आधार कार्ड बनाने का काम अब रफ्तार पकड़ेगा। सूबे में इसका ब्लूप्रिंट तैयार कर लिया गया है और जिलेवार एजेंसियों को कार्ड बनाने का काम दिया जाएगा। इसकी जिम्मेदारी मंडलायुक्त और जिलाधिकारियों पर होगी।

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हाल ही में केंद्र सरकार ने उत्तर प्रदेश समेत चार राज्यों में आधार कार्ड बनाने का काम यूनीक आइडेंटिफिकेशनअथॉरिटी ऑफ इंडिया (यूआइडीएआइ) को सौंपा है। इससे अब तक इस काम में सक्रिय नॉन स्टेट रजिस्ट्रार (बैंक, भारतीय जीवन बीमा निगम, स्टॉक ब्रोकिंग कंपनियां) आदि के साथ स्टेट रजिस्ट्रार (मंडलायुक्त, जिलाधिकारी) आदि की भूमिका भी अहम हो जाएगी। नियोजन विभाग ने इसकी कार्ययोजना तैयार कर ली है। यूआइडीएआइ ने मंडलायुक्तों को स्टेट रजिस्ट्रार और जिलाधिकारियों को ज्वाइंट रजिस्ट्रार बनाया है।

कार्ययोजना के तहत रजिस्ट्रार यानी मंडलायुक्त आधार कार्ड बनाने के लिए जिलों में पंजीकरण एजेंसियों का चयन करेंगे। चयन जिलेवार टेंडर के माध्यम से किया जाएगा। टेंडर में यूआइडीएआइ के पैनल में शामिल 160 एजेंसियां ही शामिल हो सकती हैं। पंजीकरण एजेंसियों को अपना वर्कप्लान प्रस्तुत करना होगा। स्टेट रजिस्ट्रार की देखरेख में आधार कार्ड योजना संचालित होने से इसमें तेजी आयेगी। प्रक्रिया की निगरानी के लिए मंडल और जिला स्तर पर नोडल अफसर नामित किये जाएंगे। नियोजन विभाग की इस कार्ययोजना को 30 सितंबर को मुख्य सचिव की अध्यक्षता में गठित राज्य स्तरीय कार्यान्वयन समिति की बैठक में मंजूरी दी जाएगी।

अब तक बन चुके हैं पांच करोड़ कार्ड

प्रदेश में अभी तक सिर्फ पांच करोड़ आधार कार्ड बने हैं। जनगणना 2011 के मुताबिक सूबे की जनसंख्या 19.95 करोड़ पायी गई थी। ऐसे में अभी लगभग 15 करोड़ कार्ड और बनने हैं।

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