कांग्रेस की चुनावी रणनीति में होगा बड़ा बदलाव
कांग्रेस आलाकमान वाघेला व क्रास वोटिंग की घटना को लेकर काफी गंभीर है, पार्टी अपने कोर वोटर व स्थानीय कार्यकर्ताओं को विश्वास में लेकर आगे बढ़ने का प्रयास करेगी।
अहमदाबाद[शत्रुघन शर्मा ]। दिग्गज नेता शंकरसिंह वाघेला के विद्रोह व राष्ट्रपति चुनाव में क्रास वोटिंग को कांग्रेस आलाकमान ने गंभीरता से लिया है। प्रदेश अध्यक्ष भरतसिंह सोलंकी को शुक्रवार शाम को ही दिल्ली बुला लिया गया था। अनुमान है कि पार्टी अपनी चुनावी रणनीति में बदलाव करेगी।
गुजरात विधानसभा चुनाव से पहले भाजपा जहां मुख्यमंत्री विजय रुपाणी, उपमुख्यमंत्री नितिन पटेल व अध्यक्ष जीतूभाई वाघाणी की अगुवाई में 10 हजार गांवों में नर्मदा यात्रा महोत्सव की तैयारी कर रही है, वहीं वाघेला के पार्टी छोड़ देने के बाद कांग्रेस बडे़ रणनीतिक बदलाव की तैयारी में जुटी है। प्रदेश अध्यक्ष सोलंकी, प्रभारी अशोक गहलोत, पूर्व अध्यक्ष अर्जुन मोढवाडिया, सिद्धार्थ पटेल व अन्य वरिष्ठ नेताओं की कोर कमेटी को पूरी छूट देकर वाघेला की कमी को पूरा करने का प्रयास किया जाएगा।
कांग्रेस आलाकमान वाघेला व क्रास वोटिंग की घटना को लेकर काफी गंभीर है, पार्टी अपने कोर वोटर व स्थानीय कार्यकर्ताओं को विश्वास में लेकर आगे बढ़ने का प्रयास करेगी। खबर है कि कांग्रेस क्रास वोट करने वाले विधायकों को राज्यसभा चुनाव तक एक मौका और देगी। कांग्रेस राज्यसभा की एक सीट के लिए जरूरी 46 विधायकों की संख्या को लेकर आश्वस्त है। पार्टी का दावा है कि गुप्त मतदान में पार्टी के पास 49 मत थे। राज्यसभा में उसे इससे अधिक मत मिलेंगे। विधानसभा में कांग्रेस विधायकों की संख्या 57 है। वाघेला 8 अगस्त के बाद नेता विपक्ष पद से इस्तीफा देने वाले हैं, उनके स्थान पर विधायक शैलेष परमार, परेश धानाणी व अनिल जोशीयारा इस पद के प्रमुख दावेदार हैं।
कांग्रेस, वाघेला के पुत्र विधायक महेंद्र वाघेला व समर्थक 10 विधायकों पर कार्यवाही से बच रही है लेकिन उनकी गतिविधियों पर नजर रखेगी।चुनाव नहीं लड़ेंगे वाघेला कांग्रेस छोड़ने के बाद वाघेला गुजरात की राजनीति में सक्रिय तो रहेंगे लेकिन चुनाव नहीं लड़ेंगे। राकांपा, जदयू, पाटीदार नेता हार्दिक पटेल, ओबीसी नेता अलपेश ठाकोर यदि साथ आते हैं तो वाघेला राज्य में प्रेशर ग्रुप के रूप में उनको प्लेटफॉर्म उपलब्ध कराएंगे। वाघेला किसी भी पार्टी में शामिल नहीं होंगे, कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी से उन्होंने ऐसा वादा किया है, लेकिन एक थर्ड फ्रंट बनाकर वे गुजरात की राजनीति को जरूर प्रभावित करेंगे।