जहां पति नहीं रहता वह जायदाद महिला की नहीं
घरेलू हिंसा के मामले में महिला अपने सास-ससुर व ससुराल पक्ष के अन्य लोगों से उस जायदाद में हिस्सा नहीं मांग सकती है, जहां उसका पति न रहता हो। महिला पर सुसराल पक्ष या अन्य किसी रिश्तेदार द्वारा किए गए घरेलू ङ्क्षहसा के मामले में प्राथमिक रूप से उसका पति
अमित कसाना, नई दिल्ली। घरेलू हिंसा के मामले में महिला अपने सास-ससुर व ससुराल पक्ष के अन्य लोगों से उस जायदाद में हिस्सा नहीं मांग सकती है, जहां उसका पति न रहता हो। महिला पर सुसराल पक्ष या अन्य किसी रिश्तेदार द्वारा किए गए घरेलू हिंसा के मामले में प्राथमिक रूप से उसका पति ही जिम्मेदार है।
यह टिप्पणी द्वारका महिला कोर्ट की महानगर दंडाधिकारी चारू गुप्ता ने की। कोर्ट ने महिला द्वारा घरेलू हिंसा अधिनियम में दायर उस याचिका को खारिज कर दिया, जिसमें उसने अपने ससुर, जेठ, जेठानी समेत भतीजे को भी आरोपी बनाया था, जबकि अपने पति को नहीं।
सुनवाई के दौरान अदालत ने मामले को गंभीरता से लेते हुए कहा कि पति अपनी पत्नी की आड़ में छिपकर जिम्मेदारी से बच नहीं सकता है। न ही वह अपनी जिम्मेदारी अपने माता-पिता व रिश्तेदारों पर डाल सकता है। कोर्ट ने टिप्पणी करते हुए कहा कि कोई व्यक्ति नौकरी करता है और अपने माता-पिता से अलग रहता है।
हालांकि, महिला अपने ससुराल पक्ष के साथ रहती है। इन परिस्थितियों में भी महिला घरेलू हिंसा में मुआवजे की हकदार नहीं है। चाहे इस स्थिति में उसके पति की रजामंदी हो या नहीं।
यह था मामला : डाबरी निवासी महिला ने अदालत में घरेलू हिंसा में याचिका दायर की थी। याचिका में उसने मुआवजे के लिए अपने ससुर, जेठ, जेठानी व भतीजे को आरोपी बनाया था। मामले की सुनवाई के दौरान कोर्ट ने हाई कोर्ट के सुमिता संधू बनाम संजय सिंह संधू व किरण क्रिपलानी बनाम जेठानंद जेठवानी समेत अन्य कुछ फैसलों का हवाला भी दिया।