मुस्लिम कोटे पर ठिठकी कांग्रेस
लोकसभा चुनाव के छह चरण पूरे हो जाने के बाद कांग्रेस को एक बार फिर मुस्लिमों की याद आई है। चुनावों में पीछे छूट गई पार्टी मुस्लिमों को 4.5 फीसद आरक्षण का वादा कर संजीवनी की तलाश में है। इसी क्रम में कांग्रेस ने सलाह के स्तर पर हुई बात को सरकार में आने पर लागू करने का दांव फेंका है। लेकिन इस दांव ने सियासी भूचाल ला दिया है। भाजपा ने इसे चुनाव में हार रही पार्टी का आखिरी हताश प्रयास करार दिया है। कई मुस्लिम नेताओं ने भी कांग्रेस के इस कदम की आलोचना की है। हालांकि, कांग्रेस ने इस पर सफाई देते हुए कहा है कि पार्टी ने कोई पूरक घोषणा पत्र जारी नहीं किया है।
नई दिल्ली [जागरण न्यूज नेटवर्क]। लोकसभा चुनाव के छह चरण पूरे हो जाने के बाद कांग्रेस को एक बार फिर मुस्लिमों की याद आई है। चुनावों में पीछे छूट गई पार्टी मुस्लिमों को 4.5 फीसद आरक्षण का वादा कर संजीवनी की तलाश में है। इसी क्रम में कांग्रेस ने सलाह के स्तर पर हुई बात को सरकार में आने पर लागू करने का दांव फेंका है। लेकिन इस दांव ने सियासी भूचाल ला दिया है। भाजपा ने इसे चुनाव में हार रही पार्टी का आखिरी हताश प्रयास करार दिया है। कई मुस्लिम नेताओं ने भी कांग्रेस के इस कदम की आलोचना की है। हालांकि, कांग्रेस ने इस पर सफाई देते हुए कहा है कि पार्टी ने कोई पूरक घोषणा पत्र जारी नहीं किया है।
केंद्रीय कानून मंत्री और पार्टी प्रवक्ता कपिल सिब्बल ने कहा कि उनकी पार्टी कोई पूरक घोषणा पत्र लेकर नहीं आई है। पार्टी उपाध्यक्ष राहुल गांधी जब घोषणा पत्र के लिए अलग-अलग समुदायों की राय ले रहे थे तब यह विचार आया था। लेकिन यह मामला कोर्ट में है, ऐसे में पार्टी कोर्ट के फैसले का इंतजार करेगी। हालांकि उन्होंने यह भी जोड़ा कि यह मांग जनता के बीच से आई है।
इससे पहले पार्टी की वेबसाइट पर प्रस्तावित नीतियों और कार्यक्रमों के अंतर्गत इशारा किया गया कि सरकार बनने पर पार्टी पिछड़े मुसलमानों को ओबीसी कोटे के तहत 4.5 फीसद आरक्षण देने की दिशा में काम करेगी। दरअसल, पार्टी ने राहुल गांधी की अगुआई में घोषणा पत्र बनाने के दौरान समाज के विभिन्न वर्गो से राय ली थी। इसमें जो सुझाव आए थे, उसे पार्टी ने 'अल्पसंख्यकों का उत्थान : सुझाई गई नीतियां व कार्यक्रम 2014-2019' के अंतर्गत रखा है। इसमें कांग्रेस ने 'विस्तृत कार्ययोजना' में वादा किया कि पार्टी सुप्रीम कोर्ट में इस मामले की उचित पैरवी करेगी और यह सुनिश्चत करेगी कि इसे उचित कानून बनाकर लागू किया जा सके।' लेकिन बीच समर में इस तरह की कवायद का भाजपा ने तीखा विरोध किया है। पार्टी के प्रवक्ता प्रकाश जावड़ेकर ने कहा कि यह कुछ वोट पाने का उनका अंतिम हताश प्रयास है और लोग हार रही पार्टी के पूरक घोषणपत्र पर विश्वास नहीं करेंगे। सपा के पूर्व नेता शाहिद सिद्दिकी ने कहा कि इसका कोई मतलब नहीं है। चुनाव के समय इस तरह के वादे किए जाते रहे हैं। जिस पार्टी ने यह वादा किया है, मुस्लिमों के बीच अब उसकी विश्वसनीयता बची नहीं है। वहीं, जमीयत उलेमा ए हिंद के प्रवक्ता अब्दुल नोमानी ने इस तरह के वादों पर दक्षिणपंथियों के दबाव में कांग्रेस पर मुकरने का आरोप लगाया है। गौरतलब है कि संप्रग ने 4.5 फीसद सब-कोटे की घोषणा की थी, लेकिन कोर्ट ने इस पर रोक लगा दी थी। अब जबकि, सिर्फ 196 सीटों पर चुनाव बाकी है, ऐसे में पार्टी का दांव कितना कारगर होगा, यह समय बताएगा। लेकिन पहले ही अंतर्विरोधों से घिरी पार्टी की मुसीबत बढ़ गई लगती है। इस मसले को लेकर पार्टी के भीतर भी नाराजगी है। पार्टी के कई नेता इस समय इस तरह के प्रयोग को पार्टी की संभावनाओं के लिए 'भारी गलती' मान रहे हैं।
'ये सुझाव विचार करने के लिए आया है। जब पार्टी सत्ता में आएगी और सुप्रीम कोर्ट इस पर निर्णय दे देगा, हम इसको लेकर विचार करेंगे। इसमे तुष्टीकरण कहां है। हमें जनभावनाओं का सम्मान करना चाहिए।' -कपिल सिब्बल केंद्रीय कानून मंत्री
'कोई हार रही पार्टी के पूरक चुनाव घोषणापत्र पर भरोसा करने के लिए तैयार नहीं है। यह कुछ वोट जीतने का उनका अंतिम हताश प्रयास है, लेकिन वे हर मोर्चे पर हार रहे हैं। हारने वाला चांद का वादा कर सकता है। लेकिन लोग उसपर यकीन नहीं करेंगे।' -प्रकाश जावड़ेकर, भाजपा प्रवक्ता
'कांग्रेस का मुस्लिम आरक्षण का वादा, अब पुरानी बात हो गई है। यह वादा करना आसान है। मुख्य बात तो यह है कि इसे लागू करें।' -अब्दुल नोमानी, जमीयत-उलेमा-ए-हिंद के प्रवक्ता