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पाटीदार ओबीसी को कांग्रेस देगी 45 सीटें, अल्पेश व हार्दिक को राहुल पर भरोसा

कांग्रेस जातिवादी नेताओं पर दांव लगा रही है और पाटीदार समाज के नेताओं को 45 सीट देने को भी तैयार है।

By Ravindra Pratap SingEdited By: Published: Thu, 26 Oct 2017 10:12 PM (IST)Updated: Fri, 27 Oct 2017 10:36 AM (IST)
पाटीदार ओबीसी को कांग्रेस देगी 45 सीटें, अल्पेश व हार्दिक को राहुल पर भरोसा
पाटीदार ओबीसी को कांग्रेस देगी 45 सीटें, अल्पेश व हार्दिक को राहुल पर भरोसा

अहमदाबाद, शत्रुघ्न शर्मा। गुजरात की राजनीति में पाटीदार समाज 83 सीट पर प्रभुत्व रखता है, इनके बाद ठाकोर व दलित समुदाय प्रभावशाली स्थिति में है। इसलिए कांग्रेस जातिवादी नेताओं पर दांव लगा रही है और पाटीदार समाज के नेताओं को 45 सीट देने को भी तैयार है। जबकि भाजपा विकास व सरकारों की उपलब्धि को चर्चा के केन्द्र में रखना चाहती है। 

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गुजरात विधानसभा चुनाव 9 व 14 दिसंबर को दो चरण में होंगे इसके लिए भाजपा व कांग्रेस दोनों ही दल पूरी तरह तैयार हैं। चुनाव में मुख्य मुद्दा गुजरात का विकास ही रहेगा, सरदार सरोवर बांध, बुलैट ट्रेन, शहरों में बीआरटीएस, अहमदाबाद में मेट्रो, देश में सबसे अधिक रोजगार देने वाले राज्य के रूप में गुजरात की उपलब्धी, गांधीनगर में अंतरराष्ट्रीय स्टॉक एक्सचेंज, गांव व शहरों को 24 घंटे पानी, बिजली व सपाट सड़कों जैसी आधारभूत सुविधाओं के दम पर भाजपा अपने प्रचार में विकास को प्राथमिकता से उभार रही है लेकिन आरक्षण आंदोलन के चलते राज्य में अपना दबदबा रखने वाली पार्टियों के मैदान में आ जाने से राजनीतिक दलों का इनमें संतुलन साधना आवश्यक हो गया है। कांग्रेस अपने परंपरागत वोटबैंक ओबीसी समुदाय को करीब 45 सीट देगी माना जा रहा है कि पार्टी उतनी ही 45 सीट पाटीदार समुदाय के नेताओं को भी देने वाली है।

आरक्षण आंदोलन के नेता हार्दिक पटेल, ओबीसी नेता अल्पेश ठाकोर व उऊना कांड से उभरे दलित नेता जिग्नेश मेवाणी खुलकर कांग्रेस के पक्ष में आ गए हैं जबकि अल्पेश तो पार्टी में शामिल होकर चुनाव भी लडने वाले हैं। पाटीदारों के बाद सबसे अधिक ठाकोर समाज 35 तथा दलित समाज 62 सीट पर सीधा असर रखता है। कांग्रेस नेता राहुल गांधी इसीलिए राज्य के तीनों युवा नेताओं को महत्व दे रहे है।

हालांकि बीस सीटों पर ब्राम्हण मतदाता भी निर्णायक भूमिका में है लेकिन इस समुदाय में प्रभावशाली नेताओं के साइड लाइन होने के बाद कोई नेता राजनीतिक गलियारों में स्थान नहीं बना सका। इनके अलावा आदिवासी समुदाय 34 तथा कोळी समाज 18 सीट पर प्रभुत्व रखता है। जिनको लेकर भी अंदरखाने राजनीतिक दल सामाजिक नेताओं से संपर्क साध रहे हैं।

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