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नक्सली हमले में जवानों की हत्या मानवाधिकार हनन नहीं : सीआरपीएफ

मानवाधिकार कार्यकर्ता वेंकटेश नायक ने सीआरपीएफ से यह रिपोर्ट मांगी थी। उनका कहना था कि इस साल अप्रैल में हुआ यह जनसंहार मानवाधिकार उल्लंघन है।

By Manish NegiEdited By: Published: Tue, 20 Jun 2017 07:38 PM (IST)Updated: Tue, 20 Jun 2017 07:38 PM (IST)
नक्सली हमले में जवानों की हत्या मानवाधिकार हनन नहीं : सीआरपीएफ
नक्सली हमले में जवानों की हत्या मानवाधिकार हनन नहीं : सीआरपीएफ

नई दिल्ली, प्रेट्र। सीआरपीएफ के लिए छत्तीसगढ़ के सुकमा में नक्सलियों द्वारा 25 जवानों की हत्या मानवाधिकार हनन में नहीं आता है। सूचना के अधिकार (आरटीआइ) के तहत पूछे गए सवाल पर अर्धसैनिक बल का जवाब यही कहता है। आरटीआइ आवेदन में इस घटना की रिपोर्ट साझा करने की मांग की गई थी।

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मानवाधिकार कार्यकर्ता वेंकटेश नायक ने सीआरपीएफ से यह रिपोर्ट मांगी थी। उनका कहना था कि इस साल अप्रैल में हुआ यह जनसंहार मानवाधिकार उल्लंघन है। आरटीआइ कानून के तहत मानवाधिकार हनन और भ्रष्टाचार के आरोपों को छोड़कर सीआरपीएफ को किसी तरह की जानकारी न नहीं देने की छूट है। इस छूट का जिक्र करते हुए सीआरपीएफ ने जवाब दिया कि यह मामला न तो मानवाधिकार और न ही भ्रष्टाचार का लगता है।

इसलिए वह इस संबंध में कोई सूचना देने के लिए बाध्य नहीं है। सीआरपीएफ ने यह भी कहा कि रिपोर्ट में अभियान संचालन संबंधी ब्योरा होने के कारण उसे साझा नहीं किया जा सकता। नायक ने कहा कि नक्सलियों का जानलेवा हमला मानवाधिकार हनन है। इस सच्चाई से इन्कार कर अपने ही कर्मियों के प्रति अन्याय कर रहा है।

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