यूपीएससी की मेरिट में नहीं जुड़ेंगे सीसैट के अंक
संघ लोकसेवा आयोग की परीक्षा में भारतीय भाषाओं के परीक्षार्थियों को केंद्र सरकार ने इस साल बड़ी राहत दी है। सरकार ने विवादित सीसैट पेपर के नंबर मेरिट में नहीं जोड़ने का फैसला किया है। परीक्षार्थियों को केवल इसे पास करना होगा। माना जा रहा है कि इससे ग्रामीण इलाकों
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। संघ लोकसेवा आयोग की परीक्षा में भारतीय भाषाओं के परीक्षार्थियों को केंद्र सरकार ने इस साल बड़ी राहत दी है। सरकार ने विवादित सीसैट पेपर के नंबर मेरिट में नहीं जोड़ने का फैसला किया है। परीक्षार्थियों को केवल इसे पास करना होगा। माना जा रहा है कि इससे ग्रामीण इलाकों से आने वाले लाखों परीक्षार्थियों को विज्ञान और इंजीनियरिंग के परीक्षार्थियों के साथ बराबर की प्रतियोगिता करने का अवसर मिलेगा।
गौरतलब है कि यूपीएससी की परीक्षा से सीसैट को हटाने और अंग्रेजी को सामान्य ज्ञान के पेपर से हटाने के लिए जबर्दस्त आंदोलन हुआ था। यहां तक कि संसद में भी यह मुद्दा उठा था। आंदोलन के बाद सरकार ने पिछले साल ही अंग्रेजी के अंक को मेरिट में शामिल नहीं करने का फैसला कर लिया था। लेकिन सीसैट को सीधे-सीधे हटाने से इंकार कर दिया।
सीसैट के लिए क्वालीफाइंग अंक तय करने की जिम्मेदारी यूपीएससी पर छोड़ दी गई थी। अब सरकार ने साफ कर दिया है कि इस साल अंग्रेजी के साथ-साथ सीसैट के अंक भी मेरिट में शामिल नहीं किए जाएंगे। लेकिन सभी परीक्षार्थियों के लिए सीसैट पेपर को 33 फीसद अंक के साथ पास करना अनिवार्य होगा। यूपीएससी अगले कुछ दिनों में इससे संबंधित अधिसूचना जारी कर देगा।
कमेटी की अनुशंसा
कार्मिक मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि परीक्षार्थियों के आंदोलन के बाद यूपीएससी की परीक्षा प्रणाली में सुधार के लिए विशेषज्ञों की एक कमेटी का गठन किया गया था। अभी तक कमेटी ने अपने सुझाव नहीं दिए, लेकिन इसकी अनुशंसा पर 2015 की परीक्षा में सीसैट को क्वालीफाइंग करने का फैसला किया गया है। साथ ही अंग्रेजी भाषा के अंक को भी मेरिट से बाहर रखने का फैसला किया गया है।
इस आधार पर विरोध
भारतीय भाषाओं और कला विषय से परीक्षा देने वाले छात्रों का आरोप है कि सीसैट में विज्ञान और इंजीनियरिंग के छात्रों को अधिक अंक मिल जाते हैं। इस कारण वे प्रतियोगिता की दौड़ से पहले ही बाहर हो जाते हैं। इसके लिए सीसैट लागू होने के बाद भारतीय भाषाओं से परीक्षा उत्तीर्ण करने वाले परीक्षार्थियों की गिरती संख्या का हवाला भी दिया गया था।