दिल्ली चुनाव: अब कांग्रेस पर भी हमला बोलेगी भाजपा
दिल्ली की चुनावी जंग में भाजपा की सीधी लड़ाई तो आम आदमी पार्टी से है, लेकिन पार्टी कांग्रेस को भी घेरने से नहीं चूकेगी। प्रचार में उतरे भाजपा के सौ से ज्यादा सांसद, मंत्री, विधायक व अन्य नेता सीधे कांग्रेस नेतृत्व से यह सवाल पूछ सकते हैं कि वह 'आप'
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। दिल्ली की चुनावी जंग में भाजपा की सीधी लड़ाई तो आम आदमी पार्टी से है, लेकिन पार्टी कांग्रेस को भी घेरने से नहीं चूकेगी। प्रचार में उतरे भाजपा के सौ से ज्यादा सांसद, मंत्री, विधायक व अन्य नेता सीधे कांग्रेस नेतृत्व से यह सवाल पूछ सकते हैं कि वह 'आप' के साथ गठजोड़ पर चुप क्यों है?
‘कांग्रेस मुक्त’ भारत का नारा देकर लगातार जीत दर्ज कर रही भाजपा के लिए दिल्ली ऐसा अकेला राज्य है जहां वह संभवत: कांग्रेस को थोड़ा मजबूत देखना चाहती थी। सूत्रों के अनुसार पार्टी की यह सोच थी कि कांग्रेस मजबूती से लड़ेगी तो आप कमजोर होगी। लेकिन, बदलती रणनीति में भाजपा का एक धड़ा चाहता है कि कांग्रेस और आप को एक पाले में खड़ाकर सीधी लड़ाई लड़नी चाहिए।
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बृहस्पतिवार को भाजपा नेता राजीव प्रताप रूडी ने अरविंद केजरीवाल से पांच सवाल पूछे तो परोक्ष रूप से उनमें से कई सवाल कांग्रेस को भी संबोधित थे। खासकर शीला दीक्षित को लेकर केजरीवाल की नरमी पर। कुछ दिनों पहले शीला भी आप की सरकार को समर्थन की बात कह चुकी हैं।
सूत्रों की मानें तो वरिष्ठ नेताओं की ओर से ऐसे किसी समर्थन की संभावना नकारने के बावजूद पार्टी के अंदर यह सोच है कि त्रिशंकु विधानसभा की स्थिति में भाजपा को रोकने के लिए सरकार में शामिल होने से भी नहीं चूकना चाहिए। इस लिहाज से पार्टी दिल्ली की भविष्य की लड़ाई में बनी रहेगी। यही कारण है कि भाजपा भी कांग्रेस को अछूता छोड़ने की रणनीति में बदलाव करने के बारे में सोचने लगी है।
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गौरतलब है कि आलाकमान की नजदीकी पूर्व मुख्यमंत्री शीला दीक्षित 'आप' को समर्थन की बात कह चुकी हैं तो चुनाव में कांग्रेस का नेतृत्व कर रहे अजय माकन इसे खारिज कर रहे हैं। ऐसे में कांग्रेस के शीर्ष नेतृत्व से सवाल पूछकर उन्हें मैदान में खींचने की कोशिश हो सकती है।
भाजपा ने झोंकी ताकत
बता दें कि पार्टी पहले ही दो दर्जन केंद्रीय मंत्री मैदान में उतार चुकी है। इनमें राजनाथ सिंह, अरुण जेटली, सुषमा स्वराज जैसे दिग्गज भी शामिल हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी शनिवार से बुधवार तक चार रैलियां करेंगे। इसके अलावा हरियाणा, उत्तर प्रदेश, बिहार, मध्य प्रदेश व अन्य राज्यों के सौ से ज्यादा सांसद प्रचार मैदान में हैं।