केन्द्र और दिल्ली के बीच अधिकारों का मामला संविधान पीठ को
न्यायमूर्ति एके सीकरी व न्यायमूर्ति आरके अग्रवाल की पीठ ने कहा कि इस मामले में संविधान और कानून का महत्वपूर्ण प्रश्न शामिल है इसलिए इस पर संविधान पीठ को विचार करना चाहिये।
नई दिल्ली, जागरण ब्यूरो। केन्द्र और दिल्ली के बीच अधिकारों को लेकर चल रहे मुकदमे की सुनवाई अब पांच न्यायाधीशों की संविधान पीठ करेगी। बुधवार को दो न्यायाधीशों की पीठ ने मामले को विचार के लिए बड़ी पीठ को भेज दिया।
न्यायमूर्ति एके सीकरी व न्यायमूर्ति आरके अग्रवाल की पीठ ने कहा कि इस मामले में संविधान और कानून का महत्वपूर्ण प्रश्न शामिल है इसलिए इस पर संविधान पीठ को विचार करना चाहिये। हालांकि कोर्ट ने संविधान पीठ के विचार के लिए कोई कानूनी प्रश्न तय नहीं किये हैं। कोर्ट ने पक्षकारों से कहा कि वे नयी पीठ के समक्ष नये सिरे से बहस कर सकते हैं। कोर्ट ने निर्देश दिया कि मामले को मुख्य न्यायाधीश के सामने पेश किया जाये ताकि वे सुनवाई के लिए जल्दी संविधानपीठ का गठन कर सकें। पीठ ने फिलहाल मामले में अंतरिम आदेश देने से भी इन्कार कर दिया और कहा कि पक्षकार इसके लिए मुख्य न्यायाधीश के समक्ष मामले का जिक्र कर अपनी मांग रख सकते हैं।
दिल्ली सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में दिल्ली हाईकोर्ट के उस फैसले को चुनौती दी है जिसमें हाईकोर्ट ने कहा था कि दिल्ली पूर्ण राज्य नहीं है और उपराज्यपाल दिल्ली के प्रशासक हैं। दिल्ली सरकार ने सुप्रीमकोर्ट में मूल वाद दाखिल करते हुए कहा है कि हाईकोर्ट ने संविधान के अनुच्छेद 239एए की सही व्याख्या नहीं की है। सुप्रीमकोर्ट को तय करना चाहिये कि दिल्ली की चुनी हुई सरकार को क्या अधिकार है। साथ ही कोर्ट दिल्ली के प्रशासनिक कामकाज में केन्द्र सरकार को दखल देने से रोके। उधर केन्द्र सरकार की दलील है कि दिल्ली पूर्ण राज्य नहीं है दिल्ली का प्रशासनिक मुखिया उपराज्यपाल हैं।
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