ई-रिक्शों के नियमन पर पुणे से सीख सकते हैं दिल्ली व अन्य राज्य
इंडियन फाउंडेशन आफ ट्रांसपोर्ट रिसर्च एंड ट्रेनिंग ने ई-रिक्शा पर दिल्ली और पुणे के दृष्टिकोण का अध्ययन किया है।
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। ई-रिक्शा की सुरक्षा व नियमन को लेकर पुणे के अधिकारियों और जनता के रुख से दिल्ली, उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड और पूर्वोत्तर राज्यों की सरकारें और लोग सीख सकते हैं। जहां इन राज्यों में ई-रिक्शों को लेकर कोई नियम-कानून नजर नहीं आता, वहीं पुणे के लोग इन्हें लेकर बेहद जागरूक हैं।
इंडियन फाउंडेशन आफ ट्रांसपोर्ट रिसर्च एंड ट्रेनिंग ने ई-रिक्शा पर दिल्ली और पुणे के दृष्टिकोण का अध्ययन किया है। इसमें पता चला कि पुणे में लास्ट माइल कनेक्टिविटी के लिए ई-रिक्शा का चलन बहुत कम है और ज्यादातर शो रूम ग्राहकों के बगैर सूने पड़े हैं। इसे देखते हुए यहां के आरटीओ ने ई-रिक्शा को बढ़ावा देने के लिए विज्ञापनों का सहारा लिया है।
अध्ययन में पाया गया कि जहां दिल्ली, उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड और असम जैसे पूर्वोत्तर राज्यों में हजारों ई-रिक्शा नियमों का उल्लंघन कर चलाए जा रहे हैं जिनमें बिना पंजीकरण और बीमा के निर्धारित से इतर रूटों पर चालन तथा ओवरलोडिंग शामिल है। वहीं पुणे के आरटीओ ने ई-रिक्शों को बढ़ावा देने के लिए नियमों में किसी भी तरह की ढील देने से इनकार कर दिया है।
यद्यपि दिल्ली और उत्तर प्रदेश में बिना लाइसेंस व पंजीकरण वाले असुरक्षित ई-रिक्शों की भरमार है तथा 227 रूटों पर सुरक्षा मानकों के साथ खिलवाड़ देखने में आ रहा है। वहीं पुणे आरटी ने व्यापक अध्ययन के बाद ई-रिक्शों के लिए 14 रूट तय किए हैं। पुणे के चालक तथा सवारियां दोनो ई-रिक्शा की सुरक्षा तथा अन्य मानकों के प्रति सुनिश्चित हो जाना चाहते हैं। वे तभी इनका प्रयोग करना चाहते हैं जब इनसे संबंधित सारी व्यवस्थाएं दुरुस्त हो जाएं। मसलन, वे चाहते हैं कि ई-रिक्शा निर्माता इनके लिए पर्याप्त बैटरी चार्जिग स्टेशन स्थापित करें तथा नगर निगम की ओर से जगह-जगह ई-रिक्शा स्टैंड बनाए जाएं।
यह दिल्ली और उप्र से एकदम अलग है, जहां किसी को इन चीजों की फिक्र नहीं है। पुणे आरटीओ ने ई-रिक्शों पर बच्चों की सवारी पर प्रतिबंध लगा दिया है। जबकि दिल्ली-एनसीआर में ई-रिक्शा खुलेआम स्कूली बच्चों को ढोकर और जरूरत से ज्यादा बच्चों को बिठाकर सुरक्षा के साथ खिलवाड़ कर रहे हैं। कई मर्तबा ये ई-रिक्शा ओवरलोडिंग के साथ प्रादेशिक राजमार्गो और राष्ट्रीय राजमार्गो पर भी नजर आते हैं। लेकिन पंजीकरण के अभाव में पुलिस मूक दर्शक बनी देखती रहती है। आइएफटीआरटी के संयोजक एसपी सिंह ने केंद्र व राज्य सरकारों से इस ओर ध्यान देने और ई-रिक्शों को पुणे की तर्ज पर नियम-कानून के दायरे में लाने की अपील की है।
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