संप्रग की 'गेमचेंजर' योजना को आजमा सकता है राजग
सीधे ग्राहकों के हाथों में रसोई गैस सब्सिडी देने की संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (संप्रग) की 'गेमचेंजर' योजना यानी डीबीटीएल को राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) भी आजमा सकता है। चुनाव से ठीक पहले रद हुई स्कीम की समीक्षा के लिए गठित समिति ने इसे सही ठहराते हुए कई बदलावों के साथ लागू करने का सुझाव दिया है। भारतीय
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। सीधे ग्राहकों के हाथों में रसोई गैस सब्सिडी देने की संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (संप्रग) की 'गेमचेंजर' योजना यानी डीबीटीएल को राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) भी आजमा सकता है। चुनाव से ठीक पहले रद हुई स्कीम की समीक्षा के लिए गठित समिति ने इसे सही ठहराते हुए कई बदलावों के साथ लागू करने का सुझाव दिया है। भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान, कानपुर के पूर्व निदेशक एसजी धांडे की अध्यक्षता में गठित समिति ने जनवरी, 2013 से लागू इस योजना में कई खामियां बताई हैं। साथ ही, कहा है कि सब्सिडी का दुरुपयोग रोकने में यह काफी कारगार साबित हो सकती है। इसलिए कुछ फेरबदल के साथ इसे अपनाना चाहिए।
समिति के सुझाव पेट्रोलियम मंत्रालय को सौंप दिए गए हैं। तेल मंत्रालय के अफसरों के मुताबिक, रिपोर्ट पर उच्च स्तरीय विचार के बाद फैसला होगा। समिति का कहना है कि डीबीटीएल लागू करने में सबसे बड़ी अड़चन यह आई कि ग्राहकों की शिकायतों को सुनने वाला कोई नहीं था। इसलिए भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण (यूआइडीएआइ), एनपीसीएल व तेल कंपनियों को मिला कर एक शिकायत प्रकोष्ठ का गठन करना चाहिए। यह प्रकोष्ठ सभी एजेंसियों के बीच समस्याओं का निपटारा करेगा।
समिति ने यह भी कहा है कि रसोई गैस सब्सिडी की पर्याप्त राशि ग्राहकों के बैंक खाते में पहले ही ट्रांसफर करने की व्यवस्था हो जानी चाहिए। इसके लिए पिछले 12 महीने के दौरान जिस महीने सबसे ज्यादा सब्सिडी की राशि की दी गई हो, उसे आधार बनाया जाना चाहिए। जिस जिले में इस स्कीम को लागू किया जा रहा हो, वहां छह महीने की योजना बनाई जाए। इस अवधि के दौरान हर ग्राहक का आधार कार्ड बन जाना चाहिए। यूआइडीएआइ को हर राज्य में समान तरीके से आधार कार्ड बनाने की पहल करनी चाहिए। व्यापक स्तर पर कैंप लगा कर आधार कार्ड बनाने व उसे बैंक खाते और एलपीजी ग्राहक नंबर के साथ जोड़ने का राष्ट्रीय अभियान शुरू हो जाना चाहिए।
जनवरी, 2013 में यह एलपीजी सब्सिडी की यह डायरेक्ट बेनिफिट यानी डीबीटीएल स्कीम लागू हुई थी। कांग्रेस के उपाध्यक्ष राहुल गांधी ने चुनावों के लिए गेमचेंजर करार दिया था, क्योंकि इसके तहत हर लाभार्थी परिवार के हाथ लगभग 4,000 रुपये सालाना का भुगतान हो रहा था। योजना 291 जिलों में लागू की गई थी। इसके तहत 5,400 करोड़ रुपये ग्राहकों के खाते में ट्रांसफर भी किए गए। लेकिन कई तरह की शिकायतों के बाद इसे फरवरी, 2014 में स्थगित कर दिया गया। अब देखना है कि नई सरकार संप्रग की इस नीति को लागू करती है या नहीं।