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दलाई लामा ने भारत को माना गुरु कहा- देश में है प्राचीन शिक्षा की संपदा

दलाई लामा ने खुद को प्राचीन भारतीय मूल्‍यों का दूत बताया और सामाजिक न्‍याय बरकरार रखने की बात कही।

By Monika minalEdited By: Published: Tue, 23 May 2017 04:38 PM (IST)Updated: Tue, 23 May 2017 04:38 PM (IST)
दलाई लामा ने भारत को माना गुरु कहा- देश में है प्राचीन शिक्षा की संपदा
दलाई लामा ने भारत को माना गुरु कहा- देश में है प्राचीन शिक्षा की संपदा

बेंगलुरू (प्रेट्र)। तिब्‍बती आध्‍यात्‍मिक गुरु दलाई लामा ने सोमवार को कहा कि जाति के नाम पर सामाजिक न्याय से वंचित करना सामंती प्रणाली है जो हमारे समाज में मौजूद है और इसका धर्म से कोई लेना-देना नहीं है।

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गुरु है भारत

खुद को प्राचीन भारत के मूल्‍यों व शिक्षा का दूत बताते हुए दलाई लामा ने कहा, ‘भारत गुरु है और हम इसके विश्‍वसनीय चेला (अनुयायी) हैं क्‍योंकि हमने प्राचीन ज्ञान को संभाला है।‘

खुद को बताया भारत की संतान

राज्‍य स्‍तर पर ‘सामाजिक न्‍याय और डॉ. बीआर अंबेडकर’ पर सेमिनार के दौरान दलाई लामा ने कहा, ‘मैं खुद को भारत की संतान के तौर पर देखता हूं क्‍योंकि मेरे दिमाग की हर नस में प्राचीन भारतीय ज्ञान भरा है और मेरा शरीर भारतीय चावल और दाल के कारण है।

सामंती व्‍यवस्‍था की देन

जाति के नाम पर सामाजिक न्‍याय से वंचित कर देना धर्म से जुड़ा नहीं है लेकिन यह सामंती व्‍यवस्‍था जैसे मौजूदा सामाजिक व्‍यवस्‍था की देन है।‘ सांस्‍कृतिक तौर पर यह नकारात्‍मक पक्ष है जो हमारे समाज में मौजूद है और इसे हटाना अनिवार्य है। यहां तक कि धर्म और धार्मिक व्‍यवस्‍था के नाम पर यहां कुछ सामंती तरीके की गतिविधयां थी और इसे नहीं होना चाहिए।

शिक्षा के जरिए हटेगा अन्‍याय

उन्‍होंने आगे कहा कि शिक्षा के जरिए अन्‍याय को हटाया जा सकता है। ताकि वहां समानता हो और लोग आत्‍मविश्‍वास से जी सके। आत्‍मविश्‍वास, मेहनत व शिक्षा के जरिए समानता हासिल होगी। प्राचीन भारतीय मूल्‍यों व ज्ञान की संपदा पर दलाई लामा ने कहा यह देश को जरूर पुर्नजीवित करेगा इसलिए नहीं कि यह प्राचीन है बल्‍कि इसलिए क्‍योंकि यह प्रासंगिक है। उन्होंने कहा, आधुनिक तकनीक और प्राचीन भारतीय ज्ञान व मूल्‍यों को मिलाकर देश का उत्‍थान किया जा सकता है।

भारतीय धर्म है ‘बौद्ध धर्म’

उनके अनुसार, हर कोई खुश रहना चाहता है और उनके पास यह अधिकार है। उन्‍होंने आगे कहा यदि हम बाकि के मानवता को भाइयों और बहनों के तौर पर आंके तो शोषण का कोई जगह नहीं होगा। बौद्ध धर्म भारतीय धर्म है और इसके अधिकतर सीख व ज्ञान देश से संबंधित हैं। उन्‍होंने करुणा और हिंसा जैसे प्राचीन भारतीय मूल्‍यों के बारे में बताया कि ये मूल्‍य बौद्ध धर्म के जरिए दुनिया के करोड़ों लोगों के बीच प्रसारित हुआ है।

मुख्‍यमंत्री सिद्धारमैया व लोक सभा में कांग्रेस पार्टी के नेता मल्‍लिकार्जुन खडगे इस सेमिनार में मौजूद थे। इसका आयोजन अंबेडकर की 125वीं जयंती के अवसर पर कर्नाटक सरकार के सामाजिक न्‍याय विभाग ने किया।

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