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खुफिया अलर्ट के बावजूद आतंकी हमले ने खोली सुरक्षा की पोल

हमले के तरीके से साफ है कि आतंकियों को सैन्य शिविर के सुरक्षा घेरे और उसकी कमजोरियों की पूरी जानकारी थी और उन्होंने इसका भरपूर फायदा उठाया।

By Manish NegiEdited By: Published: Wed, 30 Nov 2016 09:31 PM (IST)Updated: Wed, 30 Nov 2016 09:39 PM (IST)

नई दिल्ली, (जागरण ब्यूरो)। नगरोटा सैन्य शिविर पर आतंकी हमले ने एक बार फिर सैन्य ठिकानों की सुरक्षा व्यवस्था पर सवाल खड़ा दिया है। खासकर उस स्थिति में जब खुफिया एजेंसियां पहले से ही ऐसे हमले के बारे में आगाह कर चुकी थी। हमले के तरीके से साफ है कि आतंकियों को सैन्य शिविर के सुरक्षा घेरे और उसकी कमजोरियों की पूरी जानकारी थी और उन्होंने इसका भरपूर फायदा उठाया।

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वहीं बीएसएफ ने जम्मू के चामलियाल में एक सुरंग का पता लगाया है, जिससे होकर घुसपैठ करने वाले तीन आतंकियों के मंगलवार को मार गिराया गया था। लेकिन अभी तक यह साफ नहीं है कि नगरोटा में हमला करने वाले आतंकी भी इसी सुरंग से होकर आए थे या नहीं।

उच्च पदस्थ सूत्रों के अनुसार खुफिया एजेंसी रॉ ने 10 दिन पहले ही सेना के 16 कोर कमांड के सैन्य शिविर पर आतंकी हमले की तैयारियों के बारे में अलर्ट कर दिया था। नगरोटा में 16 कोर कमांड का सैन्य शिविर ही है, जिसपर आतंकियों ने हमला कर सात जवानों को मार दिया है। वहीं खुफिया एजेंसी आइबी ने अलग से हाईवे और रेलवे पर आतंकी हमले के प्रति आगाह किया था। लेकिन खुफिया अलर्ट के बावजूद नगरोटा के सैन्य शिविर की सुरक्षा व्यवस्था को अभेद्य नहीं बनाया जा सका। ध्यान देने की बात है कि दो महीने पहले ही आतंकियों ने कश्मीर में ही उरी में सैन्य शिविर पर हमला पर 17 सैनिकों को मार दिया था। उस समय भी खुफिया एजेंसियों ने ऐसे हमले के प्रति आगाह किया था।

उरी और नगरोटा के आतंकी हमले से साफ हो गया है कि पठानकोट एयरबेस पर हमले के 11 महीने बाद भी सभी सैन्य ठिकानों के सिक्युरिटी आडिट करने के फैसले पर पूरी तरह अमल नहीं हो पाया है। सुरक्षा एजेंसी से जुड़े एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि यदि सैन्य ठिकानों की सुरक्षा का आडिट किया जाता और खुफिया इनपुट पर कार्रवाई होती तो आतंकी अपने मंसूबे में कामयाब नहीं पाते।

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वहीं बीएसएफ ने मंगलवार को चामलियाल में तीन आतंकी घुसपैठियों को मार गिराने के बाद बुधवार को अंतरराष्ट्रीय सीमा पर एक सुरंग खोज निकालने का दावा किया है। बीएसएफ का कहना है दो गुना दो मीटर की गोलाई का यह सुरंग सीमा से 70-80 मीटर भीतर एक खेत में निकलता था। चामलियाल में मारे गए तीनों आतंकी इसी सुरंग से होकर आए थे। लेकिन अभी यह साफ नहीं है कि नगरोटा में हमला करने वाले आतंकी भी इसी सुरंग से आए थे या नहीं। फिलहाल इसकी जांच की जा रही है।

स्मार्ट फेंसिंग में लगेंगे अभी एक साल

सीमा पार से घुसपैठ कर सैन्य ठिकानों पर बढ़ते आतंकी हमलों के बाद पाक और बांग्लादेश सीमा को स्मार्ट फेंसिंग के जरिये पूरी तरह सील करने की तैयारी तो शुरू हो गई है, लेकिन इसमें लगभग एक साल का समय लगेगा। पाक और बांग्लादेश की सीमा की निगरानी करने वाले बीएसएफ के महानिदेशक केके शर्मा ने कहा कि दुनिया भर की 20 कंपनियां फिलहाल इसके तकनीकी मूल्यांकन करने में जुटी है और इस काम के 2017 के अंत तक पूरा होने की उम्मीद है।

स्मार्ट फेंसिंग के तहत पूरी सीमा पर कंटीले बाड़ के साथ-साथ लेजर किरण, सैटेलाइट, थर्मल इमेजिंग डिवाइस जैसे अत्याधुनिक उपकरणों से नजर रखी जाएगी। केके शर्मा ने कहा कि सीमा पर सुरंगों का पता लगाने वाली तकनीक के लिए इस्त्राइल के साथ-साथ आइआइटी से भी बातचीत चल रही है।

एनआइए को सौंपी जा सकती है जांच

गृहमंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि नगरोटा सैन्य शिविर पर आतंकी हमले की जांच एनआइए को सौंपी जा सकती है। इस पर गंभीरता से विचार किया जा रहा है। एनआइए पहले ही उरी सैन्य शिविर पर हमले की जांच कर रही है। जबकि पठानकोट एयरबेस हमले की जांच एनआइए पूरी कर चुका है और जल्द ही जैश ए मोहम्मद के प्रमुख मसूद अजहर और उसके भाई समेत चार आतंकियों के खिलाफ चार्जशीट करने की गृहमंत्रालय से मंजूरी भी ले चुका है।

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