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दिल्ली-चंडीगढ़ सेमी हाईस्पीड ट्रेन का नया एलाइनमेंट नहीं

दिल्ली से चंडीगढ़ की रेल से दूरी 244 किलोमीटर है जिसे शताब्दी ट्रेन साढ़े तीन घंटे में कवर करती है। जबकि सेमी हाईस्पीड ट्रेन के जरिये इसे दो घंटे में पूरा करने का प्रस्ताव है।

By Srishti VermaEdited By: Published: Sat, 17 Jun 2017 08:54 AM (IST)Updated: Sat, 17 Jun 2017 08:54 AM (IST)
दिल्ली-चंडीगढ़ सेमी हाईस्पीड ट्रेन का नया एलाइनमेंट नहीं
दिल्ली-चंडीगढ़ सेमी हाईस्पीड ट्रेन का नया एलाइनमेंट नहीं

नई दिल्ली (संजय सिंह)। रेलवे ने दिल्ली-चंडीगढ़ सेमी हाईस्पीड ट्रेन के लिए नए एलाइनमेंट के फ्रांसीसी कंपनी के सुझाव को अमान्य करते हुए उससे मौजूदा ट्रैक के सुधार पर ही ध्यान केंद्रित करने का सुझाव दिया है। दिल्ली से चंडीगढ़ के बीच 200 किलोमीटर की रफ्तार से सेमी हाईस्पीड ट्रेनें चलाने के लिए फ्रांसीसी कंपनी एसएनसीएफ के साथ संयुक्त अध्ययन दल की बैठक में एसएनसीएफ के अधिकारियों ने इस रूट पर पांच जगहों में एलाइनमेंट बदलने का सुझाव रखा।

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उनका कहना था कि इन पांच जगहों पर ट्रैक के दोनों ओर आबादी और स्ट्रक्चर होने के कारण सेमी हाईस्पीड के लिए आवश्यक सिग्नल तथा अन्य प्रणालियों को स्थापित करने में दिक्कत आ सकती है। इसलिए यहां ट्रैक को नया एलाइनमेंट देना उचित रहेगा। लेकिन, रेलवे बोर्ड के अधिकारियों ने इसमें असमर्थता प्रकट की। उनका कहना था यदि सुझाव के मुताबिक एलाइनमेंट बदला जाता है तो रेलवे को भूमि अधिग्रहण करना पड़ेगा जिसमें बड़े झंझट हैं। इससे प्रोजेक्ट में अनावश्यक रूप से विलंब होगा। इसलिए एलाइनमेंट बदले बगैर ही काम चलाया जाए। वैसे भी एलाइनमेंट बदलने से यात्रा समय में केवल पांच मिनट की बचत होगी, जोकि नगण्य है।

दिल्ली से चंडीगढ़ की रेल से दूरी 244 किलोमीटर है। अभी शताब्दी ट्रेन इस दूरी को (स्टॉपेज समेत) साढ़े तीन घंटे में कवर करती है। जबकि सेमी हाईस्पीड ट्रेन के जरिये इसे दो घंटे में पूरा करने का प्रस्ताव है। बैठक में पाया गया कि नए एलाइनमेंट से यह दूरी दो घंटे में पूरी होगी। जबकि मौजूदा एलाइनमेंट में ही सुधार से इस दूरी को पूरा करने में दो घंटे पांच मिनट का समय लगेगा। यह मामूली अंतर है जिसे फालतू खर्च से बचने व प्रोजेक्ट को जल्द पूरा करने के लिए नजरअंदाज किया जाना चाहिए।

बैठक में शामिल रेलवे बोर्ड के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया मौजूदा ट्रैक व प्रणालियों को सेमी हाईस्पीड के लायक उन्नत बनाने में प्रति किलोमीटर लगभग 20 करोड़ रुपयेका अतिरिक्त खर्च आएगा। जबकि एलाइनमेंट बदलने पर यह लागत डेढ़ गुनी हो सकती है। रोलिंग स्टॉक पर अलग खर्च आएगा। कुल मिलाकर इस रूट पर सेमी हाईस्पीड ट्रेन चलाने में दस हजार करोड़ रुपये की लागत आने का अनुमान है।

एसएनसीएफ के साथ संयुक्त अध्ययन दल की अब तक नौ बैठकें हो चुकी हैं। अभी तकरीबन चार बैठकें और होने की संभावना है। अक्टूबर में यह दल अपनी रिपोर्ट सरकार को सौंप देगा। इसके बाद सरकार इच्छुक कंपनियों से अंतरराष्ट्रीय निविदाएं आमंत्रित करेगी।

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