ISI एजेंट की तलाश में जम्मू-कश्मीर, असम व भोपाल में छापे
पाकिस्तानी जासूसों से पूछताछ के आधार पर दिल्ली पुलिस क्राइम ब्रांच ने जम्मू कश्मीर, दार्जिलिंग, असम और भोपाल में आज ताबड़तोड़ छापे मारे।
नई दिल्ली। दिल्ली पुलिस की क्राइम ब्रांच द्वारा गिरफ्तार किए गए पाकिस्तानी जासूसों से पूछताछ में रोज नए-नए खुलासे हो रहे हैं। पूछताछ के आधार पर दिल्ली पुलिस क्राइम ब्रांच ने जम्मू कश्मीर, दार्जिलिंग, असम और भोपाल में आज ताबड़तोड़ छापे मारे।
क्राइम ब्रांच के सूत्रों की माने तो उसे इन शहरों में आइएसआइ के एजेंट होने का शक है। यहां पर याद दिला दें कि पुलिस गिरफ्त में आए कैफेतुल्लाह और अब्दुल रशीद से पूछताछ में यह खुलासा हुआ था।
पुलिस को बीएसएफ और आर्मी के कुछ जवानों पर भी शक है कि वे भी जासूसी कर सकते हैं। इसके अलावा, कुछ रिटायर्ड जवानों के भी शामिल होने की जानकारी मिल रही है।
क्राइम ब्रांच के अधिकारी के मुताबिक, दोनों के मोबाइल से मिले सैकड़ों संदिग्ध नंबर मिले हैं, जिनकी जांच की जा रही है।
पाक जासूसों के पास से बरामद हुए परमाणु संयंत्रों के नक्शे
पुलिस गिरफ्त में आए कैफेतुल्लाह और अब्दुल रशीद के संपर्क में सेना के अलग-अलग विंग में तैनात अन्य कई लोग थे। आरोपियों ने जम्मू-कश्मीर में तैनात सेना के एक्स सर्विसमैन के नाम का भी खुलासा किया है।
सूत्रों के मुताबिक कफेतुल्ला खान और अब्दुल राशिद के पास से पुलिस को जम्मू-कश्मीर सीमा की जानकारी सहित झांसी स्थित भारतीय शस्त्रगार और कुछ परमाणु संयंत्रों के नक्शे बरामद हुए हैं।
युद्ध की तैयारी, युद्ध के आदेश की कॉपी, जम्मू-कश्मीर में बीएसएफ की तैनाती, कश्मीर में वायु सेना के लड़ाकू विमानों की तैनाती से जुड़े कागजात सहित सात गोपनीय दस्तावेज भी मिले हैं। इससे पता चलता है कि आरोपियों की पहुंच सेना व विभाग में कितने अंदर तक थी।
पुलिस अब यह पता लगाने में जुटी है कि क्या ये सारे दस्तावेज आइएसआइ को सौंपे जा चुके हैं? अधिकारियों का मानना है कि यदि महत्वपूर्ण दस्तावेज पाकिस्तान एजेंट के हाथ लग गए होंगे तो इन महत्वपूर्ण संस्थानों की सुरक्षा को काफी खतरा हो सकता है।
क्राइम ब्रांच कफेतुल्ला और अब्दुल राशिद के मोबाइल और लैपटॉप को भी खंगाल रही है। इनसे अहम जानकारी हाथ लग सकती है। जांच में पता चला है कि पाकिस्तानी हैंडलर सूचना के लिए कफेतुल्ला के बैंक खाते में रुपये भेजता था।
बाद में वह रुपये दूसरे जासूसों को भेजता था। खाता उसके जम्मू स्थित पुस्तैनी घर के पते पर खुला है। क्राइम ब्रांच और अधिक जानकारी जुटाने के लिए बीएसएफ हवलदार अब्दुल राशिद को मंगलवार रात जम्मू ले जाएगी।
वहां खुफिया विंग में उसकी तैनाती तथा नौकरी के दौरान उसकी कथित भूमिका के बारे में गहन छानबीन की जाएगी। पुलिस रिमांड की अवधि कम रहने के कारण कफेतुल्ला को फिलहाल दिल्ली में रखा गया है। उससे पूछताछ करने के लिए मध्यप्रदेश एसटीएफ की एक टीम मंगलवार को दिल्ली पहुंची।
