कैंसर रोगियों के लिए डिप्रेशन घातक, हो सकता है ये बड़ा खतरा
अवसाद के मामूली लक्षण से भी सिर और गले के कैंसर से पीड़ित रोगियों की जिंदगी छोटी हो सकती है।
नई दिल्ली (जेएनएन)। शोधकर्ताओं ने नए शोध में आगाह किया है कि कैंसर रोगियों के लिए डिप्रेशन (अवसाद) घातक हो सकता है। अवसाद के मामूली लक्षण से भी सिर और गले के कैंसर से पीड़ित रोगियों की जिंदगी छोटी हो सकती है। शोधकर्ताओं के अनुसार, ऐसे रोगियों में अवसाद के लक्षणों का पता चलने पर उनका उसी समय इलाज किया जाना चाहिए। सिर और गले के कैंसर से पीड़ित कई रोगी डिप्रेशन महसूस करते हैं। इसके चलते उनमें उपचार के दुष्परिणामों की रोकथाम करने, पर्याप्त पोषक तत्वों को बरकरार रखने या नींद की आदत में दिक्कत आ सकती है।
अमेरिका की लुइसविले यूनिवर्सिटी की शोधकर्ता एलिजाबेथ कैश की अगुआई में किए गए शोध में इस बात पर गौर किया गया कि अवसाद के लक्षणों का रोगी के जीवन पर क्या प्रभाव पड़ता है? दो साल के अध्ययन में सर्वाधिक अवसाद के लक्षणों वाले रोगी में जीवन की दर में कमी पाई गई।
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सेहत के लिए फायदेमंद माने जाने वाले मशरूम की एक नई खूबी सामने आई है। नए अध्ययन में पाया गया है कि मशरूम डिप्रेशन (अवसाद) के इलाज में भी मददगार साबित हो सकता है। शोधकर्ताओं के अनुसार, अवसाद रोधी ऐसी कई दवाएं हैं जिससे इस समस्या का मुकाबला किया जा सकता है। लेकिन ये दवाएं मस्तिष्क में भावनाओं से जुड़ी प्रतिक्रियाओं पर असर डाल सकती हैं।
ब्रिटेन के इंपीरियल कॉलेज लंदन के शोधकर्ताओं ने पाया कि मशरूम में कुछ ऐसे गुण होते हैं जो इन दुष्प्रभावों से बचाव कर सकते हैं। पूर्व के शोध में भी यह पाया जा चुका है कि मशरूम में साइलोसाइबिन नामक कंपाउंड पाया जाता है जो डिप्रेशन के खतरे को कम कर सकता है।
नए अध्ययन में शोधकर्ताओं ने संभावित नई दवा को लेकर इस बात पर गौर किया कि इसका भावनाओं से जुड़ी मस्तिष्क की गतिविधियों पर क्या असर पड़ता है? उन्होंने साइलोसाइबिन से रोगियों के मूड और डिप्रेशन के लक्षणों में सुधार पाया।
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