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उत्तराखंड: सीएम पद पर रार बरकरार

सूबे में कांग्रेस सरकार के गठन का रास्ता साफ हो गया, लेकिन पार्टी को विधायक दल का नेता चुनने में मुश्किलों से जूझना पड़ रहा है। अंदरूनी खींचतान के साथ ही चारों ओर से पड़ने वाले दबाव का अंदाजा इससे लग सकता है कि पार्टी को अपने विधायकों के साथ ही निर्दलियों, उक्रांद और बसपा विधायकों की 'हां' का इंतजार है। आश्चर्य नहीं कि इस मामले में पार्टी आलाकमान एकदम अलग नजरिए के साथ सामने आ सकता है।

By Edited By: Published: Sat, 10 Mar 2012 03:56 AM (IST)Updated: Sat, 10 Mar 2012 03:57 AM (IST)
उत्तराखंड: सीएम पद पर रार बरकरार

देहरादून [रविंद्र बड़थ्वाल]। सूबे में कांग्रेस सरकार के गठन का रास्ता साफ हो गया, लेकिन पार्टी को विधायक दल का नेता चुनने में मुश्किलों से जूझना पड़ रहा है। अंदरूनी खींचतान के साथ ही चारों ओर से पड़ने वाले दबाव का अंदाजा इससे लग सकता है कि पार्टी को अपने विधायकों के साथ ही निर्दलियों, उक्रांद और बसपा विधायकों की 'हां' का इंतजार है। आश्चर्य नहीं कि इस मामले में पार्टी आलाकमान एकदम अलग नजरिए के साथ सामने आ सकता है।

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सरकार बनाने जा रही कांग्रेस के नवनिर्वाचित विधायकों की बैठक सात मार्च को हो चुकी है। तीन दिन गुजर गए, लेकिन पार्टी ने अभी तक विधायक दल नेता यानि मुख्यमंत्री के दावेदार का चुनाव नहीं किया। इस होड़ में शामिल कई दिग्गजों ने पार्टी की दिक्कतें बढ़ा दी हैं। दरअसल, नेता का चुनाव यदि विधायकों से ही किया जाए तो भी विधायक ही मुख्यमंत्री पद के लिए चुना जाएगा, यह तय नहीं। कई विधायक टिकट दिलाने वाले सांसदों पर अपनी पसंद की मुहर लगा रहे हैं। इन दावेदारों में केंद्रीय राज्यमंत्री हरीश रावत, सांसद विजय बहुगुणा और सतपाल महाराज शामिल हैं। वहीं विधायकों में से नेता की होड़ में प्रदेश अध्यक्ष यशपाल आर्य, हरक सिंह रावत, इंदिरा हृद्येश प्रमुख रूप से शामिल हैं। सरकार को समर्थन दे रहे तीन निर्दलीय कांग्रेस के ही बागी हैं। टिकट कटने से खफा ये विधायक अब मुख्यमंत्री पद पर भी उनकी राय को तवज्जो चाहते हैं। दूसरी ओर, यदि बसपा कांग्रेस को अपना समर्थन देती है तो वह भी इस मुद्दे पर अपनी पसंद के लिए दबाव बनाकर मुसीबत में इजाफा कर सकती है।

..तो अब तलाशना होगा नेता प्रतिपक्ष

देहरादून, जागरण ब्यूरो। विधानसभा चुनाव में कांग्रेस से एक कदम पीछे रही भाजपा अब अपने नेता विधायक दल के चयन को लेकर भी पसोपेश में फंस गई है। सरकार बनाने में सफल न होने पर अब पार्टी आलाकमान नेता प्रतिपक्ष के लिहाज से विधायक दल का नेता चुनेगा। इस पद के लिए चार नेताओं का दावा मजबूत माना जा रहा है।

कांग्रेस ने सरकार बनाने का दावा पेश कर दिया है, लिहाजा अब अगर कोई बहुत बड़ा राजनैतिक उलटफेर न हुआ तो भाजपा का विपक्ष में बैठना तय है। इस लिहाज से अब भाजपा अपने नए नेता विधायक दल का चुनाव नेता प्रतिपक्ष की भूमिका को ध्यान में रखकर करेगी। पार्टी सूत्रों के मुताबिक श्री खंडूड़ी के अनिच्छा जता देने के बाद दो पूर्व मुख्यमंत्री भगत सिंह कोश्यारी व डा. रमेश पोखरियाल निशंक इसके लिए दावेदारी कर रहे थे लेकिन अब विपक्ष में बैठने की स्थिति में इस बात की संभावना नहीं है कि इनमें से कोई नेता विधायक दल की होड़ में शामिल होगा।

दूसरी विधानसभा में अध्यक्ष रहे हरबंस कपूर और प्रदेश अध्यक्ष बिशन सिंह चुफाल, मदन कौशिक भी दौड़ में शामिल हैं। इनके अलावा पूर्व मंत्री अजय भट्ट को भी प्रबल दावेदार माना जा रहा है।

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