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न्यायालयीन कार्य की भाषा भी हिंदी बन सकती हैः शिवराज

अंग्रेजी के बिना भी सरकारी कामकाज आसानी से हो सकता है, न्यायालयीन कार्य की भाषा भी हिंदी बन सकती है। यह बात मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने विश्व हिंदी सम्मेलन स्थल पर कहीं। बुधवार सुबह लाल परेड मैदान पहुंचकर चौहान ने सम्मेलन की तैयारियों का जायजा लिया और विश्वस्तरीय आयोजन

By Sanjay BhardwajEdited By: Published: Thu, 10 Sep 2015 09:27 AM (IST)Updated: Thu, 10 Sep 2015 10:10 AM (IST)

भोपाल। अंग्रेजी के बिना भी सरकारी कामकाज आसानी से हो सकता है, न्यायालयीन कार्य की भाषा भी हिंदी बन सकती है। यह बात मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने विश्व हिंदी सम्मेलन स्थल पर कहीं। बुधवार सुबह लाल परेड मैदान पहुंचकर चौहान ने सम्मेलन की तैयारियों का जायजा लिया और विश्वस्तरीय आयोजन के मुताबिक ही व्यवस्थाएं करने की हिदायतें दीं।

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विश्व हिंदी सम्मेलन : तस्वीरों में देखिए पूर्व संध्या पर सांस्कृतिक अभ्यास

बाद में मीडिया से चर्चा में उन्होंने कहा कि सूचना प्रौद्योगिकी क्षेत्र की बड़ी कंपनियां इस सम्मेलन में रूचि ले रही हैं, इससे जाहिर है कि हिंदी के जरिए भी सूचना प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में आसानी से कामकाज हो सकता है। मुख्यमंत्री ने कहा कि सम्मेलन के साथ ही अंग्रेजी को लेकर कई भ्रम दूर हो रहे हैं, प्रशासन हिंदी में भी आसानी से काम कर सकता है। हिंदी की प्रिय पंक्तियों के बारे में पूछे जाने पर चौहान ने माखनलाल चतुर्वेदी की पंक्तियां सुनाईं-मुझे तोड़ लेना वनमाली! उस पथ पर देना तुम फेंक...।


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