सुषमा के इस्तीफे पर अड़ी कांग्रेस
विपक्ष को अपने पीछे एकजुट करने में कांग्रेस भले ही कामयाब नहीं हो सकी है, लेकिन केंद्र सरकार के खिलाफ उसकी आक्रामकता में जरा भी कमी नहीं है। सुषमा स्वराज के कृत्य को आपराधिक बताते हुए कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी ने कहा कि उनके इस्तीफे के बगैर संसद नहीं चलेगी।
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। विपक्ष को अपने पीछे एकजुट करने में कांग्रेस भले ही कामयाब नहीं हो सकी है, लेकिन केंद्र सरकार के खिलाफ उसकी आक्रामकता में जरा भी कमी नहीं है। सुषमा स्वराज के कृत्य को आपराधिक बताते हुए कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी ने कहा कि उनके इस्तीफे के बगैर संसद नहीं चलेगी। सरकार के तीखे पलटवार और विपक्षी दलों से संसद के बाहर समर्थन न मिलने की कमी कांग्रेस के दोनों शीर्ष नेता सोनिया गांधी और राहुल गांधी अपनी ताकत झोंक कर पूरी करने की कोशिश कर रहे हैं।
कांग्रेस अध्यक्ष ने जहां सरकार पर विपक्ष की आवाज दबाने का आरोप लगाया तो वहीं पार्टी उपाध्यक्ष ने सीधे प्रधानमंत्री पर हमला बोला। राहुल ने कहा कि देश की जनता ने सुषमा के नाम पर नहीं बल्कि नरेंद्र मोदी को वोट दिया था। उन्होंने कहा कि सरकार की विश्वसनीयता रसातल में जा रही है। सोनिया ने आरोप लगाया कि लोकसभा में कैमरे में विपक्ष का विरोध नहीं दिखा रहे हैं। सिर्फ सत्तापक्ष को ही कैमरों में दिखाया जा रहा है। ये सरकार के काम करने का तरीका है। राहुल ने भी इसी बात को आगे बढ़ाया और कहा कि ये काम करने का मोदी स्टाइल है। वह विपक्ष की आवाज दबा देना चाहते हैं।
कांग्रेस उपाध्यक्ष ने कहा कि पीएम सिर्फ बीजेपी के नहीं पूरे देश के हैं। पीएम ने देश को धोखा दिया है। पीएम ने कहा था कि ना मैं खाऊंगा और ना खाने दूंगा। पीएम की बातों में वजन होना चाहिए। वह हवा में बात करते हैं। राहुल ने व्यापम घोटाले पर कहा कि 40 लोगों की मौत के बाद भी पीएम ने एक शब्द नहीं बोला। साथ ही उन्होंने चुटकी ली कि अगर प्रधानमंत्री नहीं बोल रहे हैं तब इससे मुझे ही फायदा है।
वाम दल साथ भी दूर भी
वाम दल संसद में तो कांग्रेस के साथ दिख रहे हैं, लेकिन संसद के बाहर कांग्रेस के धरना-प्रदर्शनों से उन्होंने किनारा कर लिया है। बहरहाल, संसद में कांग्रेस और वाम दलों की जुगलबंदी पूरा रंग दिखा रही है और दोनों ही सदनों में सरकार की भरपूर कोशिशों के बावजूद कोई काम नहीं हो सका। हालांकि, कांग्रेस अध्यक्ष और राहुल के तमाम प्रयास के बाद भी कांग्रेस के साथ धरना-प्रदर्शन या संसद के घेराव जैसे कार्यक्रम में वे शामिल होने को तैयार नहीं हैैं। अन्य दलों से भी कांग्रेस को अपेक्षित समर्थन अभी तक नहीं मिल सका है।