आइएस के खिलाफ एफआइआर पर गृह मंत्रालय में मतभेद
इस्लामिक स्टेट (आइएस) और अलकायदा के खिलाफ खुली एफआइआर के राष्ट्रीय जांच एजेंसी के प्रस्ताव पर गृह मंत्रालय असमंजस में पड़ गया है। मंत्रालय के कुछ अधिकारी खुली एफआइआर के पक्ष में हैं, लेकिन कई अधिकारी इससे मिलने वाले परिणाम पर सवाल उठा रहे हैं। यही कारण है कि गृह मंत्रालय ने इस मुद्दे पर खुफिया ब्यूरो (आइब
नई दिल्ली [जागरण ब्यूरो] इस्लामिक स्टेट (आइएस) और अलकायदा के खिलाफ खुली एफआइआर के राष्ट्रीय जांच एजेंसी के प्रस्ताव पर गृह मंत्रालय असमंजस में पड़ गया है। मंत्रालय के कुछ अधिकारी खुली एफआइआर के पक्ष में हैं, लेकिन कई अधिकारी इससे मिलने वाले परिणाम पर सवाल उठा रहे हैं। यही कारण है कि गृह मंत्रालय ने इस मुद्दे पर खुफिया ब्यूरो की राय लेने का फैसला किया है। वैसे माना जा रहा है कि बुधवार की देर रात राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल के वापस लौटने के बाद ही इस पर अंतिम फैसला लिया जाएगा।
ध्यान देने की बात है कि पिछले हफ्ते एनआइए ने गृह मंत्रालय से आइएस और अलकायदा के खिलाफ खुली एफआइआर करने की अनुमति मांगी थी। एनआइए का कहना था कि इससे आइएस और अलकायदा में आतंकियों के भर्ती की कोशिशों की जांच की जा सकेगी और आइएस को प्रतिबंधित संगठनों की सूची में डालना भी आसान होगा। गृह मंत्रालय के कुछ वरिष्ठ अधिकारियों ने इसका समर्थन करते हुए जल्द ही इसकी अनुमति देने के संकेत भी दिए थे।
लेकिन मंत्रालय के आंतरिक सुरक्षा से जुड़े कुछ अधिकारियों का कहना था कि खुली एफआइआर से कोई विशेष लाभ नहीं होगा और इससे आइएस को बेवजह तरजीह मिल जाएगी। इन अधिकारियों का कहना था कि आइएस और अलकायदा में भर्तियों के खिलाफ बिना एफआइआर के ही कार्रवाई हो सकती है। मंत्रालय के भीतर मतभेद को देखते हुए फिलहाल इस मामले पर आइबी की राय मांगी गई है। वैसे एनएसए के अमेरिका दौरे से वापस लौटने पर इस मुद्दे पर नए सिरे से चर्चा होगी। एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि एनएसए ने यदि एफआइआर दर्ज करने पर सहमति दी तो फिर आइबी भी इसका विरोध नहीं कर पाएगा।