Move to Jagran APP

टाटा संस के चेयरमैन पद से हटाए गए साइरस मिस्त्री, कानूनी पचड़े में पड़ सकता है निष्कासन

टाटा सन्स की बोर्ड बैठक में चेयरमैन साइरस मिस्त्री् को उनके पद से हटा दिया गया है। ग्रुप ने रतन टाटा को अगले चार महीने के लिए इंट्रिम चेयरमैन बनाने का निर्णय लिया है

By Shilpa SrivastavaEdited By: Published: Mon, 24 Oct 2016 05:24 PM (IST)Updated: Tue, 25 Oct 2016 11:19 AM (IST)
टाटा संस के चेयरमैन पद से हटाए गए साइरस मिस्त्री, कानूनी पचड़े में पड़ सकता है निष्कासन

जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। भारतीय कॉरपोरेट जगत की यह शायद सबसे विस्मयकारी घटना है। देश के सबसे प्रतिष्ठित टाटा उद्योग समूह के चेयरमैन साइरस मिस्त्री को सोमवार को अचानक ही उनके पद से हटा दिया गया है। मिस्त्री के स्थान पर टाटा समूह के पुराने प्रमुख रतन टाटा को अंतरिम चेयरमैन बनाया गया है। साथ ही नए चेयरमैन की नियुक्ति के लिए पांच सदस्यों वाली एक विशेष समिति भी गठित की गई है।

loksabha election banner

समिति चार महीने में सौ अरब डॉलर से ज्यादा के सालाना कारोबार वाले इस अंतरराष्ट्रीय उद्योग समूह के नए चेयरमैन का चयन करेगी। इस घटना ने टाटा समूह के भीतर चल रहे उथल-पुथल को बाहर ला दिया है। जानकार मान रहे हैं कि जिस हिसाब से कारोबार का माहौल चुनौतीपूर्ण हो गया है, उसमें इस तरह के घटनाक्रम पूरे समूह पर भारी पड़ सकता है।

समूह की तरफ से जारी बयान के मुताबिक टाटा संस की सोमवार को हुई निदेशक बोर्ड की बैठक में साइरस पी मिस्त्री को चेयरमैन पद से हटाने का फैसला किया गया है। नए चेयरमैन के चयन के लिए रतन एन टाटा, वेणु श्रीनिवासन, अमित चंद्रा, रोनेन सेन और लॉर्ड कुमार भट्टाचार्य की एक विशेष समिति बनाई गई है।

यह भी दिलचस्प है कि इस समिति में टाटा संस में सबसे ज्यादा हिस्सेदारी रखने वाले शपूर पलोनजी के निदेशक बोर्ड से किसी प्रतिनिधि को इस समिति में शामिल नहीं किया गया है। साइरस को चार वर्ष पहले शपूरजी पलोनजी के प्रतिनिधि के तौर पर ही टाटा संस का चेयरमैन नियुक्त किया गया था।

कानूनी विवाद में फंस सकता है निष्कासन

टाटा संस के बोर्ड के फैसले के बाद इसकी संभावना है कि यह पूरा विवाद ही अब कानूनी पचड़े में फंस सकता है। समूह में 18.4 फीसद हिस्सा रखने वाली पारिवारिक शेयरधारक फर्म शपूरजी पलोनजी इस फैसले से खुश नहीं है। वह इसे अदालत में चुनौती देने पर विचार कर रही है। जबकि निदेशक बोर्ड ने कहा है कि समूह के लंबी अवधि के हितों को देखते हुए यह फैसला किया गया है।

लेकिन ऐसा लगता है कि निदेशक बोर्ड भी कानूनी लड़ाई के लिए तैयार है। इस बारे में टाटा संस के बोर्ड ने देश के कुछ बेहद प्रतिष्ठित वकीलों से राय मशविरा भी किया है। सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ वकील मोहन पराशरन ने ट्वीट कर जानकारी दी है कि उनसे इस बारे में विचार-विमर्श किया गया था। अगर दोनों पक्ष चेयरमैन पद के लिए अदालत जाते हैं, तो यह भी टाटा समूह के इतिहास में पहली बार होगा।

निष्कासन के वक्त पर सवाल

टाटा संस के बोर्ड ने यह वक्त क्यों चुना? यह ऐसा सवाल है जिसका जवाब आज शायद ही किसी के पास है। खासतौर पर तब जब समूह अपनी स्थापना के बाद सबसे चुनौतीपूर्ण दौर से गुजर रही है। समूह के मुनाफे में सबसे ज्यादा हिस्सा देने वाला स्टील समूह पूरी तरह से मंदी में है। ऑटोमोबाइल व आयरन-ओर की स्थिति भी बहुत अच्छी नहीं है। कंपनी ने पिछले दस वर्षो के भीतर यूरोप में भारी भरकम निवेश किए हैं, वहां भी खुशनुमा माहौल नहीं है। बोर्ड को इन सवालों का जवाब देना पड़ेगा।

रतन टाटा ने संभाला काम

टाटा समूह के अंतरिम चेयरमैन के तौर रतन टाटा ने सोमवार को कार्यभार भी संभाल लिया। इसके तुरंत बाद टाटा ने समूह के कर्मचारियों को पत्र भी लिखा है कि उन्होंने फिर से कामकाज संभाल लिया है। रतन ने वर्ष 2011 में साइरस मिस्त्री को टाटा समूह का भविष्य बताया था।

पढ़े, कालेधन के आंकड़ों को साझा नहीं करेगा वित्त मंत्रालय


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.