टीम ने गहन पूछताछ में भोपाल में मौजूद उसके स्लीपर सेल के बारे में जानकारी जुटाई। कफेतुल्ला को भोपाल जाने के दौरान गिरफ्तार किया था। कफेतुल्ला और राशिद जम्मू-कश्मीर के एक ही गांव के रहने वाले और संबंधी हैं। कफेतुल्ला पहले बीएसएफ और जम्मू-कश्मीर पुलिस में रह चुका है, जबकि वर्तमान में वह एक सरकारी स्कूल में लाइब्रेरियन का काम कर रहा था।
अब्दुल राशिद बीएसएफ में हेड कांस्टेबल था। राशिद बीएसएफ में भर्ती होने से पहले भी आतंकी गतिविधियों में शामिल था। विशेष कैंप में उसे बीएसएफ में भर्ती किया गया। उसकी एक किडनी खराब होने के चलते निकाल दी गई है।
क्राइम ब्रांच के संयुक्त पुलिस आयुक्त रविंद्र यादव के मुताबिक आरोपी काफी समय से भारतीय सेना की गोपनीय जानकारी व्हाट्स एप और वाइबर के जरिए आइएसआइ एजेंट को भेज रहे थे। बातचीत करने के लिए वाइबर एप मोबाइल में डाउनलोड करते थे और बाद में डिलीट कर देते थे।1
करते थे कोड वर्ड का प्रयोग
कफेतुल्ला खान और अब्दुल राशिद को सुरक्षा एजेंसियों की कार्रवाई की पूरी जानकारी थी। पकड़े जाने के डर से खुद और पाकिस्तान में बैठे आइएसआइ के अपने आकाओं से कोड वर्ड में बात करते थे।
दोनों आरोपी जानकारी को दवा, लीक हुए दस्तावेज को एक्स-रे, पाकिस्तान के खुफिया अधिकारियों के लिए भाईजान और आर्मी अथवा बीएसएफ के अधिकारी व कर्मियों के लिए डॉक्टर और सर्जन शब्द का प्रयोग करते थे।
119 रुपये रोजाना दिहाड़ी पर आइएसआइ को गुप्त सूचनाएं देता था इरशाद
आइएसआइ को गुप्त सूचनाएं भेजने के एवज में पाकिस्तानी जासूस मुहम्मद इरशाद को प्रतिदिन 119 रुपये मिलते थे। पाकिस्तान में रहने वाले भाई इरफान ने वर्ष 1995 में यह राशि तय की थी। बाद में काम के हिसाब से इरशाद को प्रतिमाह दस हजार रुपये तक मिलने लगे थे।
जासूसी के आरोप में पोर्ट इलाके से गिरफ्तार पिता-पुत्र समेत तीन लोगों में से इरशाद अंसारी ही मेरठ में पकड़े गए जासूस एजाज को गार्डनरीच शिव बिल्डर्स में दो बार घुमाने के लिए ले गया था। उस दौरान शिव बिल्डर्स में एंटी सबमरीन युद्धपोत का निर्माण किया जा रहा था।
एजाज ने मोबाइल फोन के जरिए इस युद्धपोत का फोटो खींचकर पाकिस्तान में बैठे अपने आका को भेजा था। यह खुलासा मंगलवार को पाक एजेंटों से एनआइए समेत केंद्रीय जांच एजेंसियों और कोलकाता पुलिस की एसटीएफ द्वारा की गई पूछताछ में हुआ है।
एसटीएफ सूत्रों के अनुसार, इरशाद अंसारी ने एजाज के कोलकाता में रहने के दौरान वर्ष 2014 में गार्डनरीच शिप बिल्डर्स में बन रहे युद्धपोतों की गुप्त सूचनाएं एकत्र करने के लिए दो मर्तबा घुमाने का बहाना बनाकर अंदर लेकर गया था। प्रवेश के लिए इरशाद ने दो गेट पास भी बनवाए थे।
खुलासा हुआ है कि पाकिस्तान में रहने वाले इरशाद के भाई इरफान ने कभी वहां रहते हुए अपने परिवार से फोन पर बात नहीं की। बल्कि बांग्लादेश आकर इरशाद से फोन पर बात करता था। इस दौरान इरफान परिवार का हालचाल लेने के बहाने कोड वर्ड के माध्यम से भारत संबंधी गुप्त सूचनाओं का अदान-प्रदान करता था।