इस चुनाव में भी अहम होगा पानी का मुद्दा
दिल्ली विधानसभा के पिछले चुनाव में बिजली की बढ़ी कीमतों ने शीला दीक्षित सरकार को सत्ता से उतार दिया था। पेयजल के मुद्दे पर भी शीला सरकार ज्यादा कुछ नहीं कर पाई थी और तो और हरियाणा में भी कांग्रेस की ही सरकार होने के बावजूद मूनक नहर से पानी
नई दिल्ली, [रणविजय सिंह]। दिल्ली विधानसभा के पिछले चुनाव में बिजली की बढ़ी कीमतों ने शीला दीक्षित सरकार को सत्ता से उतार दिया था। पेयजल के मुद्दे पर भी शीला सरकार ज्यादा कुछ नहीं कर पाई थी और तो और हरियाणा में भी कांग्रेस की ही सरकार होने के बावजूद मूनक नहर से पानी दिलवाने में भी वह नाकाम रहीं थीं। लेकिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बीते शनिवार को रामलीला मैदान में हुई रैली में इसी मुद्दे पर कांग्रेस पर जोरदार तंज भी कसा। मोदी ने यह जानकारी भी दी कि केंद्र की भाजपा सरकार ने हरियाणा व दिल्ली के बीच मूनक नहर का विवाद दूर करने की दिशा में निर्णायक पहल कर दी है। उन्होंने पक्की मूनक नहर की चर्चा यूं ही नहीं की, दरअसल उन्होंने साफ कर दिया कि सूबे के विधानसभा चुनाव में पानी एक बड़ा चुनावी एजेंडा होगा।
वैसे भी दिल्ली में हुए पिछले चुनावों में पानी एक प्रमुख मुद्दा रहा है। इस बार भी राजनीतिक दल अपने-अपने तरीके से इस मुद्दे को भुनाने की तैयारी में है।
चुनाव से पहले मूनक नहर से अतिरिक्त पानी की आपूर्ति होने की उम्मीद है। दोनों राज्यों के बीच मूनक नहर का विवाद पुराना है। वर्ष 2009 से 102 किमी लंबी पक्की मूनक नहर बनकर तैयार है। पक्की मूनक नहर के निर्माण की योजना तैयार करते वक्त यह कहा गया था कि कच्ची नहर से पानी की आपूर्ति के चलते पानी बर्बाद होता है। पक्की नहर बनने से पानी बचेगा। दोनों राज्यों के बीच सहमति बनी थी कि पक्की मूनक नहर से दिल्ली को 80 एमजीडी अतिरिक्त पानी की आपूर्ति होगी। पर करीब छह सालों से अतिरिक्त पानी आपूर्ति का मामला विवादों में उलझ गया। तब दिल्ली में शीला दीक्षित की सरकार थी व हरियाणा में भूपेंद्र हुड्डा सत्ता में थे। पानी आपूर्ति पर दोनों राज्यों में एक राय नहीं बन पाने के कारण मामला तत्कालीन संप्रग सरकार के पास पहुंच गया। हरियाणा को इस बात का डर रहा है कि मूनक नहर से अतिरिक्त पानी की आपूर्ति करने से उसे अपने राज्य के किसानों का रोष झेलना पड़ सकता है। दिल्ली में आप की सरकार बनने के बाद केजरीवाल ने भी विवाद हल करने का प्रयास किया, लेकिन जल्दी ही सरकार गिर गई।
मोदी सरकार के आने के बाद हरियाणा में भी भाजपा की सरकार बन गई। नवंबर, 2014 के अंतिम सप्ताह में दिल्ली सरकार के मुख्य सचिव व हरियाणा सरकार के बीच बातचीत हुई। फिर केंद्र सरकार व हरियाणा सरकार के मंत्रियों के बीच बैठक हुई। जल नीति के मसौदे में कहा गया है कि हरियाणा पानी आपूर्ति के लिए तैयार हो गया है।
एक सप्ताह में शुरू होगी पानी की आपूर्ति
जल बोर्ड ने 15 सालों से बनकर तैयार बवाना जलशोधन संयंत्र का परीक्षण शुरू कर दिया है। संयंत्र के उपकरणों में आई खराबी दूर कर ली गई है। प्रतिदिन दो एमजीडी पानी शोधित कर उसकी गुणवत्ता की जांच की जा रही है। जल बोर्ड के अनुसार एक सप्ताह में इस जलशोधन संयंत्र से पानी की आपूर्ति शुरू हो जाएगी। इसके अलावा ओखला जलशोधन संयंत्र से भी क्षमता के अनुरूप 20 एमजीडी पानी की आपूर्ति शुरू हो जाएगी। फिलहाल इस संयंत्र से बेकार पानी को शोधित कर 10 एमजीडी पानी की आपूर्ति हो रही है। मूनक नहर से द्वारका जलशोधन संयंत्र के बीच भाग्य विहार व अमर कॉलोनी से होते हुए मुख्य पाइप लाइन बिछाने की योजना है।