कांग्रेस विधायक मतीन अहमद को तीन साल की सजा
नई दिल्ली [जागरण संवाददाता]। सरकारी काम में बाधा और सरकारी कर्मचारी की पिटाई के मामले में कांग्रेस विधायक व दिल्ली जलबोर्ड के उपाध्यक्ष मतीन अहमद और पूर्व निगम पार्षद जमीर अहमद मुन्ना को अदालत ने तीन तीन साल की सजा सुनाई है। इन पर 30-30 हजार रुपए जुर्माना भी किया गया है। अदालत ने सजा देने के साथ ही दोनों को 20-20 हजार रुपए के निजी मुचलके और जमानती की शर्त पर एक माह के लिए जमानत दे दी है। जिससे कि ये ऊपरी अदालत में अपील दायर कर सकें। इस मामले में कुछ छह आरोपी थे। जिनमें से दो की मामले की सुनवाई के दौरान मौत हो गई। जबकि दो को अदालत ने आरोपमुक्त कर दिया था।
नई दिल्ली [जागरण संवाददाता]। सरकारी काम में बाधा और सरकारी कर्मचारी की पिटाई के मामले में कांग्रेस विधायक व दिल्ली जलबोर्ड के उपाध्यक्ष मतीन अहमद और पूर्व निगम पार्षद जमीर अहमद मुन्ना को अदालत ने तीन तीन साल की सजा सुनाई है। इन पर 30-30 हजार रुपए जुर्माना भी किया गया है। अदालत ने सजा देने के साथ ही दोनों को 20-20 हजार रुपए के निजी मुचलके और जमानती की शर्त पर एक माह के लिए जमानत दे दी है। जिससे कि ये ऊपरी अदालत में अपील दायर कर सकें। इस मामले में कुछ छह आरोपी थे। जिनमें से दो की मामले की सुनवाई के दौरान मौत हो गई। जबकि दो को अदालत ने आरोपमुक्त कर दिया था।
सजा सुनाने के साथ ही अदालत ने इस मामले में अपने बयान से मुकरने वाले तत्कालीन एसडीएम ई राजाबाबू व एक अन्य कर्मी विरेंद्र सिंह डबास को कारण बताओ नोटिस जारी कर पूछा है कि वह अपने बयान से क्यों मुकर गए और क्यों न उन पर कानूनी कार्रवाई की जाए। अदालत ने दोनों को सात फरवरी तक अपना जवाब दाखिल करने के लिए कहा है।
अदालत ने कहा कि जनतांत्रिक व्यवस्था में यह खतरनाक स्थिति है जब सुप्रीम कोर्ट के फैसले की इस तरह अवहेलना की जाए। सुप्रीम कोर्ट के सख्त निर्देश हैं कि जब कोई सरकारी कार्य हो रहा है तो उसमें बाधा नहीं पहुंचाई जा सकती क्योंकि सरकार द्वारा किए जाने वाले कार्य लोगों के विकास से जुड़े होते हैं। अदालत ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के फैसले के मद्देनजर प्रशासन की टीम प्रदूषण फैलाने वाली ईकाई को बंद कराने गई थी। यह समाज हित का कार्य था। अदालत ने कहा कि लोकतंत्र के मंदिर में जिस व्यक्ति के ऊपर कानून को बनाने की जिम्मेदारी है उससे आशा नहीं की जाती कि वही व्यक्ति सड़क पर कानून को तोड़े।
फैसला सुनाए जाने से पहले अदालत में चौधरी मतीन अहमद के काफी समर्थक पहुंचे थे। उन्होंने अदालत परिसर में खूब नारेबाजी की। समर्थक अदालत परिसर के अंदर व बाहर मौजूद थे। समर्थकों को जब यह पता चल गया कि सजा मिलने के साथ ही उन्हें जमानत मिल गई है तो उन्होंने जश्न मनाया।
पेश मामले में घटना सात जनवरी 2001 को घटित हुई थी। पंजाबी बाग के एसडीएम ई राजाबाबू और कार्यालय के कर्मचारी वीरेंद्र सिंह डबास व अन्य लोगों की टीम मुस्तफाबाद में एक फैक्ट्री को सील करने पहुंचे थे। यह फैक्ट्री प्रदूषण फैलाने वाली इकाई थी। सात जनवरी 2001 को अपरान्ह 12.30 बजे टीम ने महरूम मैकेनिकल नामक फैक्ट्री को सील कर दिया। इस बीच वहां विधायक मतीन अहमद और तत्कालीन निगम पार्षद जमीर अहमद मुन्ना एक हजार से डेढ़ हजार समर्थकों के साथ आ गए। आरोप है कि मतीन अहमद ने एसीडीएम का गिरेबान पकड़ लिया और उन्हें धक्का देते हुए सील गई यूनिट के अंदर ले गए। भीड़ ने एसडीएम टीम पर पथराव कर दिया। जिससे वीरेंद्र सिंह डबास गंभीर रूप से जख्मी हो गए। इस मामले में सीलमपुर थाने में सरकारी काम में बाधा डालने और सरकारी कार्य के दौरान मारपीट करने आदि धाराओं के तहत मामला दर्ज किया इस मामले विधायक और तत्कालीन निगम पार्षद सहित छह आरोपी बनाए गए थे। इनमें दो आरोपी नदीम देहलवी और नाजिम नकावी की ट्रायल के दौरान मौत हो गई और दो आरोपियों मोहम्मद अशरफ और सुल्तान अहमद को अदालत ने बरी कर दिया।
पार्टी मतीन के साथ-जयप्रकाश अग्रवाल
प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष जयप्रकाश अग्रवाल ने कहा कि मतीन अहमद ने कोई पार्टी विरोधी कार्य नहीं किया। इसके अलावा उन्होंने किसी कत्ल या जघन्य अपराध के तहत सजा नहीं मिली है। वह जनता के हक की लड़ाई लड़ रहे थे। उन्हें अदालत ने जरूर सजा दी है कि पार्टी मतीन अहमद के साथ है।
जनता के लिए जेल भी जाना पड़ा तो मंजूर है-मतीन
अदालत द्वारा सजा सुनाए जाने के बाद अदालत परिसर से बाहर आने के बाद विधायक मतीन अहमद ने कहा कि वह जनता की लड़ाई लड़ रहे थे। लोगों की फैक्ट्रियां सील हो रही थीं। लोग बेरोजगार होकर सड़कों पर आ रहे थे। उनके इलाके के लोग परेशान थे। वह जनता की परेशानियों को देखकर सीलिंग का विरोध करने के लिए आगे आए थे। अगर उन्हें जनता की लड़ाई लड़ते हुए 100 बार भी जेल जाना पड़ा तो उन्हें मंजूर है।
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