आदिवासियों को आकर्षित करने के लिए कांग्रेस ने चलाया ये अभियान
आदिवासी क्षेत्रों में चलाए जा रहे इस अभियान के लिए कांग्रेस ने हर ब्लॉक में 'वन अधिकारी मित्र' नियुक्त किए हैं।
नई दिल्ली, जेएनएन। कांग्रेस पार्टी का जनाधार लगातार घट रहा है। दिल्ली नगर निगम (एमसीडी) चुनाव में भी कांग्रेस को करारी हार का सामना करना पड़ा है। कांग्रेस पार्टी अब अलग-अलग स्तर पर अपना खोया जनाधार हासिल करने के लिए प्रयास कर रही है। कांग्रेस ने आदिवासियों को फिर से अपने साथ जोड़ने के लिए जमीनी स्तर पर काम करना शुरू किया है। इसके लिए दिल्ली में रणनीति तैयार की गई है।
कांग्रेस ने दस आदिवासी वर्चस्व वाले राज्यों को चिन्हित किया है, जहां जमीनी स्तर पर कार्यकर्ता काम करेंगे। इन राज्यों में छत्तीसगढ़, राजस्थान, ओडिशा, तेलंगाना, आंध्र प्रदेश, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, गुजरात, हिमाचल प्रदेश और झारखंड शामिल हैं। कांग्रेस ने इन राज्यों में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सरकार के वन अधिकार अधिनियम के कार्यान्वयन के खिलाफ एक अभियान शुरू किया है। इस अभियान में भूमि अधिकारों के लिए आदिवासियों द्वारा दायर अस्वीकार दावों पर ध्यान केंद्रित किया जाएगा।
आदिवासी परंपरागत दशकों से कांग्रेस पार्टी के समर्थन में रहे हैं। हालांकि, पिछले कुछ सालों में ये समर्थन घटता जा रहा है, जो पार्टी के लिए चिंता का विषय बना हुआ है। 2014 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस का सबसे खराब प्रदर्शन दर्ज किया गया, जिसमें पार्टी अनुसूचित जनजाति आरक्षित सीटों में से सिर्फ तीन पर जीत दर्ज कर पाई, जो कि पूर्वोत्तर से थीं। वहीं साल 2009 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस ने ऐसी 20 सीटें जीती थीं।
एक वरिष्ठ कांग्रेस नेता ने ईटी कको बताया, 'कुछ नेताओं के लिए वार रूम (15 गुरुद्वारा रकाबगंज रोड) में प्रशिक्षण शिवर चलाया गया था। हमने वन अधिकार अधिनियम के तहत आदिवासी अधिकारों पर इन नेताओं को प्रशिक्षित किया है। वे क्या करें अगर उनका दावा खारिज कर दिया जाता और अगर दावा खारिज हो जाता है, तो उन्हें क्या अधिकार है। इनके बारे में लोगों को बताया जाएगा।'
आदिवासी क्षेत्रों में चलाए जा रहे इस अभियान के लिए कांग्रेस ने हर ब्लॉक में 'वन अधिकारी मित्र' नियुक्त किए हैं। ये वन अधिकारी मित्र उन सभी आदिवासियों का पता लगाएंगे, जिन्होंने जमीन के पट्टे के लिए अधिनियम के तहत आवेदन किया है। कांग्रेस नेता का कहना है कि हमारे कार्यकर्ता आदिवासियों की हर संभव मदद करेंगे।