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प्रचार में ही गुजर रहा दिन, चने खाकर कर रहे गुजारा

सुबह के 7 बज रहे हैं। कार्यालय से देर से आने वाले अपने-अपने घरों में सो रहे हैं, वहीं काम पर जाने वाले तैयारी में लगे हैं। तभी डाबड़ी गांव में 'कांग्रेस पार्टी जिंदाबाद, हमारा नेता कैसा हो, महाबल मिश्रा जैसा हो' की आवाज गूंजने लगती है। इस चुनावी माहौल

By Rajesh NiranjanEdited By: Published: Fri, 30 Jan 2015 11:53 AM (IST)Updated: Fri, 30 Jan 2015 12:00 PM (IST)
प्रचार में ही गुजर रहा दिन, चने खाकर कर रहे गुजारा

पश्चिमी दिल्ली, [संतोष शर्मा]। सुबह के 7 बज रहे हैं। कार्यालय से देर से आने वाले अपने-अपने घरों में सो रहे हैं, वहीं काम पर जाने वाले तैयारी में लगे हैं। तभी डाबड़ी गांव में 'कांग्रेस पार्टी जिंदाबाद, हमारा नेता कैसा हो, महाबल मिश्रा जैसा हो' की आवाज गूंजने लगती है। इस चुनावी माहौल में किसी को समझने में दिक्कत नहीं होती कि कोई नेता जनसंपर्क के लिए गांव में आया है। बुजर्ग व महिलाएं अपने-अपने घरों के दरवाजे पर खड़ी हो जाती हैं। द्वारका से कांग्रेस प्रत्याशी महाबल मिश्रा महिलाओं से कहते हैं कि भाजपा से संभल कर रहना। वह सिर्फ वादे करती है। वे पूछते हैं कि क्या महंगाई कम हो गई। महिलाएं सिर हिलाकर न कहती हैं। इसके बाद फिर कांग्रेस का नारा लगता है और महाबल मिश्रा दूसरे घर की ओर बढ़ जाते हैं।

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दोपहर 12 बजे तक अलग-अलग इलाके में उनका जनसंपर्क का कार्यक्रम चलता है। इसके बाद वे कार्यकर्ताओं की मीटिंग लेने और आगे की कार्ययोजना बनाने इलाके में निकल जाते हैं। इस दौरान न तो उन्हें खाने की सुध रहती और न ही वे चुनाव प्रचार के कारण परिवार को पूरा समय दे पाते हैं। महाबल मिश्रा बताते हैं कि उनकी दिनचर्या पहले की ही तरह है। वे रोजाना 6 बजे उठ जाते हैं। नित्य क्रिया से निबट कर 7 बजे कार्यालय आते हैं और लोगों से मिलकर प्रचार के लिए क्षेत्र में निकल जाते हैं। प्रचार का यह सिलसिला देर रात तक चलता रहता है। इस समय वे 2 बजे से पहले नहीं सो पा रहे। महाबल मिश्रा के घर में पत्नी उर्मिला, बेटे विनय, पंकज, पोते आयुष व बेटी किरण चौधरी व उनके बच्चे हैं। महाबल मिश्रा बताते हैं कि पहले वे सुबह उठकर और रात में पोते आयुष के साथ जरूर खेलते थे। चुनावी व्यस्तता के कारण दो हफ्ते से वे उसे समय नहीं दे पा रहे। पत्नी व बेटे भी चुनाव प्रचार में पूरे दिन ज्यादातर घर से बाहर ही रह रहे हैं। साथ नहीं खेलने की शिकायत आयुष अपने दादा से रोजाना करते हैं। इस दौरान कांग्रेस प्रत्याशी का खाने-पीने का भी कोई ठिकाना नहीं है। वे बताते हैं कि वे इस दौरान भूख लगने पर अपने साथ रखे चने, मुरमुरे और फल इत्यादि खा लेते हैं। कार्यकर्ताओं के ज्यादा आग्रह पर वे बाहर में सिर्फ चाय अथवा दूध लेते हैं। रात का खाना तो हर हाल में घर पर ही होता है। पूरी तरह शाकाहारी महाबल को खाने में खिचड़ी व खीर पसंद है।

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