साइबर ठगी का मामला पहुंचा सुप्रीम कोर्ट, ई-मेल के जरिए हुई शिकायत
प्रदीप तिवारी, बरेली। नामी-गिरामी कंपनियों में नौकरी दिलाने के नाम पर ठगी करने का मामला अब सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया है। स्थानीय पुलिस के रवैये से निराश बेरोजगारों ने इस पूरे प्रकरण की लिखित शिकायत ई-मेल के जरिये सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश से की है। ठगों की ओर से भेजे गए ऑफर लेटर, सुप्रीम कोर्ट की नोटिस का प्रोफार्मा, इस संबंध में दैनिक जागरण में प्रकाशित खबरें व अन्य साक्ष्य शिकायती ई-मेल में अटैच किए गए हैं। गौरतलब है कि विभिन्न कंपनियों में नौकरी का झांसा
बरेली [प्रदीप तिवारी]। नामी-गिरामी कंपनियों में नौकरी दिलाने के नाम पर ठगी करने का मामला अब सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया है। स्थानीय पुलिस के रवैये से निराश बेरोजगारों ने इस पूरे प्रकरण की लिखित शिकायत ई-मेल के जरिये सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश से की है। ठगों की ओर से भेजे गए ऑफर लेटर, सुप्रीम कोर्ट की नोटिस का प्रोफार्मा, इस संबंध में दैनिक जागरण में प्रकाशित खबरें व अन्य साक्ष्य शिकायती ई-मेल में अटैच किए गए हैं।
गौरतलब है कि विभिन्न कंपनियों में नौकरी का झांसा देकर ठगी करने वाले गिरोह का भंडाफोड़ दैनिक जागरण ने 30 जुलाई के अंक में किया था। इसके बाद पिछली छह अगस्त को इस मामले में पहली एफआइआर बारादरी थाने में दर्ज की गई। रिपोर्ट दर्ज होने को एक सप्ताह होने को आए, लेकिन पुलिस अभी तक किसी ठोस नतीजे पर नहीं पहुंच सकी है। इसी बीच शनिवार को ठगों के शिकार दो अन्य युवक सामने आए, जिन्हें नेस्ले कंपनी में नौकरी का लालच देकर फंसाया गया था। इन युवकों ने पहले बारादरी थाने में एफआइआर दर्ज करानी चाही, लेकिन सीमा विवाद बताकर उन्हें वहां से कोतवाली भेज दिया गया।
इसके बाद कोतवाली पुलिस ने भी भुता के गयादीन गंगवार और पीलीभीत के रजनीश सिंह की एफआइआर दर्ज नहीं की और उन्हें टरका दिया। पुलिस की ओर से एफआइआर दर्ज न किए जाने पर दोनों युवक सर्वोच्च न्यायालय की शरण में चले गए। उन्होंने सर्वोच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश को पूरे मामले की जानकारी देने के साथ ही पुलिस की ओर से किए गए दुर्व्यवहार से भी अवगत कराया है। भुक्तभोगियों ने सुप्रीम कोर्ट से हस्तक्षेप करने का आग्रह किया है। युवकों ने पूरे मामले में दैनिक जागरण में प्रकाशित खबरों की प्रति, ठगों द्वारा भेजे गए ऑफर लेटर व सुप्रीम कोर्ट की नोटिस के प्रोफार्मा को भी साक्ष्य के रूप में भेजा है।
ठगी के इस गोरखधंधे का खुलासा होने के दो सप्ताह बाद भी पुलिस अभी तक किसी नतीजे पर नहीं पहुंच सकी है। पुलिस केवल एफआइआर दर्ज करने तक ही सीमित होकर रह गई है। ठगों की ओर से इस्तेमाल किए जा रहे मोबाइल नंबरों को पुलिस की सर्विलांस टीम स्विच ऑफ बता रही है, जिसके चलते जानकारी न मिलने की बात कही जा रही है। साथ ही ई-मेल आइडी भी ब्लॉक बताई जा रही है, जबकि ठगों का एक नंबर अभी भी चालू है, जिससे दैनिक जागरण रिपोर्टर को शनिवार को कॉल भी की गई थी।
सर्विलांस टीम सभी मोबाइल नंबरों को जहां स्विच ऑफ बता रही है, वहीं मामले के विवेचनाधिकारी भी कोई क्लू हासिल नहीं कर सके हैं। ठगी के मामले के खुलासे के बाद सामने आए यूको बैंक, कार्पोरेशन बैंक, पीएनबी बैंक और आइएनजी वैश्य बैंक के उन खातों को भी सीज नहीं किया गया, जिनसे ठग लेन-देन कर रहे हैं। बैंक सूत्रों की मानें तो अभी भी प्रतिदिन इनमें लाखों का लेनदेन हो रहा है।
शुरुआती जानकारी में पता लगा कि ठगों के अधिकांश बैंक खाते संभवत: दिल्ली से ऑपरेट हो रहे हैं। इससे इस बात की भी पूरी संभावना है कि ठगी के पूरे रैकेट को दिल्ली से ही चलाया जा रहा हो। बावजूद इसके स्थानीय पुलिस ने अभी तक दिल्ली पुलिस से इस मामले को लेकर संपर्क नहीं साधा है।
पुलिस उप महानिरीक्षक और वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक के स्पष्ट निर्देशों के बावजूद स्थानीय पुलिस ठगी के शिकार युवाओं की एफआइआर तक दर्ज नहीं कर रही है। दैनिक जागरण की पहल पर एफआइआर दर्ज कराने के लिए सामने आने वाले युवाओं को थाने से भगा दिया जा रहा है। इसके साथ ही उनको इस मामले में और भी पैसे खर्च होने तथा आगे और परेशान होने का भय दिखाया जा रहा है।
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