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दिमाग बजा रहा वायलिन, जल्द आएगा एल्बम

वायलिन वादक रोजमेरी जानसन करीब पचास साल की हैं। वे 1988 में सड़क दुर्घटना में इतनी बुरी तरह घायल हो गई कि बोलने, यहां तक कि हाथ-पैर हिलाने तक से अब भी लाचार हैं। फिर भी उनका एक ताजा गाना रिकॉर्ड हो रहा है

By Manish NegiEdited By: Published: Mon, 08 Feb 2016 05:22 PM (IST)Updated: Mon, 08 Feb 2016 05:56 PM (IST)
दिमाग बजा रहा वायलिन, जल्द आएगा एल्बम

नई दिल्ली। वायलिन वादक रोजमेरी जानसन करीब पचास साल की हैं। वे 1988 में सड़क दुर्घटना में इतनी बुरी तरह घायल हो गई कि बोलने, यहां तक कि हाथ-पैर हिलाने तक से अब भी लाचार हैं। फिर भी उनका एक ताजा गाना रिकॉर्ड हो रहा है और वह जल्दी ही मार्केट में आएगा। यह संभव हुआ है डॉक्टरों-इंजीनियरों के कारण। उनका दिमाग जो संकेत दे रहा है, वह कंप्यूटर में दर्ज हो रहा है। उसे डीकोड कर उसके आधार पर गाना रिकॉर्ड किया जा रहा है।

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जिस वक्त यह दुर्घटना हुई थी, रोजमेरी ब्रिटेन की वेल्श नेशनल ओपेरा आर्केस्ट्रा की चमकते सितारे की तरह थीं। माना जा रहा था कि वे जल्द ही दुनिया भर में धूम मचा देंगी। इस दुर्घटना ने भूचाल ला दिया- न सिर्फ उनके जीवन में बल्कि संगीत की दुनिया में भी। वे कोमा में चली गई थीं। अस्पताल से निकलने के करीब 17 साल बाद भी उनकी हालत ऐसी है कि लोग पिछले जीवन के बारे में जानकर आंसू बहाने के अलावा कुछ नहीं कर सकते हैं।

इस तरह बदली कहानी

डेनमार्क के प्रसिद्ध लेखक हैंस क्रिश्चियन एंडर्सन के एक वाक्य को यह आर्केस्ट्रा अपना सूत्र मानता है: 'जहां शब्द विफल हो जाते हैं, संगीत बोलता है।' इसे लंदन के रॉयल हॉस्पिटल फॉर न्यूरोडिसएबिलिटी और ब्रिटेन के प्लाइमाउथ विश्वविद्यालय ने रोजमेरी के जरिये सही कर दिखाया है।

क्या है तकनीक

विश्वविद्यालय में कंप्यूटर संगीत अध्ययन केंद्र के निदेशक प्रो. एडुवार्डो मिरांडा के मुताबिक, दिमाग में उठने वाले विचारों को पढ़ना तो अब तक संभव नहीं हो पाया है लेकिन हमने एक ऐसी तकनीक विकसित की है जिससे चीजों को कंट्रोल करने के लिए लोगों को ब्रेन सिग्नल देने की ट्रेनिंग दी जा सकती है। रोजमेरी के मामले में यही हो रहा है। इसे कटिंग एज तकनीक कहते हैं।

कैसे होता है काम

रोजमेरी को एक ईईजी कैप पहनाई जाती है। यह कैप उनके दिमाग को एक तरह से तारों से लपेट देता है जिसे एक कंप्यूटर से जोड़ दिया गया है। इसमें ब्रेन कंप्यूटर म्यूजिक सॉफ्टवेयर का इस्तेमाल किया गया है। कंप्यूटर पर अलग-अलग किस्म के लाइट जलते हैं। ये संगीत के अलग-अलग संकेत के चिह्न हैं। इनमें से जिन्हें चुनना होता है, रोजमेरी का दिमाग उसके बारे में संकेत करता है।

यह सॉफ्टवेयर रोजमेरी के दिमाग से मिलने वाले संकेतों से आवाज कम और ज्यादा भी कर सकता है। इन संकेतों के आधार पर संगीतकार उसे वायलिन पर उतार रहे हैं। ऐसा प्रयोग रोजमेरी के साथ तीन अन्य लोगों के साथ चल रहा है। इनकी भी संगीत में रुचि है और वे भी कमोबेश रोजमेरी वाली हालत में ही हैं।

बढ़िया की उम्मीद

प्लाइमाउथ विश्वविद्यालय के जील ईटन का कहना है कि यह सिस्टम इंटरएक्टिव है। इसमें दिमाग की तरंगें ही सबकुछ नियंत्रित करती हैं। रोजमेरी की 80 वर्षीया मां मैरी की खुशी की आप कल्पना कर सकते हैं। उम्मीद कीजिए कि यह साकार हो। फिर, न जाने कितने रोजमेरी का भविष्य फले-फूलेगा।


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